रोम: वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल भारत फ्रांस व्यापार शिखर सम्मेलन हिस्सा लेने के लिए इटली गए हैं. इस मौके पर उन्होंने कहा है कि यूरोपीय संघ के साथ प्रस्तावित मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) में भारत किसानों और डेयरी क्षेत्र के हितों की पूरी तरह रक्षा करेगा. इस मौके पर गोयल ने कहा कि वह देशों के बीच व्यापार और निवेश संबंधों को और बढ़ाने के तरीकों पर नेताओं और निजी क्षेत्र के साथ चर्चा करने के लिए आधिकारिक यात्रा पर यहां आए हैं.
गोयल ने कहा कि उन्होंने इटली और फ्रांस ने भारत-यूरोपीय संघ व्यापार समझौते के लिए वार्ता के शीघ्र समापन के लिए पूर्ण समर्थन की पेशकश की है. इटली और फ्रांस में बैठकों के दौरान भारत ने दोनों क्षेत्रों में विभिन्न आर्थिक स्थितियों और प्रति व्यक्ति आय पर जोर दिया है, लेकिन यूरोपीय संघ के व्यवसायों के लिए भारत जिस तरह के व्यावसायिक अवसर प्रदान करता है, वह बहुत बड़ा है.
गोयल ने कहा कि इस सब को ध्यान में रखते हुए हम एफटीए (Free Trade Agreement) करेंगे, हम किसानों और डेयरी क्षेत्र के हितों की रक्षा करेंगे, हमने संयुक्त अरब अमीरात और ऑस्ट्रेलिया व्यापार समझौते के साथ भी ऐसा किया है. आपको बता दें कि पांचवें दौर की वार्ता के लिए भारत और यूरोपीय संघ (ईयू) के मुख्य वार्ताकार 19-23 जून को नई दिल्ली में मिलने वाले हैं.
व्यापार, निवेश और भौगोलिक संकेत (जीआई) पर प्रस्तावित समझौतों पर आठ साल के अंतराल के बाद भारत और 27 देशों के समूह ने पिछले साल 17 जून को वार्ता फिर से शुरू की. वार्ता की प्रगति की समीक्षा के लिए वाणिज्य सचिव स्तर के शीर्ष अधिकारी अगस्त में बैठक करेंगे.
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यूरोपीय संघ के सदस्य देशों को भारत का व्यापारिक निर्यात 2021-22 में लगभग 65 बिलियन अमरीकी डॉलर था, जबकि आयात 51.4 बिलियन अमरीकी डॉलर था. एक जीआई मुख्य रूप से एक कृषि, प्राकृतिक या निर्मित उत्पाद (हस्तशिल्प और औद्योगिक सामान) है, जो एक निश्चित भौगोलिक क्षेत्र से उत्पन्न होता है. आमतौर पर, ऐसा नाम गुणवत्ता और विशिष्टता का आश्वासन देता है, जो अनिवार्य रूप से इसके मूल स्थान के कारण होता है.
गोयल ने कहा कि भारत अपने हितों से समझौता नहीं करेगा... यह संभव नहीं है. धातु जैसे कुछ खास क्षेत्रों पर कार्बन टैक्स लगाने की यूरोपीय संघ की घोषणा पर उन्होंने कहा कि यह मुद्दा चर्चा का हिस्सा है. भारत ने पहले कहा था कि वह कार्बन टैक्स लगाने की यूरोपीय संघ की घोषणा के बारे में चिंतित है, यह कहते हुए कि इस तरह के उपायों के लिए नई दिल्ली को एक मुक्त व्यापार समझौते के प्रति अपने दृष्टिकोण को पुनर्गठित करने की आवश्यकता है.
यूरोपीय संघ इस साल 1 अक्टूबर से कार्बन बॉर्डर एडजस्टमेंट मैकेनिज्म (CBAM) की शुरुआत कर रहा है. सीबीएएम 1 जनवरी, 2026 से यूरोपीय संघ में चुनिंदा आयातों पर 20-35 प्रतिशत कर में तब्दील हो जाएगा. आर्थिक थिंक टैंक ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (जीटीआरआई) की एक रिपोर्ट के अनुसार यूरोपीय संघ द्वारा लागू की जा रही कार्बन सीमा समायोजन तंत्र का यूरोपीय संघ को लोहा, स्टील और एल्यूमीनियम उत्पादों जैसे धातुओं के भारत के निर्यात पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा.
साल 2022 में भारत का 8.2 बिलियन अमरीकी डालर मूल्य का लोहा, इस्पात और एल्यूमीनियम उत्पादों का 27 प्रतिशत निर्यात यूरोपीय संघ को गया.
(पीटीआई)