मॉस्को : मॉस्को की एक अदालत ने रूस के विपक्षी नेता एलेक्सी नवलनी की कैद की सजा के खिलाफ उनकी अपील शनिवार को खारिज कर दी.मॉस्को सिटी कोर्ट ने यह आदेश जारी किया. हालांकि, यूरोप की एक शीर्ष मानवाधिकार अदालत ने नवलनी को रिहा करने का आदेश दिया था.
भ्रष्टाचार के खिलाफ मुहिम छेड़ने वाले एवं रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के कटु आलोचक नवलनी (44) को एक निचली अदालत ने दो साल आठ महीने की कैद की सजा सुनाई थी. नवलनी पर लगायी गयी शर्तों का उनके द्वारा जर्मनी में कथित तौर पर उल्लंघन करने को लेकर इस महीने की शुरूआत में यह सजा सुनाई गई थी.
नवलनी को 17 जनवरी को जर्मनी से लौटने पर गिरफ्तार कर लिया गया था.
जहर (नर्व एजेंट) दिये जाने पर गंभीर रूप से बीमार पड़ने के बाद नवलनी बेहतर इलाज के लिए पांच महीने जर्मनी में थे. उन्होंने (जहर दिये जाने की) इस घटना के लिए रूसी राष्ट्रपति भवन क्रेमलिन को जिम्मेदार ठहराया था. हालांकि, रूसी अधिकारियों ने यह आरोप खारिज कर दिया था.
नवलनी ने अदालत में कैद की सजा के खिलाफ अपील की और उन्हें रिहा करने का अनुरोध किया था.
मॉस्को सिटी कोर्ट के न्यायाधीश ने शनिवार को उनकी सजा की अवधि को सिर्फ आंशिक रूप से घटाते हुए इसे ढाई साल की कैद की सजा में तब्दील कर दिया. इस आदेश के तहत, 2015 की शुरूआत में नवलनी के डेढ़ महीने नजरबंद रहने की अवधि को कैद की कुल अवधि में से घटाया गया.
नवलनी की गिरफ्तारी और कैद की सजा सुनाए जाने के बाद पूरे रूस में विरोध-प्रदर्शन शुरू हो गये. अधिकारियों ने कार्रवाई करते हुए 11,000 से अधिक लोगों को हिरासत में ले लिया, जिनमें से अधिकतर पर जुर्माना लगाया गया या सात से 15 दिनों के लिए जेल भेज दिया गया.
रूस ने नवलनी की गिरफ्तारी और प्रदर्शनकारियों पर कार्रवाई की पश्चिमी देशों द्वारा आलोचना किये जाने को अपने आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप बताया है.
यूरोपीय मानवाधिकार अदालत ने मंगलवार को एक आदेश में रूस सरकार को नवलनी को रिहा करने का आदेश देते हुए याचिकाकर्ता की जान को खतरा होने का उल्लेख किया था.
स्ट्रैसबर्ग की अदालत ने रूसी अधिकारियों की यह दलील खारिज कर दी थी कि उन्होंने हिरासत में नवलनी की सुरक्षा के लिए पर्याप्त उपाय किये हैं.
वहीं, रूस सरकार ने यूरोपीय अदालत की मांग को खारिज करते हुए इसे गैरकानूनी और अस्वीकार्य बताते हुए रूस के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करार दिया था.
शनिवार को ही, नवलनी को द्वितीय विश्व युद्ध के सैनिकों का कथित अपमान करने के एक अलग मामले में भी अदालत की कार्यवाही का सामना करना है.