इस्लामाबाद : बढ़ती महंगाई और बेरोजगारी पाकिस्तान के लोगों के लिए सबसे बड़ी समस्या है, ना कि कश्मीर का मुद्दा. जी, यह कोई कोरी बात नहीं है, बल्कि एक अंतरराष्ट्रीय संस्थान गैलप इंटरनेशनल के सर्वेक्षण में यह बात निकलकर आई है. सर्वेक्षण आर्थिक तंगी से जुझ रहे पाकिस्तान के सभी चार प्रांतों में कराया गया.
सर्वेक्षण गैलप और गिलानी पाकिस्तान द्वारा मंगलवार को प्रकाशित किया गया. अध्ययन के अनुसार 53 प्रतिशत जवाब देने वालों का मानना है कि देश की अर्थव्यवस्था, विशेष रूप से महंगाई में वृद्धि सबसे बड़ी समस्या है.
सर्वेक्षण के अनुसार मुद्रास्फीति की चिंता बेरोजगारी (23%), भ्रष्टाचार (4%) और जल संकट (4%) के बाद है.
वहीं पाकिस्तान सरकार कश्मीर मुद्दे के अंतरराष्ट्रीयकरण करने की पुरजोर कोशिश कर रही है. सर्वेक्षण में शामिल केवल आठ प्रतिशत लोगों ने इस मुद्दे पर अपनी चिंता व्यक्त की है.
दरअसल सर्वेक्षण में राजनीतिक अस्थिरता, बिजली संकट, अन्य मुद्दों के बीच डेंगू के प्रकोप की आशंकाओं का भी उल्लेख किया गया है.
गैलप पाकिस्तान ने कहा कि सर्वेक्षण के नमूने में चार प्रांतों- बलूचिस्तान, खैबर पख्तूनख्वा, पंजाब और सिंध के पुरुषों और महिलाओं को शामिल किया गया.
गौरतलब है कि पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पिछले कुछ वर्षों में स्थिति दयनीय हो गई है.
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अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने जुलाई में कहा था कि पाकिस्तान कमजोर और असंतुलित विकास के कारण 'महत्वपूर्ण आर्थिक चुनौतियों' का सामना कर रहा है. उसकी अर्थव्यवस्था एक नाजुक मोड़ पर है, जहां उसे सुधारों के एक महत्वाकांक्षी और साहसिक परिवर्तन की आवश्यकता है.
उल्लेखनीय है कि उस समय पाकिस्तान में 8 बिलियन अमरीकी डॉलर से कम की मुद्रा रिजर्व थी, जो कि केवल 1.7 महीनों के आयात के लिए ही पर्याप्त थी. पाकिस्तान और आईएमएफ ने इस साल छह बिलियन डॉलर के बेलआउट पैकेज पर हस्ताक्षर किया. इसका उद्देश्य देश की नाजुक अर्थव्यवस्था में स्थायी विकास लौटना और जीवन स्तर में सुधार करना था.
ज्ञात हो कि आईएमएफ के अलावा, पाकिस्तान ने कतर, चीन, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात से बेलआउट पैकेज हासिल किया है.