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बनारस घराने की सैकड़ों साल पुरानी विरासत के प्रतिनिधि थे पंडित राजन मिश्र

कोरोना महामारी ने आम आदमी समेत देश की कई नामी हस्तियों को भी लील लिया है. इसी क्रम में वाराणसी के शास्त्रीय घराने से जुड़े पंडित राजन-साजन मिश्र की जोड़ी टूट गई. कोरोना से लड़ते हुए राजन मिश्र का दिल्ली के एक अस्पताल में निधन हो गया. उनके बारे में जानने के लिए ये रिपोर्ट....

पं. साजन मिश्र का कोरोना से निधन
पं. साजन मिश्र का कोरोना से निधन
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Published : Apr 25, 2021, 9:31 PM IST

Updated : Apr 25, 2021, 9:45 PM IST

वाराणसी: बनारस के शास्त्रीय घराने से जुड़े पंडित राजन-साजन मिश्र की नामी जोड़ी आज टूट गई. कोरोना से लड़ते हुए 70 वर्ष की आयु में दिल्ली के सेंट स्टीफंस अस्पताल में राजन मिश्र ने अंतिम सांस ली. बता दें कि रविवार को पंडित राजन मिश्रा को हृदय में समस्या होने के बाद दिल्ली के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया था. उन्हें 2007 में भारत सरकार द्वारा कला के क्षेत्र में पद्मभूषण से सम्मानित किया गया था. यह खबर मिलते ही बनारस घराने में शोक की लहर दौड़ गई. काशीवासी राजन मिश्रा के निधन से अत्यंत दुखी हैं.

राजन-साजन की जोड़ी
राजन-साजन की जोड़ी

जानिए कौन थे राजन मिश्र
शास्त्रीय संगीत की नामी जोड़ी में राजन-साजन मिश्र का अपना एक अलग स्थान है. राजन और साजन दोनों भाई हैं. राजन बड़े थे, दोनों भाई पहलवानी के शौकीन थे. बचपन में दोनों अखाड़े में मशक्कत करके खुद काे फिट रखते थे और उन्हें क्रिकेट खेलने का भी बहुत शौक था. एक साक्षात्कार के दौरान उन्होंने बताया था कि उन्हें खेलों में तो रुचि थी ही साथ ही जंगल, पहाड़ों और प्रकृति के बीच रहना भी काफी पसंद था. राजन मिश्र का मानना था कि सही उच्चारण और राग की मर्यादा ही बनारस घराने की खासियत है.

समेट कर रखी थी 400 साल पुरानी विरासत
उनके घराने ने 400 साल का इतिहास समेटा हुआ था. उनके दादा पंडित बड़े राम मिश्र और पिता पंडित हनुमान मिश्र, चाचाजी गोपाल मिश्र सहित इनके परदादा भी संगीतकार रहे हैं. राजन मिश्रा का मानना था कि बनारस एकमात्र घराना है, जहां संगीत की तीनों विधाएं (गायन, वादन और नर्तन) मौजूद हैं. ऐसा दूसरे घरानों में नहीं पाया जाता. उन्होंने 1978 में श्रीलंका में अपना पहला संगीत का कार्यक्रम किया और इसके बाद उन्होंने जर्मनी, फ्रांस, स्विट्जरलैंड, ऑस्ट्रिया, संयुक्त राज्य अमेरिका, ब्रिटेन, नीदरलैंड, यूएसएसआर, सिंगापुर, कतर, बांग्लादेश और दुनिया भर के कई देशों में अपनी कला का प्रदर्शन किया.

इसे भी पढ़ें- वैज्ञानिक पद्मश्री प्रो.ओ.एन.श्रीवास्तव का निधन

पूरे विश्व में फेमस है दोनों भाइयों की जोड़ी
राजन मिश्रा भारत के प्रसिद्ध शास्त्रीय गायक थे. उनकी गिनती वाराणसी के प्रसिद्ध ख्याल गायकों के रूप में होती थी. वाराणसी घराने के प्रतिनिधि के तौर पर इन दोनों भाइयों को जाना जाता था. इन दोनों की जुगलबंदी और जोड़ी की दुनिया दीवानी थी. दोनों का साथ में जब कोई स्टेज परफॉर्मेंस होता था तो उसे देखने के लिए भारी भीड़ उमड़ती थी. दोनों की आवाज भले अलग-अलग थी लेकिन, जब एक साथ प्रस्तुति दी जाती थी तो दोनों दो जिस्म एक जान रखते थे. आज कोरोना जैसी खतरनाक बीमारी ने इस विश्व प्रसिद्ध संगीत की जोड़ी को तोड़ दिया.

संगीत का प्रकृति से मानते थे गहरा नाता
दोनों भाइयों ने पूरे विश्व में खूब प्रसिद्धि हासिल की. पंडित राजन और साजन मिश्रा का मानना था कि जैसे मनुष्य का शरीर पांच तत्वों से मिलकर बना है, वैसे ही संगीत के सात सुर सा रे गा मा पा धा नी पशु-पक्षियों की आवाज से बनाए गए हैं.

वाराणसी: बनारस के शास्त्रीय घराने से जुड़े पंडित राजन-साजन मिश्र की नामी जोड़ी आज टूट गई. कोरोना से लड़ते हुए 70 वर्ष की आयु में दिल्ली के सेंट स्टीफंस अस्पताल में राजन मिश्र ने अंतिम सांस ली. बता दें कि रविवार को पंडित राजन मिश्रा को हृदय में समस्या होने के बाद दिल्ली के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया था. उन्हें 2007 में भारत सरकार द्वारा कला के क्षेत्र में पद्मभूषण से सम्मानित किया गया था. यह खबर मिलते ही बनारस घराने में शोक की लहर दौड़ गई. काशीवासी राजन मिश्रा के निधन से अत्यंत दुखी हैं.

राजन-साजन की जोड़ी
राजन-साजन की जोड़ी

जानिए कौन थे राजन मिश्र
शास्त्रीय संगीत की नामी जोड़ी में राजन-साजन मिश्र का अपना एक अलग स्थान है. राजन और साजन दोनों भाई हैं. राजन बड़े थे, दोनों भाई पहलवानी के शौकीन थे. बचपन में दोनों अखाड़े में मशक्कत करके खुद काे फिट रखते थे और उन्हें क्रिकेट खेलने का भी बहुत शौक था. एक साक्षात्कार के दौरान उन्होंने बताया था कि उन्हें खेलों में तो रुचि थी ही साथ ही जंगल, पहाड़ों और प्रकृति के बीच रहना भी काफी पसंद था. राजन मिश्र का मानना था कि सही उच्चारण और राग की मर्यादा ही बनारस घराने की खासियत है.

समेट कर रखी थी 400 साल पुरानी विरासत
उनके घराने ने 400 साल का इतिहास समेटा हुआ था. उनके दादा पंडित बड़े राम मिश्र और पिता पंडित हनुमान मिश्र, चाचाजी गोपाल मिश्र सहित इनके परदादा भी संगीतकार रहे हैं. राजन मिश्रा का मानना था कि बनारस एकमात्र घराना है, जहां संगीत की तीनों विधाएं (गायन, वादन और नर्तन) मौजूद हैं. ऐसा दूसरे घरानों में नहीं पाया जाता. उन्होंने 1978 में श्रीलंका में अपना पहला संगीत का कार्यक्रम किया और इसके बाद उन्होंने जर्मनी, फ्रांस, स्विट्जरलैंड, ऑस्ट्रिया, संयुक्त राज्य अमेरिका, ब्रिटेन, नीदरलैंड, यूएसएसआर, सिंगापुर, कतर, बांग्लादेश और दुनिया भर के कई देशों में अपनी कला का प्रदर्शन किया.

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पूरे विश्व में फेमस है दोनों भाइयों की जोड़ी
राजन मिश्रा भारत के प्रसिद्ध शास्त्रीय गायक थे. उनकी गिनती वाराणसी के प्रसिद्ध ख्याल गायकों के रूप में होती थी. वाराणसी घराने के प्रतिनिधि के तौर पर इन दोनों भाइयों को जाना जाता था. इन दोनों की जुगलबंदी और जोड़ी की दुनिया दीवानी थी. दोनों का साथ में जब कोई स्टेज परफॉर्मेंस होता था तो उसे देखने के लिए भारी भीड़ उमड़ती थी. दोनों की आवाज भले अलग-अलग थी लेकिन, जब एक साथ प्रस्तुति दी जाती थी तो दोनों दो जिस्म एक जान रखते थे. आज कोरोना जैसी खतरनाक बीमारी ने इस विश्व प्रसिद्ध संगीत की जोड़ी को तोड़ दिया.

संगीत का प्रकृति से मानते थे गहरा नाता
दोनों भाइयों ने पूरे विश्व में खूब प्रसिद्धि हासिल की. पंडित राजन और साजन मिश्रा का मानना था कि जैसे मनुष्य का शरीर पांच तत्वों से मिलकर बना है, वैसे ही संगीत के सात सुर सा रे गा मा पा धा नी पशु-पक्षियों की आवाज से बनाए गए हैं.

Last Updated : Apr 25, 2021, 9:45 PM IST
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