लखनऊ: मुख्यमंत्री ने शुक्रवार को अपने सरकारी आवास पर एक उच्च स्तरीय बैठक में अनलॉक व्यवस्था की समीक्षा की. उन्होंने कंटेन्मेंट जोन में निगरानी के लिए ड्रोन कैमरे का उपयोग करने के निर्देश दिए हैं. शनिवार और रविवार को संचालित होने वाले विशेष स्वच्छता एवं सैनिटाइजेशन अभियान के कार्यों को परखने के लिए भी ड्रोन कैमरा का इस्तेमाल किया जाए. अभियान अवधि में औद्योगिक इकाइयां पूर्व की भांति संचालित होती रहेंगी.
रैपिड एंटीजन टेस्ट की संख्या बढ़ाने के निर्देश
मुख्यमंत्री ने शहरी क्षेत्रों में सर्विलांस टीम और घर-घर जाकर सर्वे के माध्यम से मेडिकल स्क्रीनिंग कराए जाने के निर्देश दिए. उन्होंने कहा कि सर्विलांस टीमों को पूरी तरह सक्रिय रखा जाए. सर्वे गतिविधियों को मिशन मोड पर संचालित किया जाए. इनमें किसी भी प्रकार की शिथिलता न बरती जाए. रैपिड एंटीजन टेस्ट की संख्या में और वृद्धि करते हुए टेस्टिंग क्षमता को बढ़ाया जाए.
500 रैपिड एंटीजन टेस्ट प्रतिदिन करने के निर्देश
मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि 25 लाख से कम जनसंख्या वाले जिलों में न्यूनतम 500 रैपिड एंटीजन टेस्ट प्रतिदिन किए जाने चाहिए. 25 लाख से अधिक आबादी वाले जिलों में प्रत्येक दिन कम से कम 1000 रैपिड एंटीजन टेस्ट किए जाएं. इसके लिए स्वास्थ्य विभाग छोटे जिलों में 5000 और बड़े जिलों में 10000 की उपलब्धता हमेशा बनाए रखें. सर्विलांस टीम के सर्वे में संक्रमण की दृष्टि से संदिग्ध पाए जाने वाले व्यक्तियों का रैपिड एंटीजन टेस्ट किया जाए. टेस्ट में संक्रमित होने की दशा में उन्हें अस्पताल भेजा जाए. सीएम ने स्पष्ट किया कि इस कार्य में संबंधित जिलाधिकारी और मुख्य चिकित्सा अधिकारी की जवाबदेही तय की जाएगी.
अलग-अलग एंबुलेंस की हो व्यवस्था
मुख्यमंत्री ने स्वास्थ्य विभाग और चिकित्सा शिक्षा विभाग को अपनी सभी इकाइयों को पूरी तरह सक्रिय रखने के निर्देश दिए. उन्होंने कहा कि एंबुलेंस सेवा को सुदृढ़ किया जाए. कोविड-19 और नान कोविड-19 अस्पतालों के लिए अलग-अलग एंबुलेंस की व्यवस्था की जाए. एंबुलेंस में ऑक्सीजन की अनिवार्य उपलब्धता सुनिश्चित की जाए. यह पहले से तय रखा जाए कि मरीज को एंबुलेंस द्वारा किस चिकित्सालय में पहुंचाकर भर्ती करना है.
मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि समस्त वेंटिलेटरों को क्रियाशील रखा जाए. एडवांस लाइफ सपोर्ट एंबुलेंस में वेंटिलेटर कार्यशील रहे. सभी एंबुलेंस में आवश्यक रूप से ऑक्सीजन की उपलब्धता सुनिश्चित की जाए. ट्रेनिंग गतिविधियों को और तेज करते हुए वेंटिलेटर संचालन के लिए टेक्नीशियन को भी प्रशिक्षित किया जाए. मेडिकल कॉलेज की व्यवस्था को बेहतर किया जाए.