मेरठ: ऑस्कर्स अवार्ड समारोह में भारत की ओर से 'द एलिफेंट व्हिसपर्स' व 'आरआरआर' ने नॉमिनेशन को अवॉर्ड में तब्दील करते हुए देश को दो ऑस्कर अवॉर्ड दिलाए हैं. शार्ट फिल्म कैटेगरी में जिस "द एलिफेंट व्हिस्परर्स" डॉक्यूमेंट्री फिल्म को गोल्ड मेडल दिया गया है, उसके एसोसिएट एडिटर एकेश्वर चौधरी मूल रूप से मेरठ के रहने वाले हैं. अवार्ड मिलने के बाद मेरठ भी सुर्खियों में आ गया है.
इस मौके पर एकेश्वर के माता पिता को लोग बधाई देने पहुंच रहे हैं. ईटीवी भारत ने भी मेरठ के लाल एकेश्वर के इस कमाल के लिए उनके परिजनों से एक्सक्लुसिव बातचीत की. बता दें कि ऑस्कर में भारत को मिले दोहरे सम्मान के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी बधाई दे चुके हैं. ऑस्कर अवार्ड की जैसे ही घोषणा हुई तो मेरठ में भी खुशियां मनाई गईं.
एकेश्वर ने मेरठ और इंदौर से की है पढ़ाईः एकेश्वर के पिता राकेश चौधरी के पिता ने बताया कि उनके दो बेटे हैं. बड़े बेटे का नाम एकेश्वर है, जबकि छोटे बेटे क्षितिज हैं. एकेश्वर ने मेरठ ट्रांसलैम एकेडमी से 12वीं तक की पढ़ाई की. उसके बाद मध्यप्रदेश के इंदौर चले गए. वहां से स्नातक की पढ़ाई पूरी की. पिता बताते हैं कि वह फिल्म इंडस्ट्री में करियर बनाना चाहते थे. शुरू से ही उनमें लगन थी, इसलिए वह मुंबई चले गए.
मुंबई से किया क्रिएटिव डायरेक्टर का कोर्सः एकेश्वर ने सुभाष घई के फिल्म इंस्टिट्यूट में प्रवेश लिया और क्रिएटिव डायरेक्टर का कोर्स किया. उनके पिता ने बताया कि वह चाहते थे कि उनका बेटा एमबीए करे लेकिन, ऐसा नहीं हुआ. क्योंकि वह फिल्म लाइन में आगे जाने का मन बना चुके थे. पिता ने बताया कि एजुकेशन लोन लेकर एकेश्वर ने अपने सपने पूरे करने के लिए मुम्बई में पढ़ाई की. इससे पहले अहमदाबाद मुद्रा इंस्टिट्यूट से एक साल का एडिटिंग कोर्स किया था. फिर गुरुग्राम में एक साल एडिटिंग की जॉब की. उसमें मन नहीं लगा तो विसलिंग वुड सुभाष घई के संस्थान मुंबई में एडिटिंग कोर्स किया.
एकेश्वर ने किए हैं काफी प्रोजेक्ट्सः 3 साल के कोर्स के बाद फिर वहीं फिल्मों और सीरियल की एडिटिंग करने लगे. कुछ कहानियां भी लिखीं, तबसे अब तक लगातार एडिटिंग कर रहे हैं. अपनी एक फिल्म भी बनाई और भी काफी प्रोजेक्ट्स उन्होंने किए हैं. पिता ने बताया कि व्यस्तता के चलते एकेश्वर पिछले 4 साल से मेरठ नहीं आ पाए हैं.
मां को बेटे की कामयाबी पर गर्वः एकेश्वर की मां भी अपने बेटे की इस कामयाबी के लिए भावुक होकर कहती है कि काफी चुनौतीपूर्ण फील्ड उनके बेटे ने चुनी है. लेकिन आज उन्हें अपने बेटे की कामयाबी पर गर्व हो रहा है. वह कहती हैं कि हमेशा सफलता नहीं मिलती एकेश्वर के सामने भी बहुत से चुनौतियां आईं. लेकिन. बेटा रुका नहीं और परेशानियों से लड़ते हुए अपने काम में लगा रहा. जिसका ये नतीजा है.
एकेश्वर जो करते हैं उसके बारे में किसी से कुछ कहते नहींः एकेश्वर की मां का कहना है कि उन्हें ईश्वर पर बहुत विश्वास था कि उनके बेटे के साथ जितने लोग भी इस शार्ट फिल्म को बनाने में दिन रात 4 साल से जुड़े रहे, सभी ने बहुत मेहनत की और उसी का परिणाम है कि आज यह कामयाबी मिली है. उनका बेटा बेहद ही शर्मीले स्वभाव का है. वह जो भी करता है, उसके बारे में ज्यादा किसी से चर्चा नहीं करता.
गणित से बहुत डरते थे एकेश्वरः पिता ने बताया गणित विषय से एकेश्वर को डर लगता था. प्रकृति के काफी करीब एकेश्वर रहते हैं. बता दें कि मेरठ में दिल्ली देहरादून बाईपास के नजदीक एरा कालोनी में एकेश्वर चौधरी के माता पिता रहते हैं, जबकि वह 2010 से मुंबई में ही हैं. उनके पिता खेती किसानी करते हैं. पिता ने बताया कि उनके छोटे बेटे क्षितिज भी फिलहाल एनिमेशन का कोर्स कर रहे हैं, हालांकी वह एक बड़ी कम्पनी में काम करते हैं.
एकेश्वर का परिचय
नाम : एकेश्वर चौधरी
जन्म : 22 नवम्बर
विवाह : 20 जनवरी 2010
शिक्षा : 12 th ट्रांसलेम अकादमी इंटरनेशनल
क्रिएटिव डायरेक्टर कोर्स : whistling woods institute सुभाष घई का
सफलता से काफी खुश हैं एकेश्वरः ईटीवी भारत ने एकेश्वर से भी फोन पर बातचीत की. उन्होंने कहा कि वह बेहद ही खुश हैं और उनकी पत्नी लक्ष्मी चौधरी ने कहा कि इस सफलता की खबर जब से मिली है सभी खुश हैं.