1. महागठबंधन... सपा-बसपा के जोड़ को कैसे देखते हैं. उनका अर्थमैटिक... उनको कुछ फायदा मिलता देख रहे हैं?
पीएम मोदी का जवाब- देखिए, राजनीति अर्थमैटिक से नहीं चलती है. परिणाम अर्थमैटिक होता है... आपने देखा होगा, अभी हम उत्तर प्रदेश में विधानसभा का चुनाव लड़े. कांग्रेस-सपा मिलकर लड़ रहे थे. उस समय भी यही सवाल लोग पूछते थे कि अर्थमैटिक तो उनके साथ है, लेकिन परिणाम दूसरा आया. जनता को 'टेकेन फॉर ग्रांटेड' मानने की जो पुरानी परंपरा थी, नेता वहां है तो उसका ब्लॉक उसके साथ होगा, यहां है तो ये ब्लॉक उसके साथ होगा. आज ये स्थिति नहीं है. देश युवा मतदाताओं से भरा हुआ है. फर्स्ट टाइम वोटर्स से भरा हुआ है. वे अपने लिए जिंदगी जीना चाहते हैं. अपने सपनों को पूरा करना चाहते हैं. वे देखना चाहते हैं कि इतना बड़ा देश कौन चलाएगा. तीसरा... मान लीजिए वहां एक गठबंधन है, लेकिन उससे पूरे भारत का चित्र तो बन नहीं पा रहा है, न ममता जी हिंदुस्तान का चित्र बना पाएंगी, न अखिलेश जी और मायावती जी बना पाएंगे और न ही चंद्रबाबू बना पाएंगे. ये तो बिखरे हुए लोग हैं. देश को अभी से शक हो रहा है. ये तो अभी भी एक दूसरे के खिलाफ लड़ रहे हैं, वो कैसे साथ आ सकते हैं?
2. राम मंदिर मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने मध्यस्थता कमेटी बनाई है. इसे दो महीने का वक्त दिया गया है. बीजेपी ने 2019 के घोषणा पत्र में भी संविधान के दायरे में राम मंदिर का वादा किया है. पूर्ण बहुमत की सरकार आने के बाद बीजेपी के जो मूल मतदाता हैं, उनके मन में ये भावना थी कि बीजेपी सरकार ठोस प्रयास करेगी. अब इस पर कितना विश्वास करें?
पीएम मोदी का जवाब- इससे पहले भारत सरकार या राज्य सरकारों की तरफ से ढुलमुल बातें बताई जाती थी. राम काल्पनिक हैं, ये भी कह दिया गया था. हमने सरकार का पक्ष पूरी तरह कोर्ट में रखा है, और वो वही है जो हमारे घोषणा पत्र में हम लिखते हैं. इसलिए सुप्रीम कोर्ट के न्याय का हम इंतजार कर रहे हैं. लेकिन, चर्चा ये होनी चाहिए कि कांग्रेस पार्टी ने सुप्रीम कोर्ट में ये क्यों कहा कि इस मामले को 2019 तक मत सुलझाइए. राम जन्मभूमि का राजनीतिकरण क्यों किया. न्यायपालिका के ऊपर राजनीतिक दबाव खुलेआम भरी कोर्ट में कैसे दिया गया. ये चिंता और चर्चा का विषय होना चाहिए.
3. किसानों की नाराजगी... न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP)...
पीएम मोदी का जवाब- उसी प्रकार से किसान... हमने वादा किया था. 2007 में स्वामीनाथन कमीशन की रिपोर्ट आई. कांग्रेस ने 2004 और 2009 में वादे किए थे, कि वे किसानों को डायरेक्ट बेनिफिट में पैसे देंगे. एक भी निभाया नहीं. स्वामीनाथन कमीशन को पटरी पर डाल दिया था. हमने आकर उसे निकाला, स्टडी किया, और हमने लागत का डेढ़ गुना मूल्य देने को तय किया. इतना ही नहीं, पहले की तुलना में सबसे ज्यादा हम खरीदी कर रहे हैं. मैं महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री से बात कर रहा था. वे बता रहे थे कि जब शरद पवार कृषि मंत्री थे, और वहां उनकी सरकार (कांग्रेस-NCP की) थी. तब वहां 400-500 करोड़ रुपये की खरीदी करते थे. आज वह 7000 करोड़ रुपये की खरीदी कर रहे हैं. किसान के लिए क्या कुछ नहीं कर रहे हैं...
4- आंदोलन मवेशियों को लेकर भी था. किसानों के लिए पशु एक समस्या हो गए थे. इससे कैसे निपटेगी सरकार?
पीएम मोदी का जवाब- इसलिए, हमारी सरकार ने इस बार घोषणा पत्र में कहा है कि हम जो किसानों की आय दोगुनी करने की बात कह रहे हैं, इसमें खेती है. अन्नदाता ऊर्जा दाता बने. सोलर पंप का उपयोग करे, जिससे लागत कम हो. हनी को साइड में खेती में करता रहे... मधुमक्खी को... ताकि हनी को बड़ा बाजार मिले. पॉल्ट्री फार्म वालों को, फिशरिज वालों को मदद मिले. पशुपालन को भी मदद मिले. इन सारी चीजों का हम एप्रोच लेकर चले हैं. इसके कारण आज दूध के उत्पादन में देश में सबसे बड़ी क्रांति हुई है, क्वांटम बढ़ा है.