वाराणसी: आर्थिक अपराध शाखा यानि ईओडब्लू वाराणसी (Economic Offences Wing Varanasi) की टीम द्वारा चर्चित बलिया खाद्यान्न घोटाला (Ballia Food Scam) में पूर्व ब्लॉक प्रमुख समेत तीन अभियुक्तों को शुक्रवार को गिरफ्तार (Arrest) कर लिया गया. इस प्रकरण में मानक के अनुरुप कार्य न करा कर अधिकारियों-कर्मचारियों द्वारा ब्लॉक प्रमुख व कोटेदारों से मिली भगत करते हुए 50 लाख रुपये का गबन (Embezzlement of 50 lakh rupees) किया गया था.
श्रमिकों को खाद्यान्न व नकद पैसे दिए जाने के दिए गए थे निर्देश
दरअसल, सम्पूर्ण ग्रामीण रोजगार योजना (Sampoorna Rural Rozgar Yojana) का क्रियान्वयन केंद्र सरकार/राज्य सरकार द्वारा वर्ष 2002 से 2005 के मध्य जनपद बलिया में किया गया. इस कार्यक्रम को सही और सुचारू से संचालित करने के लिए जिले के शीर्ष अधिकारियों को जिम्मेदारी दी गई थी. इस योजना के तहत जनपद के विभिन्न गांवों में मिट्टी, नाली निर्माण (Drain construction), खड़ंजा निर्माण, पटरी मरम्मत कार्य आदि श्रमिकों को श्रम के बदले खाद्यान्न (Food Grains) और नकद पैसे दिए जाने का निर्देश दिया गया था.
50 लाख रुपये का किया गया गबन
ईओडब्लू वाराणसी ने घोटाले की विवेचना में पाया कि ब्लॉक प्रमुख एवं कोटेदारों से मिलीभगत कर कार्ययोजनाओं की पत्रावलियों पर पेमेंट आर्डर, मास्टर रोल एवं खाद्यान्न वितरण रजिस्टर (Food grain distribution register) में कूटरचना कर केंद्र सरकार के निर्देशों को गंभीरता से न लेते हुए इस योजना को जबरदस्त चूना लगाया गया था. वहीं श्रमिकों का चयन भी मनमाने तरीके से किया गया था और उनका नाम पता भी फर्जी पाया गया. मानक के अनुरुप कार्य न करा कर जिम्मेदार अधिकारियों-कर्मचारियों द्वारा ब्लॉक प्रमुख व कोटेदारों से मिलीभगत करते हुए सरकारी धन लगभग 20 लाख रुपये और लगभग 4400 कुंतल खाद्यान्न (कीमत लगभग 30 लाख) समेत कुल 50 लाख रुपये का गबन किया गया था.
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तीन अभियुक्त गिरफ्तार
ईओडब्लू सेक्टर वाराणसी के पुलिस अधीक्षक डॉ. प्रदीप कुमार ने अभियुक्तों की तलाश गिरफ्तारी के लिए दो टीमों का गठन किया, जिसके बाद शुक्रवार दोपहर में मनियर थाना क्षेत्र से स्थानीय पुलिस के सहयोग से इस घटना में संलिप्त पूर्व ब्लॉक प्रमुख समेत तीन अभियुक्तों को गिरफ्तार कर लिया गया. पकड़े गए अभियुक्तों में बलिया के मनियर से तत्कालीन ब्लॉक प्रमुख प्रभुनाथ पटेल, ग्राम पंचायत विकास अधिकारी रहे तुलसी राम व तत्कालीन कोटेदार ऋषभदेव सिंह शामिल हैं.