वाराणसी: कश्मीर में कश्मीरी पंडितों को लेकर हुए भेदभाव और उनके साथ हुए अत्याचार पर हाल ही में सिनेमाघरों में हंगामा मचाने वाली फिल्म द कश्मीर फाइल्स (The Kashmir Files) के बाद लगातार कश्मीर में हिंदुओं को स्थापित करने और वहां मौजूद धार्मिक स्थानों को फिर खोलने की मांग उठने लगी है. इसे लेकर धर्म नगरी वाराणसी में भी विद्वान एकजुट हो गए हैं और श्री काशी विद्वत कर्मकांड परिषद की तरफ से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखकर कश्मीर में स्थापित मंदिरों का जीर्णोद्धार करने और यहां पर पूजा पाठ फिर शुरू करवाने की मांग की. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 2014 में काशी विश्वनाथ मंदिर में पूजा करवाने वाले ब्राह्मणों ने प्रधानमंत्री से उस वक्त कराई गई पूजा के लिए दक्षिणा मांगी है. उन्होंने दक्षिणा में कश्मीर के मंदिरों की देखरेख और पूजा पाठ की जिम्मेदारी उन्हें देने की मांग की.
उन्होंने कहा कि बैठक के माध्यम से हमने प्रधानमंत्री मोदी को चिट्ठी लिखकर इस मांग को पहुंचाने का काम किया. आचार्य अशोक द्विवेदी ने कहा कि जिस तरह से कश्मीर में पंडितों के साथ व्यवहार हुआ. वहां के हिंदुओं को वहां से भगाया गया. उसके बाद से 50 से ज्यादा ऐसे मंदिर हैं, जो अब तक बंद पड़े हैं. वहां न पूजा हो रही है, न अनुष्ठान हो रहे हैं. यही वजह है कि प्रधानमंत्री मोदी को चिट्ठी लिखकर हमने यह मांग की है. इन मंदिरों में पूजा-पाठ और इनके पुनर्स्थापना का कार्य काशी के विद्वानों की देखरेख में फिर से शुरू कराया जाए, ताकि हम अपने इश्वर को जागृत करके अपने धर्म की रक्षा के लिए आगे आ सकें.
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आचार्य अशोक द्विवेदी ने कहा कि कश्मीरी पंडितों के पलायन के बाद 1990 से मंदिरों में पूजा-पाठ, भोग इत्यादि पूरी तरह से बंद है. इसलिए मंदिर में दोबारा पूजा पाठ और इनका जीर्णोद्धार बेहद जरूरी है. कर्मकांड परिषद ने प्रधानमंत्री के अलावा राष्ट्रपति को भी खत लिखेगा. अनुमति मिलने के बाद परिषद के निर्देशन में काशी के विद्वानों का एक विशिष्ट दल कश्मीर भेजने की तैयारी की जाएगी, ताकि वहां के मंदिरों के कपाट फिर खोलकर नित्य प्रतिदिन पूजा-पाठ आरती की प्रक्रिया शुरू की जा सके.
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