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काशी विश्वनाथ मंदिर में इंद्रेश कुमार ने दलित और आदिवासी महिलाओं के साथ की पूजा - राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रचारक इंद्रेश कुमार (Indresh Kumar) गुरुवार को अनुसूचित और आदिवासी महिलाओं के साथ काशी विश्वनाथ मंदिर पहुंचे. यहां पूजा-अर्चना के बाद उन्होंने कहा कि यह सामाजिक समरसता की शुरुआत है.

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काशी विश्वनाथ मंदिर इंद्रेश कुमार
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Published : Mar 31, 2022, 7:18 PM IST

वाराणसी: दलित और आदिवासी महिलाएं गुरुवार को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक इंद्रेश कुमार के साथ काशी विश्वनाथ मंदिर पहुंचीं. इन्होंने पहली बार बाबा विश्वनाथ के मंदिर में पूजा की. बाबा विश्वनाथ के दरबार में किसी के भी दर्शन-पूजन की मनाही नहीं है, लेकिन इस समाज के कुछ लोग संकोच कर रहे थे.

काशी विश्वनाथ मंदिर पहुंचीं अनुसूचित और आदिवासी महिलाएं

रामपंथ और विशाल भारत संस्थान के संयुक्त तत्वाधान में भारत के इतिहास में समानता, बंधुत्व और प्रेम की क्रांति बाबा विश्वनाथ कॉरिडोर से निकलकर पूरी दुनियां में गयी. मुसहर के साथ ही अन्य दलित जातियों की महिलाओं ने पहली बार विश्वनाथ मंदिर में पूजा की. ये सभी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के नेता इन्द्रेश कुमार के साथ काशी विश्वनाथ मंदिर में पहुंचीं.

दलित और मुसहर बस्ती की महिलाएं पिछले 15 दिन से दर्शन की तैयारी कर रही थीं. काशी के आस-पास के जिलों से आए दलित परिवार यहां पूजा करने को लेकर उत्साहित थे. दर्शन के बाद दलित समाज की महिलाओं ने कहा कि मंदिर में जाने की मनाही नहीं थी, लेकिन हमें कोई मंदिर ले जाने वाला भी नहीं था. कोई कुछ कह न दे, इस संकोच के कारण कभी मन्दिर नहीं गए. मन में हमेशा था कि कोई काशी विश्वनाथ मंदिर ले जाता, तो अच्छा होता.

ये भी पढ़ें- अलीगढ़ में शराब की बिक्री 27 फीसदी बढ़ी, एक साल में लोगों ने गटकी 6 अरब की दारू


राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक इंद्रेश कुमार ने कहा कि आजाद भारत की पहली घटना है, जब इतनी बड़ी संख्या में पहली बार दलित और अल्पसंख्यक समाज की महिलाओं ने काशी विश्वनाथ मंदिर में प्रवेश किया. सामाजिक समरसता और समानता की क्रांति की शुरुआत हो चुकी है. अब गांव-गांव से चलो विश्वनाथ दरबार का नारा गूंजेगा. दलित, जनजातीय समाज अयोध्या, काशी और मथुरा की ओर दर्शन पूजन करने के निकलेगा.
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वाराणसी: दलित और आदिवासी महिलाएं गुरुवार को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक इंद्रेश कुमार के साथ काशी विश्वनाथ मंदिर पहुंचीं. इन्होंने पहली बार बाबा विश्वनाथ के मंदिर में पूजा की. बाबा विश्वनाथ के दरबार में किसी के भी दर्शन-पूजन की मनाही नहीं है, लेकिन इस समाज के कुछ लोग संकोच कर रहे थे.

काशी विश्वनाथ मंदिर पहुंचीं अनुसूचित और आदिवासी महिलाएं

रामपंथ और विशाल भारत संस्थान के संयुक्त तत्वाधान में भारत के इतिहास में समानता, बंधुत्व और प्रेम की क्रांति बाबा विश्वनाथ कॉरिडोर से निकलकर पूरी दुनियां में गयी. मुसहर के साथ ही अन्य दलित जातियों की महिलाओं ने पहली बार विश्वनाथ मंदिर में पूजा की. ये सभी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के नेता इन्द्रेश कुमार के साथ काशी विश्वनाथ मंदिर में पहुंचीं.

दलित और मुसहर बस्ती की महिलाएं पिछले 15 दिन से दर्शन की तैयारी कर रही थीं. काशी के आस-पास के जिलों से आए दलित परिवार यहां पूजा करने को लेकर उत्साहित थे. दर्शन के बाद दलित समाज की महिलाओं ने कहा कि मंदिर में जाने की मनाही नहीं थी, लेकिन हमें कोई मंदिर ले जाने वाला भी नहीं था. कोई कुछ कह न दे, इस संकोच के कारण कभी मन्दिर नहीं गए. मन में हमेशा था कि कोई काशी विश्वनाथ मंदिर ले जाता, तो अच्छा होता.

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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक इंद्रेश कुमार ने कहा कि आजाद भारत की पहली घटना है, जब इतनी बड़ी संख्या में पहली बार दलित और अल्पसंख्यक समाज की महिलाओं ने काशी विश्वनाथ मंदिर में प्रवेश किया. सामाजिक समरसता और समानता की क्रांति की शुरुआत हो चुकी है. अब गांव-गांव से चलो विश्वनाथ दरबार का नारा गूंजेगा. दलित, जनजातीय समाज अयोध्या, काशी और मथुरा की ओर दर्शन पूजन करने के निकलेगा.
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