वाराणसी: बनारस अभी भी बाढ़ की विभीषिका से उबरा नहीं है. गंगा का जलस्तर अब नीचे तो आया गया है. लेकिन, खतरा अब भी टला नहीं है. इसकी बड़ी वजह यह है कि पहाड़ों में अभी भी बारिश का दौर जारी है. गंगा के जलस्तर में बढ़ोतरी का अंदेशा लगाया जा रहा है. हाल ही में गंगा के जलस्तर में तेजी से वृद्धि हुई थी. गंगा खतरे के निशान से काफी ऊपर पहुंचने के बाद अपनी सहायक नदी वरुणा के साथ लोगों के लिए मुसीबत का सबब बन गई थी. लगभग 15,000 से ज्यादा परिवार इससे प्रभावित हुए थे और लाखों की संख्या में लोगों को अपना घर छोड़कर शरणार्थी शिविर में शरण लेनी पड़ी थी.
बाढ़ के चलते लोगों के सामने खाने-पीने का बड़ा संकट था. इन सबके बीच यूपी सरकार मदद के लिए आगे आई. खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बनारस पहुंचकर लोगों को बाढ़ राहत सामग्री का पैकेट वितरण किया. लेकिन, इस वितरण के दौरान एक तरफ जहां नगर निकाय चुनाव को लेकर बीजेपी के प्रचार का एक अनोखा तरीका दिखा तो इसी तरीके पर समाजवादी पार्टी ने भी चलकर निकाय चुनाव से पहले बाढ़ राहत के नाम पर वोट बैंक को साधने का बड़ा प्रयास किया है. क्या है बाढ़ राहत के नाम पर निकाय चुनाव से पहले इस राजनीति प्लानिंग का खेल आप भी जानिए.
इसे भी पढ़े-अयोध्या की समदा झील को संवार रही योगी सरकार, यहां राम का गुणगान करते थे पक्षी
इसमें समाजवादी पार्टी के झंडे के रंग के साथ पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की तस्वीर लगाकर सपा ने 2 किलो चावल, 2 किलो आटा, रोटी, सरसों के तेल की शीशी, 1 किलो दाल और अन्य जरूरत की चीजों को राशन के पैकेट के साथ लोगों के बीच वितरित करना शुरू कर दिया.
सबसे बड़ी बात यह है कि एक तरफ जहां सरकारी मदद के नाम पर हजारों की संख्या में राहत पैकेट बांटे गए तो समाजवादी पार्टी ने भी 10,000 से ज्यादा पैकेट बांटने का दावा किया है, जोकि अभी भी जारी है. इस राहत सामग्री में भले ही राशन के जरिए लोगों की भूख को मिटाने का दावा दोनों पार्टी कर रही हों. लेकिन, कहीं न कहीं से निकाय चुनाव से पहले बाढ़ राहत के नाम पर राजनीतिक छवि को सुधारते हुए अपना प्रचार करने का यह बड़ा तरीका भी माना जा सकता है.
इसकी बड़ी वजह है कि वरुणा के तटीय इलाकों में मुस्लिम वोट बैंक साधने के लिए जहां भारतीय जनता पार्टी राशन के पैकेट बांट रही है तो वहीं, हिंदू बाहुल्य इलाके में लोगों की मदद के लिए बीजेपी के नेता लगातार पानी में उतरकर मदद करने का प्रयास कर रहे हैं. यानी की कुल मिलाकर इस मुसीबत की घड़ी में भी नेता अपना राजनीतिक उल्लू सीधा करने के लिए पार्टी की छवि और पार्टी के नेताओं की तस्वीरें और झंडे के रंग के साथ राहत पैकेज का वितरण कर अपनी राजनीतिक रोटियां सेकने से बाज नहीं आ रहे हैं.
यह भी पढ़े-झोलाछाप डॉक्टरों पर रणनीति बनाकर होगी कार्रवाई: डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक