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बाढ़ राहत के नाम पर बनारस में जारी है राजनीति, मुसीबत में नेता निकाय चुनावों की तैयारियों में जुटे

बाढ़ राहत के नाम पर बनारस में राजनीति जारी है. बाढ़ के चलते लोगों के सामने खाने-पीने का बड़ा संकट था. इन सबके बीच खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बनारस पहुंचकर लोगों को बाढ़ राहत सामग्री का पैकेट वितरण किया. इस वितरण के दौरान नगर निकाय चुनाव को लेकर बीजेपी के प्रचार का एक अनोखा तरीका दिखा. वहीं, समाजवादी पार्टी ने भी बाढ़ राहत के नाम पर वोट बैंक को साधने का बड़ा प्रयास किया.

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बाढ़ राहत के नाम पर राजनीति
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Published : Sep 7, 2022, 11:49 AM IST

वाराणसी: बनारस अभी भी बाढ़ की विभीषिका से उबरा नहीं है. गंगा का जलस्तर अब नीचे तो आया गया है. लेकिन, खतरा अब भी टला नहीं है. इसकी बड़ी वजह यह है कि पहाड़ों में अभी भी बारिश का दौर जारी है. गंगा के जलस्तर में बढ़ोतरी का अंदेशा लगाया जा रहा है. हाल ही में गंगा के जलस्तर में तेजी से वृद्धि हुई थी. गंगा खतरे के निशान से काफी ऊपर पहुंचने के बाद अपनी सहायक नदी वरुणा के साथ लोगों के लिए मुसीबत का सबब बन गई थी. लगभग 15,000 से ज्यादा परिवार इससे प्रभावित हुए थे और लाखों की संख्या में लोगों को अपना घर छोड़कर शरणार्थी शिविर में शरण लेनी पड़ी थी.

बाढ़ के चलते लोगों के सामने खाने-पीने का बड़ा संकट था. इन सबके बीच यूपी सरकार मदद के लिए आगे आई. खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बनारस पहुंचकर लोगों को बाढ़ राहत सामग्री का पैकेट वितरण किया. लेकिन, इस वितरण के दौरान एक तरफ जहां नगर निकाय चुनाव को लेकर बीजेपी के प्रचार का एक अनोखा तरीका दिखा तो इसी तरीके पर समाजवादी पार्टी ने भी चलकर निकाय चुनाव से पहले बाढ़ राहत के नाम पर वोट बैंक को साधने का बड़ा प्रयास किया है. क्या है बाढ़ राहत के नाम पर निकाय चुनाव से पहले इस राजनीति प्लानिंग का खेल आप भी जानिए.

भाजयुमो जिलाध्यक्ष और सपा नेता किशन दीक्षित ने दी जानकारी
दरअसल, गंगा और वरुणा एक साथ बनारस में बाढ़ की वजह से बड़ी आबादी के लिए परेशानी का सबब बन गई हैं. एक तरफ गंगा के कारण जहां सामने घाट की लगभग 12 कॉलोनियां प्रभावित हुई हैं. वहीं, हजारों की संख्या में परिवार अपने घरों को छोड़कर सुरक्षित स्थानों पर भूखे प्यासे पहुंचने लगे. वरुणा ने भी तटीय इलाकों में तबाही मचाते हुए बड़ी आबादी को खाने पीने से दूर कर दिया. इसके बाद राजनीतिक चेहरे इनकी मदद को सामने आए. भारतीय जनता पार्टी ने तो बाकायदा सभी पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं को लोगों की मदद के लिए आगे आकर घर-घर तक राहत सामग्री पहुंचाने के लिए कहा. वहीं, समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी बनारस की समाजवादी पार्टी की इकाई को एक्टिव किया और लोगों तक राहत सामग्री के नाम पर राशन के पैकेट पहुंचाने के लिए निर्देशित किया. लेकिन, इस सबके बीच राहत के नाम पर राजनीति का एक नया चेहरा देखने को मिला है. क्योंकि जहां 10 किलो आटा, 10 किलो चावल, तेल की शीशी और दाल के अलावा मोमबत्ती और अन्य जरूरत की चीजें एक पैकेट में रखकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने खुद बाढ़ पीड़ितों तक पहुंचाया तो वहीं इसके बाद समाजवादी पार्टी ने भी बाढ़ राहत के नाम पर निकाय चुनाव से पहले वोट बैंक को साधने के लिए एक बाढ़ राहत सामग्री का झोला तैयार किया.

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इसमें समाजवादी पार्टी के झंडे के रंग के साथ पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की तस्वीर लगाकर सपा ने 2 किलो चावल, 2 किलो आटा, रोटी, सरसों के तेल की शीशी, 1 किलो दाल और अन्य जरूरत की चीजों को राशन के पैकेट के साथ लोगों के बीच वितरित करना शुरू कर दिया.

सबसे बड़ी बात यह है कि एक तरफ जहां सरकारी मदद के नाम पर हजारों की संख्या में राहत पैकेट बांटे गए तो समाजवादी पार्टी ने भी 10,000 से ज्यादा पैकेट बांटने का दावा किया है, जोकि अभी भी जारी है. इस राहत सामग्री में भले ही राशन के जरिए लोगों की भूख को मिटाने का दावा दोनों पार्टी कर रही हों. लेकिन, कहीं न कहीं से निकाय चुनाव से पहले बाढ़ राहत के नाम पर राजनीतिक छवि को सुधारते हुए अपना प्रचार करने का यह बड़ा तरीका भी माना जा सकता है.

इसकी बड़ी वजह है कि वरुणा के तटीय इलाकों में मुस्लिम वोट बैंक साधने के लिए जहां भारतीय जनता पार्टी राशन के पैकेट बांट रही है तो वहीं, हिंदू बाहुल्य इलाके में लोगों की मदद के लिए बीजेपी के नेता लगातार पानी में उतरकर मदद करने का प्रयास कर रहे हैं. यानी की कुल मिलाकर इस मुसीबत की घड़ी में भी नेता अपना राजनीतिक उल्लू सीधा करने के लिए पार्टी की छवि और पार्टी के नेताओं की तस्वीरें और झंडे के रंग के साथ राहत पैकेज का वितरण कर अपनी राजनीतिक रोटियां सेकने से बाज नहीं आ रहे हैं.

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वाराणसी: बनारस अभी भी बाढ़ की विभीषिका से उबरा नहीं है. गंगा का जलस्तर अब नीचे तो आया गया है. लेकिन, खतरा अब भी टला नहीं है. इसकी बड़ी वजह यह है कि पहाड़ों में अभी भी बारिश का दौर जारी है. गंगा के जलस्तर में बढ़ोतरी का अंदेशा लगाया जा रहा है. हाल ही में गंगा के जलस्तर में तेजी से वृद्धि हुई थी. गंगा खतरे के निशान से काफी ऊपर पहुंचने के बाद अपनी सहायक नदी वरुणा के साथ लोगों के लिए मुसीबत का सबब बन गई थी. लगभग 15,000 से ज्यादा परिवार इससे प्रभावित हुए थे और लाखों की संख्या में लोगों को अपना घर छोड़कर शरणार्थी शिविर में शरण लेनी पड़ी थी.

बाढ़ के चलते लोगों के सामने खाने-पीने का बड़ा संकट था. इन सबके बीच यूपी सरकार मदद के लिए आगे आई. खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बनारस पहुंचकर लोगों को बाढ़ राहत सामग्री का पैकेट वितरण किया. लेकिन, इस वितरण के दौरान एक तरफ जहां नगर निकाय चुनाव को लेकर बीजेपी के प्रचार का एक अनोखा तरीका दिखा तो इसी तरीके पर समाजवादी पार्टी ने भी चलकर निकाय चुनाव से पहले बाढ़ राहत के नाम पर वोट बैंक को साधने का बड़ा प्रयास किया है. क्या है बाढ़ राहत के नाम पर निकाय चुनाव से पहले इस राजनीति प्लानिंग का खेल आप भी जानिए.

भाजयुमो जिलाध्यक्ष और सपा नेता किशन दीक्षित ने दी जानकारी
दरअसल, गंगा और वरुणा एक साथ बनारस में बाढ़ की वजह से बड़ी आबादी के लिए परेशानी का सबब बन गई हैं. एक तरफ गंगा के कारण जहां सामने घाट की लगभग 12 कॉलोनियां प्रभावित हुई हैं. वहीं, हजारों की संख्या में परिवार अपने घरों को छोड़कर सुरक्षित स्थानों पर भूखे प्यासे पहुंचने लगे. वरुणा ने भी तटीय इलाकों में तबाही मचाते हुए बड़ी आबादी को खाने पीने से दूर कर दिया. इसके बाद राजनीतिक चेहरे इनकी मदद को सामने आए. भारतीय जनता पार्टी ने तो बाकायदा सभी पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं को लोगों की मदद के लिए आगे आकर घर-घर तक राहत सामग्री पहुंचाने के लिए कहा. वहीं, समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी बनारस की समाजवादी पार्टी की इकाई को एक्टिव किया और लोगों तक राहत सामग्री के नाम पर राशन के पैकेट पहुंचाने के लिए निर्देशित किया. लेकिन, इस सबके बीच राहत के नाम पर राजनीति का एक नया चेहरा देखने को मिला है. क्योंकि जहां 10 किलो आटा, 10 किलो चावल, तेल की शीशी और दाल के अलावा मोमबत्ती और अन्य जरूरत की चीजें एक पैकेट में रखकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने खुद बाढ़ पीड़ितों तक पहुंचाया तो वहीं इसके बाद समाजवादी पार्टी ने भी बाढ़ राहत के नाम पर निकाय चुनाव से पहले वोट बैंक को साधने के लिए एक बाढ़ राहत सामग्री का झोला तैयार किया.

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इसमें समाजवादी पार्टी के झंडे के रंग के साथ पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की तस्वीर लगाकर सपा ने 2 किलो चावल, 2 किलो आटा, रोटी, सरसों के तेल की शीशी, 1 किलो दाल और अन्य जरूरत की चीजों को राशन के पैकेट के साथ लोगों के बीच वितरित करना शुरू कर दिया.

सबसे बड़ी बात यह है कि एक तरफ जहां सरकारी मदद के नाम पर हजारों की संख्या में राहत पैकेट बांटे गए तो समाजवादी पार्टी ने भी 10,000 से ज्यादा पैकेट बांटने का दावा किया है, जोकि अभी भी जारी है. इस राहत सामग्री में भले ही राशन के जरिए लोगों की भूख को मिटाने का दावा दोनों पार्टी कर रही हों. लेकिन, कहीं न कहीं से निकाय चुनाव से पहले बाढ़ राहत के नाम पर राजनीतिक छवि को सुधारते हुए अपना प्रचार करने का यह बड़ा तरीका भी माना जा सकता है.

इसकी बड़ी वजह है कि वरुणा के तटीय इलाकों में मुस्लिम वोट बैंक साधने के लिए जहां भारतीय जनता पार्टी राशन के पैकेट बांट रही है तो वहीं, हिंदू बाहुल्य इलाके में लोगों की मदद के लिए बीजेपी के नेता लगातार पानी में उतरकर मदद करने का प्रयास कर रहे हैं. यानी की कुल मिलाकर इस मुसीबत की घड़ी में भी नेता अपना राजनीतिक उल्लू सीधा करने के लिए पार्टी की छवि और पार्टी के नेताओं की तस्वीरें और झंडे के रंग के साथ राहत पैकेज का वितरण कर अपनी राजनीतिक रोटियां सेकने से बाज नहीं आ रहे हैं.

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