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अक्षय तृतीया:अक्षय तृतीया पर सोना खरीदने का है खास महत्व या फिर कोई खेल! जाने स्वर्ण खरीदारी का रहस्य

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Published : May 2, 2022, 4:03 PM IST

Updated : May 2, 2022, 4:57 PM IST

अक्षय तृतीया पर सोने का खेल, यह सुनकर आप भी हैरान हो गए होंगे कि भला यह कैसी बात है, लेकिन यह हकीकत है. इस दिन सोना खरीदना शुभ फलदाई माना जाता है. लेकिन हैरान करने वाली बात यह है कि इस दिन सोना खरीदने का कोई प्रमाण किसी भी धर्म शास्त्र में नहीं है.

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अक्षय तृतीया

वाराणसी: अक्षय तृतीया पर सोने का खेल, यह सुनकर आप भी हैरान हो गए होंगे कि भला यह कैसी बात है, लेकिन यह हकीकत है. इसे हम नहीं कह रहे बल्कि यह काशी के प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्यों का कहना है, जिनकी बातों पर बीएचयू का ज्योतिष विज्ञान केंद्र मोहर लगा रहा है. कैसे यह संभव है, जानने के लिए देखें, हमारी यह रिपोर्ट.

अक्षय तृतीया पर होता है सोने का खेलः अक्षय तृतीया वैशाख के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है. कहा जाता है कि इस दिन त्रेता युग की शुरुआत हुई थी. सनातन धर्म में इस पर्व को विशेष शुभ दिन माना जाता है. शास्त्रों के अनुसार इस दिन विशेष रूप से स्नान, दान, जप, तप, हवन कर्म करने का प्रावधान है. क्योंकि इन सभी किए हुए कर्मों का इस दिन अनंत फल मिलता है और सारे बुरे कर्म अक्षय हो जाते हैं. इसीलिए इस पर्व को अक्षय कहते हैं.

अक्षय तृतीया पर रिपोर्ट

आधुनिक काल में इस पर्व को लोकाचार ने सोने की खरीद से जोड़कर बताया, कहा गया कि इस दिन सोना खरीदना शुभ फलदाई माना जाता है. लेकिन हैरान करने वाली बात यह है कि इस दिन सोना खरीदने का कोई प्रमाण किसी भी धर्म शास्त्र में नहीं है. यह बात हम नहीं कह रहे बल्कि काशी के प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्यों (Famous Astrologers of Kashi) का कहना है.

धर्म शास्त्र में नहीं है स्वर्णक्रय का प्रावधानः काशी के प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य पंडित पवन त्रिपाठी (Famous Astrologer Pandit Pawan Tripathi) का कहना है कि वर्तमान में बाजारीकरण व्यवस्था ने इस त्योहार के मूल स्वरूप को खत्म कर दिया और उस दिन सोना खरीदने के महत्व को स्थापित कर दिया, जबकि इस दिन खरीदने का कोई प्रमाण किसी भी धर्म शास्त्र में नहीं मिलता. उनका कहना है कि अक्षय तृतीया पर दान को प्रमुख माना गया है. इसीलिए इस दिन दान करने की परंपरा धर्म ग्रंथों में कही गई है.

इसे भी पढ़ेंः अक्षय तृतीया पर बन रहे दो शुभ योग, नई शुरुआत के लिए खास है यह दिन

कलयुग में होता है सोने का वास
उन्होंने बताया कि धार्मिक ग्रंथ श्रीमद्भागवत गीता (Religious book Shrimad Bhagwat Geeta) की माने तो सोने में कलयुग का वास (Kalyug abode in gold) होता है, इसलिए दान का महत्व है ना कि स्वर्ण के क्रय करने का. वर्तमान समाज मे लोगों ने अपने अनुसार इस पर्व का बाजारीकरण कर दिया है ,जो कि धर्म के साथ पूरी तरीके से खिलवाड़ है इसलिए इस दिन क्रय करना मुख्य तौर पर सोना, एक धार्मिक अपराध हैं."

वहीं, प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य के दावों को काशी हिंदू विश्वविद्यालय के संस्कृत विद्या धर्म संकाय का ज्योतिष विज्ञान केंद्र प्रमाणित करता है. ज्योतिष विज्ञान केंद्र के विभागाध्यक्ष (Head of Department of Astrology Center) विनय पांडे का कहना है कि धर्म ग्रंथ सनातन धर्म की प्रमाणिकता को बताते हैं और उनमें अक्षय तृतीया पर 3 कर्मों को प्रमुख रूप से करने के लिए बताया गया है. इसमें स्नान, दान और होम का विशेष महत्व है परंतु इसमें कहीं पर भी स्वर्ण का प्रावधान नहीं है.

स्वर्ण दान की परंपरा को बताया गया है वह भी आम जनमानस के सामर्थ्य के अनुसार. उन्होंने बताया कि वर्तमान समय में लोका चारों की बढ़ावे के कारण इस पर्व के ऊपर सोना खरीदने की व्यवस्था को बताया गया है जो कि किसी भी धर्म ग्रंथ में प्रमाणित नहीं करता है.

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वाराणसी: अक्षय तृतीया पर सोने का खेल, यह सुनकर आप भी हैरान हो गए होंगे कि भला यह कैसी बात है, लेकिन यह हकीकत है. इसे हम नहीं कह रहे बल्कि यह काशी के प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्यों का कहना है, जिनकी बातों पर बीएचयू का ज्योतिष विज्ञान केंद्र मोहर लगा रहा है. कैसे यह संभव है, जानने के लिए देखें, हमारी यह रिपोर्ट.

अक्षय तृतीया पर होता है सोने का खेलः अक्षय तृतीया वैशाख के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है. कहा जाता है कि इस दिन त्रेता युग की शुरुआत हुई थी. सनातन धर्म में इस पर्व को विशेष शुभ दिन माना जाता है. शास्त्रों के अनुसार इस दिन विशेष रूप से स्नान, दान, जप, तप, हवन कर्म करने का प्रावधान है. क्योंकि इन सभी किए हुए कर्मों का इस दिन अनंत फल मिलता है और सारे बुरे कर्म अक्षय हो जाते हैं. इसीलिए इस पर्व को अक्षय कहते हैं.

अक्षय तृतीया पर रिपोर्ट

आधुनिक काल में इस पर्व को लोकाचार ने सोने की खरीद से जोड़कर बताया, कहा गया कि इस दिन सोना खरीदना शुभ फलदाई माना जाता है. लेकिन हैरान करने वाली बात यह है कि इस दिन सोना खरीदने का कोई प्रमाण किसी भी धर्म शास्त्र में नहीं है. यह बात हम नहीं कह रहे बल्कि काशी के प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्यों (Famous Astrologers of Kashi) का कहना है.

धर्म शास्त्र में नहीं है स्वर्णक्रय का प्रावधानः काशी के प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य पंडित पवन त्रिपाठी (Famous Astrologer Pandit Pawan Tripathi) का कहना है कि वर्तमान में बाजारीकरण व्यवस्था ने इस त्योहार के मूल स्वरूप को खत्म कर दिया और उस दिन सोना खरीदने के महत्व को स्थापित कर दिया, जबकि इस दिन खरीदने का कोई प्रमाण किसी भी धर्म शास्त्र में नहीं मिलता. उनका कहना है कि अक्षय तृतीया पर दान को प्रमुख माना गया है. इसीलिए इस दिन दान करने की परंपरा धर्म ग्रंथों में कही गई है.

इसे भी पढ़ेंः अक्षय तृतीया पर बन रहे दो शुभ योग, नई शुरुआत के लिए खास है यह दिन

कलयुग में होता है सोने का वास
उन्होंने बताया कि धार्मिक ग्रंथ श्रीमद्भागवत गीता (Religious book Shrimad Bhagwat Geeta) की माने तो सोने में कलयुग का वास (Kalyug abode in gold) होता है, इसलिए दान का महत्व है ना कि स्वर्ण के क्रय करने का. वर्तमान समाज मे लोगों ने अपने अनुसार इस पर्व का बाजारीकरण कर दिया है ,जो कि धर्म के साथ पूरी तरीके से खिलवाड़ है इसलिए इस दिन क्रय करना मुख्य तौर पर सोना, एक धार्मिक अपराध हैं."

वहीं, प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य के दावों को काशी हिंदू विश्वविद्यालय के संस्कृत विद्या धर्म संकाय का ज्योतिष विज्ञान केंद्र प्रमाणित करता है. ज्योतिष विज्ञान केंद्र के विभागाध्यक्ष (Head of Department of Astrology Center) विनय पांडे का कहना है कि धर्म ग्रंथ सनातन धर्म की प्रमाणिकता को बताते हैं और उनमें अक्षय तृतीया पर 3 कर्मों को प्रमुख रूप से करने के लिए बताया गया है. इसमें स्नान, दान और होम का विशेष महत्व है परंतु इसमें कहीं पर भी स्वर्ण का प्रावधान नहीं है.

स्वर्ण दान की परंपरा को बताया गया है वह भी आम जनमानस के सामर्थ्य के अनुसार. उन्होंने बताया कि वर्तमान समय में लोका चारों की बढ़ावे के कारण इस पर्व के ऊपर सोना खरीदने की व्यवस्था को बताया गया है जो कि किसी भी धर्म ग्रंथ में प्रमाणित नहीं करता है.

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Last Updated : May 2, 2022, 4:57 PM IST
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