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शिया समुदाय ने निकाला एहतेजाजी अलम का जुलूस, सरकार से की मांग - शिया समुदाय

वाराणसी की अंजुमन हैदरी चौक ने कालीमहल स्थित शिया मस्जिद से एहतेजाजी जुलूस निकाला. जुलूस दारानगर स्थित जुमा मस्जिद में आकर समाप्त हुआ.

एहतेजाजी जुलूस
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Published : May 10, 2022, 8:48 PM IST

वाराणसीः सऊदी हुकूमत ने पैगम्बर साहब की बेटी सहित चार लोगों की 21 अप्रैल 1926 (8 शव्वाल 1343 हिजरी) में (जो मदीना के जन्नतुल बकी के कब्रिस्तान में है) पर बने रौजे (मकबरे) को गिरा दिया था. तब से लेकर आज तक पूरी दुनिया के शिया समुदाय के लोग इसे दोबारा बनवाने के लिए और सऊदी हुकूमत के विरोध में एहतेजाजी जुलूस निकालते हैं. इसी क्रम में वाराणसी की अंजुमन हैदरी, चौक ने कालीमहल स्थित शिया मस्जिद से मंगलवार (8 शव्वाल 1444 हिजरी) को एक एहतेजाजी जुलूस निकाला. जुलूस दारानगर स्थित जुमा मस्जिद में आकर समाप्त हुआ. इस घटना को 99 साल पूरे हो गए है.

एहतेजाजी जुलूस
कालीमहल मस्जिद से उठकर यह एहतेजाजी जुलूस नई सड़क, दालमंडी, चौक, नीचीबाग, मैदागिन होते हुए दारानगर मस्जिद पहुंचा. जुलूस अंजुमन हैदरी की दस्ता नौहा-मातम करते हुए चल रहा था. साथ ही इस जुलूस में अलम भी शामिल था. दारानगर जुमा मस्जिद पहुंचने पर शिया जुमा जमात मौलाना जफर हुसैनी ने उपस्थित लोगों को सम्बोधित करते हुए कहा कि साल 1926 में तत्कालीन सऊदी सरकार आले सऊद ने पैगाम साहब की बेटी और इमाम हसन और इमाम हुसैन की मां जनाबे फात्मा जहरा की कब्र पर बने रौजे को मिस्मार (गिरा) दिया था. यह इस्लाम की तारीख में काला दिन था.

ये भी पढ़ें : कनेक्शन काटने का आए मैसेज तो हो जाए सावधान, नहीं तो हो जाएंगे ठगी का शिकार

उन्होंने बताया कि शिया समुदाय के लोग पूरी दुनियां में ईद के महीने की 8 तारीख को इसका गम मनाते हैं और एहतेजाज करते हैं कि दुनिया इसे फिर से बनवाने में हमारे साथ आए. हमारी भारत सरकार से भी मांग है कि हमारी इस बात को सऊदी सरकार तक पहुंचाए कि उसे दोबारा से तामीर करवाया जा सके. हाजी फरमान हैदर ने बताया कि वाराणसी की अंजुमन हैदरी से यह जुलूस बीते 99 सालों से उठता चला आ रहा है. कोरोना काल में कोविड-19 का पालन करते हुए पिछले 2 वर्षों से नहीं निकाला जा रहा था.

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वाराणसीः सऊदी हुकूमत ने पैगम्बर साहब की बेटी सहित चार लोगों की 21 अप्रैल 1926 (8 शव्वाल 1343 हिजरी) में (जो मदीना के जन्नतुल बकी के कब्रिस्तान में है) पर बने रौजे (मकबरे) को गिरा दिया था. तब से लेकर आज तक पूरी दुनिया के शिया समुदाय के लोग इसे दोबारा बनवाने के लिए और सऊदी हुकूमत के विरोध में एहतेजाजी जुलूस निकालते हैं. इसी क्रम में वाराणसी की अंजुमन हैदरी, चौक ने कालीमहल स्थित शिया मस्जिद से मंगलवार (8 शव्वाल 1444 हिजरी) को एक एहतेजाजी जुलूस निकाला. जुलूस दारानगर स्थित जुमा मस्जिद में आकर समाप्त हुआ. इस घटना को 99 साल पूरे हो गए है.

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कालीमहल मस्जिद से उठकर यह एहतेजाजी जुलूस नई सड़क, दालमंडी, चौक, नीचीबाग, मैदागिन होते हुए दारानगर मस्जिद पहुंचा. जुलूस अंजुमन हैदरी की दस्ता नौहा-मातम करते हुए चल रहा था. साथ ही इस जुलूस में अलम भी शामिल था. दारानगर जुमा मस्जिद पहुंचने पर शिया जुमा जमात मौलाना जफर हुसैनी ने उपस्थित लोगों को सम्बोधित करते हुए कहा कि साल 1926 में तत्कालीन सऊदी सरकार आले सऊद ने पैगाम साहब की बेटी और इमाम हसन और इमाम हुसैन की मां जनाबे फात्मा जहरा की कब्र पर बने रौजे को मिस्मार (गिरा) दिया था. यह इस्लाम की तारीख में काला दिन था.

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उन्होंने बताया कि शिया समुदाय के लोग पूरी दुनियां में ईद के महीने की 8 तारीख को इसका गम मनाते हैं और एहतेजाज करते हैं कि दुनिया इसे फिर से बनवाने में हमारे साथ आए. हमारी भारत सरकार से भी मांग है कि हमारी इस बात को सऊदी सरकार तक पहुंचाए कि उसे दोबारा से तामीर करवाया जा सके. हाजी फरमान हैदर ने बताया कि वाराणसी की अंजुमन हैदरी से यह जुलूस बीते 99 सालों से उठता चला आ रहा है. कोरोना काल में कोविड-19 का पालन करते हुए पिछले 2 वर्षों से नहीं निकाला जा रहा था.

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