वाराणसी: काशी के प्रसिद्ध श्रृंगेरी मठ में वेदांत भारती और श्री शंकराचार्य सेवा परिषद के दो दिवसीय विराट संत समागम और सौंदर्य लहरी परायण महोत्सव का शुभारंभ हुआ. उद्घाटन सत्र में श्रृंगेरी मठ के शंकराचार्य विधुशेखर भारती के साथ भारत के प्रत्येक राज्य से आए संत, महात्मा और महामंडलेश्वर मौजूद थे. इस कार्यक्रम में चर्चा हुई कि शंकराचार्य की परंपरा को आम लोगों तक कैसे पहुंचाया जाए.
श्रृंगेरी मठ के शंकराचार्य विधुशेखर भारती ने कहा कि सदियों से सनातन धर्म को नुकसान पहुंचाने की कोशिश हो रही है. शंकराचार्य के प्रयासों से आज सनातन हिंदू धर्म जीवित है. शंकराचार्य प्रेरित सन्यासी परंपरा का निर्माण एवं धर्म जागरण सन्यासियों का मूल कर्तव्य है. वर्तमान दौर में सनातन धर्म के लिए संक्रमण काल है.
सनातन धर्म अनुयायी को धर्म के मूल तत्व को गहनता से समझना चाहिए. यजुर्वेद में उल्लेख है कि पारंपरिक धर्म का अनुसरण सदैव करते रहना चाहिए. पारंपरिक धर्म का परित्याग पाप है. महोत्सव में ओंकारेश्वर के पीठाधीश्वर प्रणवानंद स्वामी ने कहा कि सभी मत संप्रदाय के भाष्य और प्रकरण ग्रंथों को सहज भाषा में अनुवाद करना चाहिए. इससे समाज तत्व को सुगमता से समझ पाएगा.
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योग्य सन्यासी ही सनातन धर्म के विरुद्ध चल रहे दुष्प्रचार का जवाब दे सकता है. सनातन धर्म की संदर्भ सहित व्याख्या कर समाज के व्यक्ति को जोड़ सकता है. उपनिषद में प्रतिमा का तात्पर्य मूर्ति नहीं उपमा है. उपनिषद में व्याख्या है कि भगवान के समान कोई नहीं कहा कि समान सनातन धर्म अनुवाई को धर्म के मूल तत्व को गहनता से समझना चाहिए.
संस्कृत संपूर्णानंद यूनिवर्सिटी में रविवार को सौंदर्य लहरी का पाठ एक साथ 10,000 लोग मिलकर करेंगे. जगदीश रेड्डी ने बताया यहां पर महामंडलेश्वर पीठाधीश्वर संत समाज के लोग उपस्थित हैं. इनमें 30 महामंडलेश्वर और 300 से अधिक देश के विभिन्न राज्यों के कोने-कोने से संत महात्मा यहां पर उपस्थित हुए हैं.
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