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काशी विश्वनाथ को भांग, धतूरा संग चढ़ाया जाता बनारसी पान, जानिए वजह

धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक बाबा विश्वनाथ को बेलपत्र, भांग और धतूरा प्रिय है, लेकिन काशी में भक्त बाबा को बनारसी पान का स्वाद भी चखाते हैं. चलिए जानते हैं इसकी वजह.

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बाबा काशी विश्वनाथ को पान का भोग
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Published : Jul 16, 2022, 7:10 PM IST

वाराणसी: देवाधिदेव महादेव का प्रिय मास सावन शुरू हो गया है. हर कोई बाबा का दर्शन कर उन्हें प्रसन्न करना चाहता है. ऐसे में आइए हम आपको बताते हैं बिल्कुल अनोखी बात. बाबा श्रीकाशी विश्वनाथ (Baba Shrikashi Vishwanath) को काशीवासी अपने परिवार का सदस्य मानते हैं. शायद यही वजह है कि बहुत ही रोचक परंपरा बाबा से जुड़ी हुई है. यह परंपरा है बाबा को बनारसी पान का भोग लगाने की. इस परंपरा को 150 सालों से काशी का एक परिवार निभा रहा है.

काशी के भूल्लन पान वाले का परिवार लगभग 150 वर्षों से बाबा को बनारस का पान चढ़ा रहे है. सप्त ऋषि आरती हो या मंगला आरती इन दोनों में भूल्लन पान वाले आरती की थाली में पान चढ़ाते हैं. इसके बाद पान का भोग लगाया जाता है.

काशी विश्वनाथ को 150 सालों से पान का भोग लगा रहा भूल्लन पटेल का परिवार.
भूल्लन पान की दुकान के मालिक भूल्लन पटेल ने बताया कि तीन पीढ़ी से भोग के लिए बाबा को पान हमारे यहां से जाता है. शाम की आरती में भी बाबा विश्वनाथ को हमारे यहां के ही पान का (Bhog of paan to Baba Kashi Vishwanath) भोग लगाया जाता है. बाबा को पान चढ़ाना हमारी उनके प्रति श्रद्धा का भाव है. बाबा के आशीर्वाद से ही हमारा परिवार चलता है. बाबा को चढ़ाए जाने वाले पान का आकार बिल्कुल अलग होता है. इसका सिंघाड़ा जैसा आकार होता है.
भुल्लन पान वाले
भुल्लन पान वाले

यह भी पढ़ें:बनारसी की गुलाबी मीनाकारी, पीएम मोदी के गिफ़्ट से विश्व में मिली नई पहचान

बाबा के पान को शुद्धता के साथ बनाया जाता है. इसमें चूना, कत्था, ताम्बूल और लौंग लगाया जाता है. इसको हमारे दादा (भूल्लन के) ने शुरू किया था. अब यह परम्परा बन गई है. हमारी तीन पीढ़ियों से यह काम हो रहा है. बाबा की पांच प्रहर में आरती होती है, लेकिन मंगला आरती और सप्त ऋषि आरती में हमारे यहां के ही पान का भोग लगाया जाता है. बिना पान के काम नहीं चलता है. बाबा के इस भोग का प्रसाद लेने के लिए बहुत लोग आते रहते हैं.

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वाराणसी: देवाधिदेव महादेव का प्रिय मास सावन शुरू हो गया है. हर कोई बाबा का दर्शन कर उन्हें प्रसन्न करना चाहता है. ऐसे में आइए हम आपको बताते हैं बिल्कुल अनोखी बात. बाबा श्रीकाशी विश्वनाथ (Baba Shrikashi Vishwanath) को काशीवासी अपने परिवार का सदस्य मानते हैं. शायद यही वजह है कि बहुत ही रोचक परंपरा बाबा से जुड़ी हुई है. यह परंपरा है बाबा को बनारसी पान का भोग लगाने की. इस परंपरा को 150 सालों से काशी का एक परिवार निभा रहा है.

काशी के भूल्लन पान वाले का परिवार लगभग 150 वर्षों से बाबा को बनारस का पान चढ़ा रहे है. सप्त ऋषि आरती हो या मंगला आरती इन दोनों में भूल्लन पान वाले आरती की थाली में पान चढ़ाते हैं. इसके बाद पान का भोग लगाया जाता है.

काशी विश्वनाथ को 150 सालों से पान का भोग लगा रहा भूल्लन पटेल का परिवार.
भूल्लन पान की दुकान के मालिक भूल्लन पटेल ने बताया कि तीन पीढ़ी से भोग के लिए बाबा को पान हमारे यहां से जाता है. शाम की आरती में भी बाबा विश्वनाथ को हमारे यहां के ही पान का (Bhog of paan to Baba Kashi Vishwanath) भोग लगाया जाता है. बाबा को पान चढ़ाना हमारी उनके प्रति श्रद्धा का भाव है. बाबा के आशीर्वाद से ही हमारा परिवार चलता है. बाबा को चढ़ाए जाने वाले पान का आकार बिल्कुल अलग होता है. इसका सिंघाड़ा जैसा आकार होता है.
भुल्लन पान वाले
भुल्लन पान वाले

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बाबा के पान को शुद्धता के साथ बनाया जाता है. इसमें चूना, कत्था, ताम्बूल और लौंग लगाया जाता है. इसको हमारे दादा (भूल्लन के) ने शुरू किया था. अब यह परम्परा बन गई है. हमारी तीन पीढ़ियों से यह काम हो रहा है. बाबा की पांच प्रहर में आरती होती है, लेकिन मंगला आरती और सप्त ऋषि आरती में हमारे यहां के ही पान का भोग लगाया जाता है. बिना पान के काम नहीं चलता है. बाबा के इस भोग का प्रसाद लेने के लिए बहुत लोग आते रहते हैं.

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