वाराणसी: देवाधिदेव महादेव की नगरी काशी में 356 वर्ष पूर्व परंपरा का निर्वहन किया गया. श्रावण पूर्णिमा यानी गुरुवार को पहली बार बाबा विश्वनाथ गलियों के रास्ते भक्तों को दर्शन दिए और पालकी में सवार होकर श्री काशी विश्वनाथ धाम स्वर्ण मंदिर पहुंचे. वहां पर झूले पर बाबा का पंच स्वरूप प्रतिमा विराजमान किया गया, जिसके पूरे विधि -विधान से गर्भ गृह में पूजा- पाठ किया गया. जिधर से बाबा विश्वनाथ की पालकी गुजरी, हर तरफ हर- हर महादेव के उद्घोष से पूरा मंदिर प्रांगण गूंज उठा.
पूर्व महंत कुलपति तिवारी के आवास से श्री काशी विश्वनाथ मंदिर तक बाबा विश्वनाथ की तिरंगा पालकी यात्रा पहुंची. हर कोई बाबा के अद्भुत दृश्य को देखना चाहता था. इससे पूर्व सफेद कपड़े से ढ़ककर बाबा विश्वनाथ की प्रतिमा मंदिर तक ले जाया गया. रंगभरी एकादशी के बाद ऐसा पहली बार हुआ कि सभी ने बाबा विश्वनाथ का दर्शन किया और उनको पालकी में बिठा कर ले जाया गया.
इसे भी पढ़ेंः वाराणसी: रक्षाबंधन पर महिलाओं ने शुरू की ऐसी अनोखी मुहिम, जो देगी बनारस को संजीवनी
पूर्व महंत कुलपति तिवारी ने बताया कि पूरा देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है. ऐसे में बाबा विश्वनाथ के रजत प्रतिमा का तिरंगा के स्वरूप श्रृंगार किया गया है. इस विशेष अवसर को यादगार बनाने के लिए बाबा विश्वनाथ के राष्ट्रध्वज के रंगों वाले फूलों से शृंगार किया गया है. बाबा विश्वनाथ की पालकी भी तिरंगे के रंग में ही सजाई गई है.
श्रावण मास की पूर्णिमा पर काशी के कोतवाल कहे जाने वाले बाबा काल भैरव का भी हरियाली सिंगार किया गया था. पूरे मंदिर प्रांगण को विशेष प्रकार के माला से शृंगार किया गया था. सुबह मंगला आरती के समय बाबा का दरबार भक्तों के लिए खोल दिया गया था. देर रात तक भक्त बाबा के दरबार में मत्था टेक आशीर्वाद लेते नजर आए.
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सपरिवार झूले पर विराजे बाबा विश्वनाथ, गलियों में भक्तों को दिए दर्शन
बाबा विश्वनाथ सपरिवार झूले पर विराजे. गलियों में भक्तों को दर्शन दिए. श्रावण पूर्णिमा पर राष्ट्रध्वज के रंगों वाले पुष्पों से बाबा के रजत विग्रह का शृंगार किया गया था. बाबा की पालकी भी तिरंगे के रंग में ही सजाई गयी थी. जिधर से बाबा विश्वनाथ की पालकी गुजरी, हर तरफ हर- हर महादेव के उद्घोष से पूरा मंदिर प्रांगण गूंज उठा.
वाराणसी: देवाधिदेव महादेव की नगरी काशी में 356 वर्ष पूर्व परंपरा का निर्वहन किया गया. श्रावण पूर्णिमा यानी गुरुवार को पहली बार बाबा विश्वनाथ गलियों के रास्ते भक्तों को दर्शन दिए और पालकी में सवार होकर श्री काशी विश्वनाथ धाम स्वर्ण मंदिर पहुंचे. वहां पर झूले पर बाबा का पंच स्वरूप प्रतिमा विराजमान किया गया, जिसके पूरे विधि -विधान से गर्भ गृह में पूजा- पाठ किया गया. जिधर से बाबा विश्वनाथ की पालकी गुजरी, हर तरफ हर- हर महादेव के उद्घोष से पूरा मंदिर प्रांगण गूंज उठा.
पूर्व महंत कुलपति तिवारी के आवास से श्री काशी विश्वनाथ मंदिर तक बाबा विश्वनाथ की तिरंगा पालकी यात्रा पहुंची. हर कोई बाबा के अद्भुत दृश्य को देखना चाहता था. इससे पूर्व सफेद कपड़े से ढ़ककर बाबा विश्वनाथ की प्रतिमा मंदिर तक ले जाया गया. रंगभरी एकादशी के बाद ऐसा पहली बार हुआ कि सभी ने बाबा विश्वनाथ का दर्शन किया और उनको पालकी में बिठा कर ले जाया गया.
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पूर्व महंत कुलपति तिवारी ने बताया कि पूरा देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है. ऐसे में बाबा विश्वनाथ के रजत प्रतिमा का तिरंगा के स्वरूप श्रृंगार किया गया है. इस विशेष अवसर को यादगार बनाने के लिए बाबा विश्वनाथ के राष्ट्रध्वज के रंगों वाले फूलों से शृंगार किया गया है. बाबा विश्वनाथ की पालकी भी तिरंगे के रंग में ही सजाई गई है.
श्रावण मास की पूर्णिमा पर काशी के कोतवाल कहे जाने वाले बाबा काल भैरव का भी हरियाली सिंगार किया गया था. पूरे मंदिर प्रांगण को विशेष प्रकार के माला से शृंगार किया गया था. सुबह मंगला आरती के समय बाबा का दरबार भक्तों के लिए खोल दिया गया था. देर रात तक भक्त बाबा के दरबार में मत्था टेक आशीर्वाद लेते नजर आए.
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