ETV Bharat / city

आज की युवा पीढ़ी अपनी संस्कृति से भटक गई हैः आचार्य प्रताप सिंह - sanskrit language existence in danger

देश में घट रहे संस्कृत भाषा के अस्तित्व के बारे में ईटीवी भारत ने संस्कृत विद्वान एवं संस्कृत भारती संगठन मंत्री आचार्य प्रताप सिंह से खास बातचीत की. आचार्य प्रताप सिंह ने बताया कि पिछले दशकों से अभिभावकों में अंग्रेजी की लोकप्रियता बढ़ी है, जिसके चलते भारत की युवा पीढ़ी संस्कृत भाषा से दूर होती जा रही है.

etv bharat
खतरे में संस्कृत भाषा का अस्तित्व.
author img

By

Published : Jan 9, 2020, 12:45 PM IST

सहारनपुर: आधुनिकता के दौर में आज का युवा न सिर्फ अपनी संस्कृति से भटक रहा है बल्कि दैवीय भाषा संस्कृत को भी भूल चुका है. संस्कृत विद्वान एवं संस्कृत भारती के संगठन मंत्री आचार्य प्रताप सिंह ने बताया कि एक समय था जब संस्कृत भाषा के यूरोप में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया अपनी पहचान रखती थी.

संस्कृत भाषा के अस्तित्व के बारे में संस्कृत विद्वान एवं संस्कृत भारती संगठन मंत्री ने दी जानकारी.

पिछले दो दशक से अंग्रेजी माध्यम के चलते अभिभावकों और छात्र छात्राओं का रुझान अंग्रेजी की ओर जा रहा है. इसके चलते छात्र छात्राएं दैवीय भाषा संस्कृत को भूलते जा रहे हैं. आलम यह है कि स्कूल कॉलेजों में संस्कृत भाषा की पढ़ाई भी नाम मात्र की रह गई है. यही वजह है कि अब संस्कृत के साथ भारतीय संस्कृति भी खतरे में पड़ गई है.

संस्कृति से भटकी युवा पीढ़ी
सभी देश संस्कृत भाषा के चलते भारतवर्ष को विश्वगुरु मानते थे, लेकिन ईस्टर्न देशों की सभ्यता को देखते हुए भारतीयों ने अपनी संस्कृति को छोड़ अंग्रेजी सभ्यता को अपना लिया. धीरे धीरे सभी लोग संस्कृत भाषा को भी भूलने लगे हैं. आज का युवा पूरी तरह से अपनी संस्कृति से भटक गई है. संस्कृत और संस्कृति के पुनरुत्थान के लिए प्रयास किये जा रहे हैं.

इसे भी पढ़ें- UPTET पेपर आउट करने वाले गिरोह का एसटीएफ ने किया भंडाफोड़, 12 गिरफ्तार

ईटीवी के सवालों का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि संस्कृत भारती संस्कृत भाषा को बचाने के लिए लोगों को जागरूक कर रहा है. आम आदमी तक संस्कृत भाषा को पहुंचाया जा रहा है ताकि हर कोई संस्कृत पढ़े, संस्कृत लिखे और संस्कृत भाषा में बात करे. सभी भारतीयों को संस्कृत भाषा के महत्व का समझने की जरूरत है, जिससे संस्कृत भाषा का उत्थान हो और भारतीय संस्कृति को बचाया जा सके.

सहारनपुर: आधुनिकता के दौर में आज का युवा न सिर्फ अपनी संस्कृति से भटक रहा है बल्कि दैवीय भाषा संस्कृत को भी भूल चुका है. संस्कृत विद्वान एवं संस्कृत भारती के संगठन मंत्री आचार्य प्रताप सिंह ने बताया कि एक समय था जब संस्कृत भाषा के यूरोप में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया अपनी पहचान रखती थी.

संस्कृत भाषा के अस्तित्व के बारे में संस्कृत विद्वान एवं संस्कृत भारती संगठन मंत्री ने दी जानकारी.

पिछले दो दशक से अंग्रेजी माध्यम के चलते अभिभावकों और छात्र छात्राओं का रुझान अंग्रेजी की ओर जा रहा है. इसके चलते छात्र छात्राएं दैवीय भाषा संस्कृत को भूलते जा रहे हैं. आलम यह है कि स्कूल कॉलेजों में संस्कृत भाषा की पढ़ाई भी नाम मात्र की रह गई है. यही वजह है कि अब संस्कृत के साथ भारतीय संस्कृति भी खतरे में पड़ गई है.

संस्कृति से भटकी युवा पीढ़ी
सभी देश संस्कृत भाषा के चलते भारतवर्ष को विश्वगुरु मानते थे, लेकिन ईस्टर्न देशों की सभ्यता को देखते हुए भारतीयों ने अपनी संस्कृति को छोड़ अंग्रेजी सभ्यता को अपना लिया. धीरे धीरे सभी लोग संस्कृत भाषा को भी भूलने लगे हैं. आज का युवा पूरी तरह से अपनी संस्कृति से भटक गई है. संस्कृत और संस्कृति के पुनरुत्थान के लिए प्रयास किये जा रहे हैं.

इसे भी पढ़ें- UPTET पेपर आउट करने वाले गिरोह का एसटीएफ ने किया भंडाफोड़, 12 गिरफ्तार

ईटीवी के सवालों का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि संस्कृत भारती संस्कृत भाषा को बचाने के लिए लोगों को जागरूक कर रहा है. आम आदमी तक संस्कृत भाषा को पहुंचाया जा रहा है ताकि हर कोई संस्कृत पढ़े, संस्कृत लिखे और संस्कृत भाषा में बात करे. सभी भारतीयों को संस्कृत भाषा के महत्व का समझने की जरूरत है, जिससे संस्कृत भाषा का उत्थान हो और भारतीय संस्कृति को बचाया जा सके.

Intro:सहारनपुर : प्रधानमंत्री मोदी भले ही देश को डिजिटल इंडिया बनाने के दावे कर रहे हैं वहीं आधुनिकता के दौर में आज का युवा न सिर्फ अपनी संस्कृति से भटक रहा है बल्कि दैवीय भाषा संस्कृत को भी भूल चुका है। खास बात तो ये भी है कि अंग्रेजी मीडियम के चलते सरकारी गैरसरकारी स्कूलो से संस्कृत भाषा गायब हो गई है। ईटीवी भारत से बातचीत में संस्कृत विद्वान एवं संस्कृत भारती के संगठन मंत्री आचार्य प्रताप सिंह ने बताया कि एक समय था जब संस्कृत भाषा के यूरोप में ही नही बल्कि पूरी दुनिया अपनी पहचान रखती थी। लेकिन विदेशी परम्परा के चलते युवा पीढ़ी संस्कृत को भूलते जा रहे है जो चिंता का विषय है। दैवीय भाषा संस्कृत और भारतीय संस्कति को बचाने के लिए लोगो जागरूक करने की जरूरत है।


Body:VO 1 - आपको बता दें कि पिछले दो दशक अंग्रेजी माध्यम के चलते अभिभावको और छात्र छात्राओं का रुझान अंग्रेजी की जा रहा है। जिसके चलते छात्र छात्राएं दैवीय भाषा संस्कृत को भूलते जा रहे है। आलम यह है कि स्कूल कॉलेजों में संस्कृत भाषा की पढ़ाई भी नाम मात्र की रह गई है। यही वजह है कि अब दैवीय भाषा संस्कृत के साथ भारतीय संस्कृति भी खतरे में पड़ गई है। संस्कृत और संस्कृति के अस्तित्व के संबंध में ईटीवी भारत ने संस्कृत विद्वान एवं संस्कृत भारती संगठन मंत्री आचार्य प्रताप सिंह से खास बातचीत की। ईटीवी से EXCLUSIVE बातचीत में संस्कृत विद्वान ने संस्कृत भाषा मे ईटीवी के सवालों का जवाब देते हुए बताया कि वैसे तो संस्कृत भाषा प्राचीन एवं दैवीय भाषा है। एक जमाना था जब संस्कृत भाषा का पूरी दुनिया मे डंका बजता था। सभी देश संस्कृत भाषा के चलते भारतवर्ष को विश्वगुरु मानते थे। लेकिन ईस्टर्न देशों की सभ्यता को देखते हुए भारतीयों ने अपनी संस्कृति को छोड़ अंग्रेजी सभ्यता को अपना लिया। धीरे धीरे सभी लोग संस्कृत भाषा को भी भूलने लगे है। आज का युवा पूरी तरह से अपनी संस्कृति से भटक गया है। संस्कृत और संस्कृति के पुनरुत्थान के लिए प्रयास किये जा रहे है। ईटीवी के सवालों का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि संस्कृत भारती संस्कृत भाषा को बचाने के लिए लोगो को जागरूक कर रहा है। आम आदमी तक संस्कृत भाषा को पहुंचाया जा रहा है ताकि हर कोई संस्कृत पढ़े, संस्कृत लिखे और संस्कृत भाषा मे बात करे। इसके लिए संस्कृत भारती की ओर दे लगातार प्रयासरत है। सभी भारतीयों को संस्कृत भाषा के महत्व का समझने की जरूरत है जिससे संस्कृत भाषा का उत्थान हो और भारतीय संस्कृति को बचाया जा सके। आइये आप भी सुनिए संस्कृत भारती के संगठन मंत्री आचार्य प्रताप सिंह ने ईटीवी के सवालों का संस्कृत भाषा मे कैसे बेबाकी से जवाब दिए है.......

बाईट - आचार्य प्रताप सिंह ( संगठन मंत्री संस्कृत भारती )


Conclusion:FVO - ईटीवी भारत पर आचार्य प्रताप सिंह ने भले ही संस्कृत में बेबाकी से जवाब दिये, संस्कृत और संस्कृति को बचाने के लिए जागरूकता अभियान चलाने के दावे किए लेकिन हकीकत सच्चाई से कोसो दूर है। आधुनिक युग और मोबाइल की दुनिया मे अंग्रेजी का कब्जा होने के कारण से संस्कृत भाषा को लोग भूल चुके है। ऐसे में सवाल यह भी उतना लाज़मी है यदि यही हाल रहा तो वो दिन दूर नही जब से संस्कृत भाषा और भारतीय संस्कृति का अस्तित्व खतरे में पड़ जायेगा।

रोशन लाल सैनी
सहारनपुर
9121293042
9759945153
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.