मेरठ: 10 अक्टूबर को विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस (World Mental Health Day) मनाया जाता है. कोरोना महामारी के बाद कुछ वर्षों से लगातार मानसिक रोगियों की संख्या देश में बढ़ती जा रही है. आकड़ों के मुताबिक, यह युवाओं और नौजवानों समेत बुजुर्गों में तेजी से पैर पसार रहा है. अब इससे छोटे बच्चे भी नहीं बच पा रहे हैं. इस दिन लोगों को मानसिक स्वास्थ्य को लेकर जागरूक किया जाता है. हमें मानसिक स्वास्थ्य की रक्षा और सुधार पर ध्यान देना चाहिए.
मानसिक रोग के मुख्य कारण: भागदौड़ भरी जीवनशैली और अनियमित दिनचर्या, रहन-सहन और खानपान के तरीके हर किसी के जीवन में बदलाव हो रहे हैं. एक दूसरे से आगे निकलने की चाह में रिश्ते-नाते हों या फिर अपने, कहीं न कहीं रिश्तों की नींव प्रभावित हुई है. ऐसे में मानसिक तौर पर भी दिक्कतें होना स्वाभाविक हैं. जिससे न सिर्फ वर्तमान पीढ़ी पर इसके विपरीत प्रभाव पड़े हैं, बल्कि जो नई पीढ़ी है वो भी प्रभावित (Main causes of mental illness) हो रही है. इस तरह से व्यक्ति मानसिक रोग की चपेट में आ रहा है. अवसाद कुंठा के मामले समाज में तेजी से बढ़ते जा रहे हैं. विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस पर लोगों को जागरुक किया जाता है.
लाला लाजपत स्मारक मेडिकल कॉलेज (Lala Lajpat Memorial Medical College Meerut) के मानसिक रोग विभाग के HOD तरुण पाल ने बताया कि अब छोटे बच्चे भी इन सब समस्याओं के शिकार हो रहे हैं. जैसे शारीरिक दिक्कते होती हैं, वैसे ही मानसिक दिक्कतें होती हैं. शारीरिक समस्या के लिए तो लोग जागरुक रहते हैं. उन्हें मालूम रहता है कि बुखार है या फिर पेट में दर्द है. ऐसा होने पर रोगी तुरंत डॉक्टर से संपर्क करते हैं. लेकिन मानसिक दिक्कतों को लोग गंभीरता से नहीं लेते हैं. जिससे मानसिक दिक्कत बढ़ती ही जाती हैं.
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डॉक्टर तरुण पाल ने बताया कि मेडिकल कॉलेज में हर दिन ऐसे लगभग डेढ़ सौ मरीज (How to prevent mental health) आते हैं, जो कि मानसिक समस्याओं से जूझ रहे हैं. इन मरीजों में हर दिन करीब 20 से 25 बच्चे भी होते हैं. कोरोना काल के बाद से जो मरीज आ रहे हैं. उनमें गैजेट्स का अत्यधिक उपयोग करने से समस्या पैदा हो रही हैं. जो बच्चे ज्यादा मोबाइल समेत कई गैजेट्स का इस्तेमाल करते हैं. वे बच्चे अवसाद या अन्य मानसिक रोग की चपेट में आ रहे हैं.
मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर्स (world mental health day theme) ने बच्चों के व्यवहार में होने वाले बदलाव के बारे में बताया. डॉक्टर्स ने कहा कि जब भी बच्चों के व्यवहार में बदलाव लगें तो तुरंत मानसिक रोग विशेषज्ञ से परामर्श लेना चाहिए. बच्चों के प्रति पॉजिटिव बिहेवियर रखें. बच्चों को मारपीट न करें. वहीं, अनिद्रा और अकेलेपन से मानसिक रोगी अधिक बढ़ रहे हैं.
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