मेरठ: उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से वृद्धजनों के लिए हर जिले में पीपीपी मॉडल पर वृद्धाश्रम संचालित हैं. इसके तहत 60 वर्ष और उससे अधिक उम्र के बेसहारा लोगों के लिए प्रदेश के हर जिले में यह वृद्ध आश्रम संचालित हैं. मेरठ जिले की अगर बात करें, तो यहां का वृद्धाश्रम ऐसे लोगों के लिए वरदान साबित हो रहा है. इन्हें उनके अपनों ने ठुकरा दिया था या जो बेसहारा हैं. सरकार की इस योजना से कई बुजुर्गों को जीवन दान मिला है.
मेरठ के वृद्धाश्रम में रह रहे जिला गाजियाबाद के बुजुर्ग तेजवीर सिंह बताते हैं कि घर में रहना मुश्किल हो गया था. परिवार में बच्चों ने उनसे मुंह मोड़ लिया. इसलिए वो यहां रह रहे हैं. अगर सरकार की तरफ से उन्हें या उन जैसे बहुत से बुजुर्गों को वृद्धाश्रम में सहारा न मिला होता, तो हो सकता था कि ऐसे बुजुर्ग अपनी जीवनलीला समाप्त कर चुके होते.
बुजुर्ग अरविंद शर्मा ने कहा कि उनके पैर में तकलीफ है, बेटे की कमाई कम थी. इस वजह से घर में आए दिन कलह होती थी. उन्हें इसीलिए अलग ठिकाना खोजना पड़ा. अगर यह जगह न होती, तो काफी बुजुर्ग जो अब ठीक से रह पा रहे हैं, वे दर दर भटक रहे होते.
जिला समाज कल्याण अधिकारी सुनील कुमार सिंह ने बताया कि, ऐसे बुजुर्ग माता पिता जिन्हें जीवन जीने में कठिनाई हो रही है या जिन्हें अपनों ने ठुकराया हैं या अन्य कुछ ऐसे कारण है जिन वजह से उन्हें कोई भी समस्या आ रही है. ऐसे 60 वर्ष और उससे अधिक उम्र के जरूरतमंद बुजुर्ग प्रदेश सरकार के पीपीपी मॉडल पर संचालित किए जा रहे वृद्ध आश्रम में रह सकते हैं. वहां उनकी रहने खाने से लेकर पर्सनल केयर तक का सभी इंतजाम सरकार की तरफ से किया जा रहा है. इसके लिए फंड की व्यवस्था समाज कल्याण विभाग जी तरफ से की जाती है.
समाज कल्याण अधिकारी बताते हैं कि इसके अलावा भी ऐसे बुजुर्गों के लिए भी वृद्ध आश्रम के दरवाजे खुले हुए हैं जो कि अकेले हैं पेंशनर हैं.आर्थिक रूप से सक्षम हैं. उनकी कोई देखभाल करने वाला कोई नहीं है. उन्हें जीवन जीने में कोई भी कठिनाई हो रही है, तो वह भी यहां मिनिमम 2250 रुपए प्रतिमाह देकर रह सकते हैं. बुजुर्ग कहते हैं कि, उन्हें यहां समय से भोजन मिलता है. सत्संग करने को मिलता है. उनकी रोजमर्रा की हर जरूरत पूरी हो रही है.
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