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जिन्हें अपनों ने ठुकराया उन्हें सरकार की इस योजना से मिला जीवनदान

प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ( CM Yogi Adityanath) ने बेसहारा बुजुर्गों के लिए प्रदेश के प्रत्येक जनपद में पीपीपी मॉडल पर वृद्ध आश्रम बनाए हैं. प्रत्येक वृद्ध आश्रम में अधिकतम 150 बेसहारा बुजुर्गों के रहने की व्यवस्था की जा रही है.

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पीपीपी मॉडल पर वृद्ध आश्रम स्थापित
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Published : Sep 2, 2022, 12:32 PM IST

मेरठ: उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से वृद्धजनों के लिए हर जिले में पीपीपी मॉडल पर वृद्धाश्रम संचालित हैं. इसके तहत 60 वर्ष और उससे अधिक उम्र के बेसहारा लोगों के लिए प्रदेश के हर जिले में यह वृद्ध आश्रम संचालित हैं. मेरठ जिले की अगर बात करें, तो यहां का वृद्धाश्रम ऐसे लोगों के लिए वरदान साबित हो रहा है. इन्हें उनके अपनों ने ठुकरा दिया था या जो बेसहारा हैं. सरकार की इस योजना से कई बुजुर्गों को जीवन दान मिला है.

बुजुर्गों और जिला समाज कल्याण अधिकारी सुनील कुमार सिंह ने दी जानकारी
प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बेसहारा बुजुर्गों के लिए प्रदेश के प्रत्येक जनपद में पीपीपी मॉडल पर वृद्ध आश्रम स्थापित कराए हैं. प्रत्येक वृद्ध आश्रम में अधिकतम 150 बेसहारा बुजुर्गों के रहने, खाने-पीने से लेकर उनकी दवाई से लेकर अन्य आवश्यक जरूरतों की पूर्ति भी हो, ऐसी सरकार की मंशा है.ईटीवी भारत ने मेरठ के वृद्धाश्रम का रुख किया. जो नज़ारा देखने को मिला, उससे सरकार की यह योजना न सिर्फ साकार होती नजर आती है, बल्कि जिन्हें अपनों ने ठुकरा दिया उनके लिए यह एक बड़ा सहारा बन गयी है. वृद्ध आश्रम में लोग सरकार की इस योजना की दिल खोलकर तारीफ कर रहे हैं.बुजुर्गों ने बताया कि उन्होंने अपने बच्चों को अच्छे से पढ़ाया, लिखाया उनकी परवरिश कर इस लायक बनाया कि वे अपने पैरों पर खड़े होकर आत्मनिर्भर बनें. लेकिन बाद में वह अपने माता पिता को ही भूल गए. अगर ये आश्रय स्थल सरकार की तरफ से न होते, तो अब तक न जाने कितने ही बुजुर्ग दुनिया को अलविदा कह चुके होते. वे सरकार का शुक्रिया अदा करते हैं कि उन्हें जीवन के आखिरी पड़ाव में सरकार का साथ मिला है. अब वृद्धाश्रम में अपने जैसे लोगों के बीच रहकर खुश हैं.इसे भी पढ़े-बुढ़ापे में जिनसे थी आस, उन्होंने ही छोड़ दिया साथ

मेरठ के वृद्धाश्रम में रह रहे जिला गाजियाबाद के बुजुर्ग तेजवीर सिंह बताते हैं कि घर में रहना मुश्किल हो गया था. परिवार में बच्चों ने उनसे मुंह मोड़ लिया. इसलिए वो यहां रह रहे हैं. अगर सरकार की तरफ से उन्हें या उन जैसे बहुत से बुजुर्गों को वृद्धाश्रम में सहारा न मिला होता, तो हो सकता था कि ऐसे बुजुर्ग अपनी जीवनलीला समाप्त कर चुके होते.

बुजुर्ग अरविंद शर्मा ने कहा कि उनके पैर में तकलीफ है, बेटे की कमाई कम थी. इस वजह से घर में आए दिन कलह होती थी. उन्हें इसीलिए अलग ठिकाना खोजना पड़ा. अगर यह जगह न होती, तो काफी बुजुर्ग जो अब ठीक से रह पा रहे हैं, वे दर दर भटक रहे होते.

जिला समाज कल्याण अधिकारी सुनील कुमार सिंह ने बताया कि, ऐसे बुजुर्ग माता पिता जिन्हें जीवन जीने में कठिनाई हो रही है या जिन्हें अपनों ने ठुकराया हैं या अन्य कुछ ऐसे कारण है जिन वजह से उन्हें कोई भी समस्या आ रही है. ऐसे 60 वर्ष और उससे अधिक उम्र के जरूरतमंद बुजुर्ग प्रदेश सरकार के पीपीपी मॉडल पर संचालित किए जा रहे वृद्ध आश्रम में रह सकते हैं. वहां उनकी रहने खाने से लेकर पर्सनल केयर तक का सभी इंतजाम सरकार की तरफ से किया जा रहा है. इसके लिए फंड की व्यवस्था समाज कल्याण विभाग जी तरफ से की जाती है.

समाज कल्याण अधिकारी बताते हैं कि इसके अलावा भी ऐसे बुजुर्गों के लिए भी वृद्ध आश्रम के दरवाजे खुले हुए हैं जो कि अकेले हैं पेंशनर हैं.आर्थिक रूप से सक्षम हैं. उनकी कोई देखभाल करने वाला कोई नहीं है. उन्हें जीवन जीने में कोई भी कठिनाई हो रही है, तो वह भी यहां मिनिमम 2250 रुपए प्रतिमाह देकर रह सकते हैं. बुजुर्ग कहते हैं कि, उन्हें यहां समय से भोजन मिलता है. सत्संग करने को मिलता है. उनकी रोजमर्रा की हर जरूरत पूरी हो रही है.
यह भी पढ़े-वृद्धाश्रम में त्रिस्तरीय व्यवस्था पर विचार करे सरकारः राज्यपाल

मेरठ: उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से वृद्धजनों के लिए हर जिले में पीपीपी मॉडल पर वृद्धाश्रम संचालित हैं. इसके तहत 60 वर्ष और उससे अधिक उम्र के बेसहारा लोगों के लिए प्रदेश के हर जिले में यह वृद्ध आश्रम संचालित हैं. मेरठ जिले की अगर बात करें, तो यहां का वृद्धाश्रम ऐसे लोगों के लिए वरदान साबित हो रहा है. इन्हें उनके अपनों ने ठुकरा दिया था या जो बेसहारा हैं. सरकार की इस योजना से कई बुजुर्गों को जीवन दान मिला है.

बुजुर्गों और जिला समाज कल्याण अधिकारी सुनील कुमार सिंह ने दी जानकारी
प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बेसहारा बुजुर्गों के लिए प्रदेश के प्रत्येक जनपद में पीपीपी मॉडल पर वृद्ध आश्रम स्थापित कराए हैं. प्रत्येक वृद्ध आश्रम में अधिकतम 150 बेसहारा बुजुर्गों के रहने, खाने-पीने से लेकर उनकी दवाई से लेकर अन्य आवश्यक जरूरतों की पूर्ति भी हो, ऐसी सरकार की मंशा है.ईटीवी भारत ने मेरठ के वृद्धाश्रम का रुख किया. जो नज़ारा देखने को मिला, उससे सरकार की यह योजना न सिर्फ साकार होती नजर आती है, बल्कि जिन्हें अपनों ने ठुकरा दिया उनके लिए यह एक बड़ा सहारा बन गयी है. वृद्ध आश्रम में लोग सरकार की इस योजना की दिल खोलकर तारीफ कर रहे हैं.बुजुर्गों ने बताया कि उन्होंने अपने बच्चों को अच्छे से पढ़ाया, लिखाया उनकी परवरिश कर इस लायक बनाया कि वे अपने पैरों पर खड़े होकर आत्मनिर्भर बनें. लेकिन बाद में वह अपने माता पिता को ही भूल गए. अगर ये आश्रय स्थल सरकार की तरफ से न होते, तो अब तक न जाने कितने ही बुजुर्ग दुनिया को अलविदा कह चुके होते. वे सरकार का शुक्रिया अदा करते हैं कि उन्हें जीवन के आखिरी पड़ाव में सरकार का साथ मिला है. अब वृद्धाश्रम में अपने जैसे लोगों के बीच रहकर खुश हैं.इसे भी पढ़े-बुढ़ापे में जिनसे थी आस, उन्होंने ही छोड़ दिया साथ

मेरठ के वृद्धाश्रम में रह रहे जिला गाजियाबाद के बुजुर्ग तेजवीर सिंह बताते हैं कि घर में रहना मुश्किल हो गया था. परिवार में बच्चों ने उनसे मुंह मोड़ लिया. इसलिए वो यहां रह रहे हैं. अगर सरकार की तरफ से उन्हें या उन जैसे बहुत से बुजुर्गों को वृद्धाश्रम में सहारा न मिला होता, तो हो सकता था कि ऐसे बुजुर्ग अपनी जीवनलीला समाप्त कर चुके होते.

बुजुर्ग अरविंद शर्मा ने कहा कि उनके पैर में तकलीफ है, बेटे की कमाई कम थी. इस वजह से घर में आए दिन कलह होती थी. उन्हें इसीलिए अलग ठिकाना खोजना पड़ा. अगर यह जगह न होती, तो काफी बुजुर्ग जो अब ठीक से रह पा रहे हैं, वे दर दर भटक रहे होते.

जिला समाज कल्याण अधिकारी सुनील कुमार सिंह ने बताया कि, ऐसे बुजुर्ग माता पिता जिन्हें जीवन जीने में कठिनाई हो रही है या जिन्हें अपनों ने ठुकराया हैं या अन्य कुछ ऐसे कारण है जिन वजह से उन्हें कोई भी समस्या आ रही है. ऐसे 60 वर्ष और उससे अधिक उम्र के जरूरतमंद बुजुर्ग प्रदेश सरकार के पीपीपी मॉडल पर संचालित किए जा रहे वृद्ध आश्रम में रह सकते हैं. वहां उनकी रहने खाने से लेकर पर्सनल केयर तक का सभी इंतजाम सरकार की तरफ से किया जा रहा है. इसके लिए फंड की व्यवस्था समाज कल्याण विभाग जी तरफ से की जाती है.

समाज कल्याण अधिकारी बताते हैं कि इसके अलावा भी ऐसे बुजुर्गों के लिए भी वृद्ध आश्रम के दरवाजे खुले हुए हैं जो कि अकेले हैं पेंशनर हैं.आर्थिक रूप से सक्षम हैं. उनकी कोई देखभाल करने वाला कोई नहीं है. उन्हें जीवन जीने में कोई भी कठिनाई हो रही है, तो वह भी यहां मिनिमम 2250 रुपए प्रतिमाह देकर रह सकते हैं. बुजुर्ग कहते हैं कि, उन्हें यहां समय से भोजन मिलता है. सत्संग करने को मिलता है. उनकी रोजमर्रा की हर जरूरत पूरी हो रही है.
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