मेरठ: एक ओर जहां उत्तर प्रदेश की योगी सरकार सूबे को भ्रष्टाचार मुक्त बनाने के दावे कर रही है. वहीं, नौकरशाह न सिर्फ सुविधा शुल्क के नाम पर रिश्वतखोरी कर रहे हैं, बल्कि सरकार के दावों पर भी पलीता लगा रहे हैं. ताजा मामला मेरठ का है, जहां सीएम योगी के ड्रीम प्रोजेक्ट गंगा एक्सप्रेस-वे की पैमाइश के नाम पर रिश्वतखोरी का खेल चल रहा है. गांव अटौला में संबंधित लेखपाल ने एक किसान से 50 हजार रुपये रिश्वत मांगी है. वहीं, किसान के भाई से समझौते के लिए दो लाख रुपये रिश्वत की मांग की. पीड़ित किसान ने लिखित शिकायत की तो प्रशासन में हड़कंप मच गया. हालांकि एसडीएम सदर ने तत्काल प्रभाव से आरोपी लेखपाल को निलंबित कर दिया है. मामले की जांच तहसीलदार न्यायिक को दी गई है.
सीएम योगी के ड्रीम प्रोजेक्ट को पलीता
उत्तर प्रदेश की योगी सरकार जनता की सुविधा के लिए एक्सप्रेस-वे बना रही है. जमीन अधिग्रहण कर किसानों को उनकी भूमि का उचित दाम दिया जा रहा है, लेकिन सरकारी नुमाइंदे ही सीएम योगी के ड्रीम प्रोजेक्टों में से एक गंगा एक्सप्रेस-वे पर भी मनमानी करने से बाज नहीं आ रहे हैं. एक्सप्रेस-वे से जुड़े लेखापाल जमीन पैमाइश के नाम पर किसानों से मोटी रकम वसूल रहे हैं. हरियाणा के वल्लभगढ़ निवासी किसान करन सिंह ने एसडीएम सदर को न सिर्फ लिखित शिकायत की है, बल्कि साथ में शपथपत्र भी दिया है.
पैमाइश के नाम पर लेखपाल ने मांगी रिश्वत
किसान ने बताया कि मेरठ के गांव अटौला में उनकी खेती की जमीन है. उनकी जमीन को सीएम के ड्रीम प्रोजेक्ट गंगा एक्सप्रेस-वे के लिए अधिग्रहण किया जा रहा है. इसके लिए गांव अजराड़ा निवासी लेखपाल हितेश कुमार उनकी पत्नी और दूसरे खातेदार किसानों से रिश्वत की मांग कर रहा है. करन सिंह का आरोप है कि लेखपाल हितेश कुमार ने जमीन की पैमाइश करने के नाम पर 50 हजार रुपये की मांग की है. शपथ पत्र में उन्होंने बताया कि गांव शाफियाबाद लौटी में जमीन को लेकर चल रहे विवाद में समझौता कराने के लिए शिकायतकर्ता के भाई से दो लाख रुपये मांगे हैं.
किसानों की शिकायत पर लेखपाल निलंबित
एसडीएम ने संदीप भागिया ने बताया कि कुछ किसानों ने लेखपाल हितेश कुमार पर रिश्वत मांगने का आरोप लगाया है. शपथ पत्र पर लिखित शिकायत पर उन्होंने लेखपाल को निलंबित करके जांच शुरू करा दी है. उन्होंने बताया कि गंगा एक्सप्रेस-वे के काम को लेकर आरोपी लेखपाल की शिकायतें अन्य प्रमुख लोगों ने भी मौखिक शिकायतें की हैं. इस पूरे मामले की जांच तहसीलदार न्यायिक को दी गई है. जांच के बाद दोषी पाए जाने पर लेखपाल के खिलाफ विभागीय कार्रवाई की जाएगी.
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