ETV Bharat / city

अगर घर में खराब मोबाइल सेट है, तो भूल कर भी न करें ये काम, नहीं तो पड़ सकता है पछताना - ई वेस्ट डिस्पोजल

इस्तेमाल के दौरान मोबाइल सेट में कोई तकनीकी खराबी हो जाती है. मोबाइल फोन को लेकर सावधानी बरतनी बेहद जरूरी है. बंद मोबाइल फोन से कोई भी साइबर फ्रॉड हो सकता है.

etv bharat
खराब मोबाइल सेट
author img

By

Published : Apr 18, 2022, 10:26 PM IST

Updated : Apr 18, 2022, 10:52 PM IST

मेरठ: खराब मोबाइल सेट भी अगर गलत हाथों तक पहुंच गई तो उसके भी दुरुपयोग होने की उतनी ही सम्भावना बन जाती है, जितना कि एक सही मोबाइल सेट के गलत हाथ में जाने पर. मोबाइल सेट को लेकर सावधानी बरतनी बेहद जरूरी है. बंद मोबाइल सेट से कोई भी साइबर फ्रॉड हो सकता है, बल्कि सम्भावना ये भी है कि फैक्ट्री रिसेट के बाद भी विभिन्न सॉफ्ट वेयर के माध्यम से डाटा रिकवर किया जा सकता है.

आमतौर पर देखा जाता है कि इस्तेमाल के दौरान मोबाइल सेट में कोई तकनीकी खराबी हो जाती है. कुछ लोग नया सेट लेकर दूसरा विकल्प तलाश लेते हैं. वहीं, कुछ लोग ये भी कोशिश करते हैं कि वही मोबाइल सेट रिपेयर करा लिया जाए. ऐसे में वो मोबाइल सेट हम कबाड़ समझकर कूड़े के दाम में किसी फेरीवाले या कबाड़ी वाले को दे देते हैं, तो ये कदम किसी के लिए भी नुकसान दायक हो सकता है.

अगर घर में खराब मोबाइल सेट है

आजकल तो बाजारों में नया मोबाइल बेचने के लिए भी दुकानदार वाकायदा बोर्ड लगाते हैं. अलग -अलग माध्यमों से प्रचार करते हैं कि पुराना मोबाइल लाएं व नया ले जाएं. कुछ लोग तो गली-मोहल्लों में आवाज लगाते फिरते हैं कि खराब मोबाइल बेचे. देखा भी गया है कि कुछ रुपयों में ही गली-मोहल्लों में घूमने वाले कबाड़ी या फेरीवाले को खराब मोबाइल फोन बेच देते हैं.

इस बारे में हमने एक फेरी वाले से बात की तो उसने बताया कि वह की-पैड वाला मोबाइल 10 से 20 रुपये में लोगों से ले लेता है. जबकि एंड्रॉयड सेट 50 रुपये तक में ले लेता है. ये प्रक्रिया यहीं समाप्त नहीं होती, बल्कि इसके बाद वो मोबाइल फिर आगे बिक्री होती है. इस बारे में तकनीकी ज्ञान रखने वाले लोग भी मानते हैं कि अगर घर में कोई भी खराब मोबाइल सेट या गैजेट्स खराब हैं तो उसको फेरी वालों या कबाड़ियों को देना घातक साबित हो सकता है.

इसे भी पढ़ेंः लखीमपुर खीरी हिंसाः 63 दिन बाहर रहने के बाद आशीष मिश्रा जाएगा जेल, किसान बोले-न्याय पर भरोसा बढ़ा

इस बारे में एसपी क्राइम अनित कुमार से बातचीत की गयी तो उनका कहना है कि ई-वेस्ट डिस्पोजल को लेकर जो पॉलिसी है, वो एजेंसीज रजिस्टर्ड हैं नियम अनुसार सिर्फ उनको ही ई-वेस्ट बेचना उचित है. उन्होंने बताया कि कई बार देखा गया है कि गली-मोहल्लों में फेरीवाले भी मोबाइल खरीदते हैं. हालांकि मोबाइल खरीदने या बेचने पर किसी तरह की कोई पाबंदी नहीं है, लेकिन ऐसा होने के बाद खतरा बढ़ जाता है.

इन मोबाइल को साइबर क्राइम में भी इस्तेमाल किया जा सकता है. डेटा चोरी होने की भी गुंजाइश बनी रहती है. उनका कहना है कि अगर मोबाइल फोन को फैक्ट्री रि-सेट भी कर दें, तब भी अलग-अलग मोबाइल में से कई मोबाइल में ऐसे वर्जन होते है जिनमें डाटा रिकवर किया जा सकता है.

उन्होंने बताया कि अगर ऐसे किसी मोबाइल सेट में नेट बैंकिंग इस्तेमाल कर रहे हैं, या फिर उसे भले ही फैक्ट्री से री-सेट कर दिया गया हो, लेकिन फिर भी चांस बने रहते हैं कि उस डेटा का इस्तेमाल कर मिसयूज किया जा सकता है. उसका उपयोग करके गलत लोग साइबर क्राइम कर सकते हैं.

ऐसी ही जरूरी और विश्वसनीय खबरों के लिए डाउनलोड करें ईटीवी भारत ऐप

मेरठ: खराब मोबाइल सेट भी अगर गलत हाथों तक पहुंच गई तो उसके भी दुरुपयोग होने की उतनी ही सम्भावना बन जाती है, जितना कि एक सही मोबाइल सेट के गलत हाथ में जाने पर. मोबाइल सेट को लेकर सावधानी बरतनी बेहद जरूरी है. बंद मोबाइल सेट से कोई भी साइबर फ्रॉड हो सकता है, बल्कि सम्भावना ये भी है कि फैक्ट्री रिसेट के बाद भी विभिन्न सॉफ्ट वेयर के माध्यम से डाटा रिकवर किया जा सकता है.

आमतौर पर देखा जाता है कि इस्तेमाल के दौरान मोबाइल सेट में कोई तकनीकी खराबी हो जाती है. कुछ लोग नया सेट लेकर दूसरा विकल्प तलाश लेते हैं. वहीं, कुछ लोग ये भी कोशिश करते हैं कि वही मोबाइल सेट रिपेयर करा लिया जाए. ऐसे में वो मोबाइल सेट हम कबाड़ समझकर कूड़े के दाम में किसी फेरीवाले या कबाड़ी वाले को दे देते हैं, तो ये कदम किसी के लिए भी नुकसान दायक हो सकता है.

अगर घर में खराब मोबाइल सेट है

आजकल तो बाजारों में नया मोबाइल बेचने के लिए भी दुकानदार वाकायदा बोर्ड लगाते हैं. अलग -अलग माध्यमों से प्रचार करते हैं कि पुराना मोबाइल लाएं व नया ले जाएं. कुछ लोग तो गली-मोहल्लों में आवाज लगाते फिरते हैं कि खराब मोबाइल बेचे. देखा भी गया है कि कुछ रुपयों में ही गली-मोहल्लों में घूमने वाले कबाड़ी या फेरीवाले को खराब मोबाइल फोन बेच देते हैं.

इस बारे में हमने एक फेरी वाले से बात की तो उसने बताया कि वह की-पैड वाला मोबाइल 10 से 20 रुपये में लोगों से ले लेता है. जबकि एंड्रॉयड सेट 50 रुपये तक में ले लेता है. ये प्रक्रिया यहीं समाप्त नहीं होती, बल्कि इसके बाद वो मोबाइल फिर आगे बिक्री होती है. इस बारे में तकनीकी ज्ञान रखने वाले लोग भी मानते हैं कि अगर घर में कोई भी खराब मोबाइल सेट या गैजेट्स खराब हैं तो उसको फेरी वालों या कबाड़ियों को देना घातक साबित हो सकता है.

इसे भी पढ़ेंः लखीमपुर खीरी हिंसाः 63 दिन बाहर रहने के बाद आशीष मिश्रा जाएगा जेल, किसान बोले-न्याय पर भरोसा बढ़ा

इस बारे में एसपी क्राइम अनित कुमार से बातचीत की गयी तो उनका कहना है कि ई-वेस्ट डिस्पोजल को लेकर जो पॉलिसी है, वो एजेंसीज रजिस्टर्ड हैं नियम अनुसार सिर्फ उनको ही ई-वेस्ट बेचना उचित है. उन्होंने बताया कि कई बार देखा गया है कि गली-मोहल्लों में फेरीवाले भी मोबाइल खरीदते हैं. हालांकि मोबाइल खरीदने या बेचने पर किसी तरह की कोई पाबंदी नहीं है, लेकिन ऐसा होने के बाद खतरा बढ़ जाता है.

इन मोबाइल को साइबर क्राइम में भी इस्तेमाल किया जा सकता है. डेटा चोरी होने की भी गुंजाइश बनी रहती है. उनका कहना है कि अगर मोबाइल फोन को फैक्ट्री रि-सेट भी कर दें, तब भी अलग-अलग मोबाइल में से कई मोबाइल में ऐसे वर्जन होते है जिनमें डाटा रिकवर किया जा सकता है.

उन्होंने बताया कि अगर ऐसे किसी मोबाइल सेट में नेट बैंकिंग इस्तेमाल कर रहे हैं, या फिर उसे भले ही फैक्ट्री से री-सेट कर दिया गया हो, लेकिन फिर भी चांस बने रहते हैं कि उस डेटा का इस्तेमाल कर मिसयूज किया जा सकता है. उसका उपयोग करके गलत लोग साइबर क्राइम कर सकते हैं.

ऐसी ही जरूरी और विश्वसनीय खबरों के लिए डाउनलोड करें ईटीवी भारत ऐप

Last Updated : Apr 18, 2022, 10:52 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.