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रंगनाथ मंदिर में लट्ठा मेला देखने उमड़ा जनसैलाब

सोमवार की शाम मथुरा के रंगनाथ मंदिर में लट्ठा मेला का आयोजन किया गया. पहलवान खंभे पर चढ़ने के लिए एक के ऊपर एक सवार होकर मानव सीढ़ी बनाने की कोशिश कर रहे थे. मेला स्थल पर उपस्थित हजारों दर्शक पहलवानों के चढ़ने और गिरने का आनंद लेने के साथ ही उनका उत्साह बड़ा रहे थे.

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लट्ठा का मेला में उमड़ा सैलाब
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Published : Aug 23, 2022, 1:40 PM IST

मथुरा: उत्तर भारत के प्रसिद्ध श्रीरंगनाथ मंदिर में लट्ठा के मेला का आयोजन किया गया. सोमवार शाम को नंदोत्सव के रूप में आयोजित लट्ठा मेला का आनंद लेने के लिए स्वयं भगवान गोदारंगमन्नार कल्पवृक्ष पर सवार होकर आयोजन स्थल पहुंचे. वहीं, हजारों की संख्या में श्रद्धालु भक्तों की भीड़ भी उमड़ पड़ी. अंतर्यामी अखाड़े के पहलवान कालीदह तिराहा स्थित ठाकुर अंतर्यामी मंदिर से शोभायात्रा के रूप में नगर भ्रमण करते हुए रंगनाथ मंदिर पहुंचे.

राधाकिशन के नेतृत्व में लट्ठे पर चढ़ने के लिए आए पहलवानों ने ठाकुरजी का आशीर्वाद लेकर करीब 40 फुट ऊंचे चंदन की लकड़ी के लट्ठे पर बंधे नारियल और कलश को प्राप्त करने के लिए जोर आजमाइश शुरू कर दी. पहलवान खंभे पर चढ़ने के लिए एक के ऊपर एक सवार होकर मानव सीढ़ी बनाने की कोशिश कर रहे थे.

रंगनाथ मंदिर पुरोहित विजयकिशोर मिश्र ने दी जानकारी

ऊपर मचान पर बैठे मंदिर के सेवायत और कर्मचारी तेल और हल्दी मिश्रित जल पहलवानों पर डालते हुए उन्हें असफल करने में लगे हुए थे. मेला स्थल पर उपस्थित हजारों दर्शक पहलवानों के चढ़ने और गिरने का आनंद लेने के साथ ही उनका उत्साह बड़ा रहे थे. आखिरकार पहलवानों ने एक बार फिर ठाकुरजी से आशीर्वाद लेकर काफी जोर आजमाइश के बाद गुर्ज हासिल कर विजय पताका पकड़ी. संपूर्ण परिसर रंगनाथ भगवान के जयकारों से गुंजायमान हो उठा.

इसे भी पढ़े-ठाकुर जी की भक्ति में रंगों से सराबोर हुए भक्त, फाग महोत्सव का लिया आनंद

रंगनाथ मंदिर के पुरोहित विजय किशोर ने बताया कि नंद उत्सव के बाद उत्तर भारत का सबसे प्रसिद्ध उत्सव लट्ठा मेला है. यह श्री रंग मंदिर मथुरा के सेठ राधा कृष्ण गोविंद राम जी ने बनया था. उन्होंने अपने गुरु जी को इसे दान में दे दिया था. दान में देने के बाद ही इसके नियम बनाए गए. उसमें उन्होंने एक ग्रंथ लिखा, उसी के अनुसार उसी विधि से यहां पूजन होता है. जहां नृत्य उत्सव हो उसे दिव्य देश कहा जाता है. अब जन्माष्टमी योग संग है.

रात्रि में भगवान त्रीमंजन हुआ पंचगव्य पंचामृत आदि से उसका अभिषेक हुआ. इसके बाद भगवान का प्रसाद हुआ. प्रसाद के बाद में आरती पुष्पांजलि हुई. आज के दिन कदम वाहन पर मुरली गायन करते हुए भगवान पधारते हैं ,अपने भक्तों को दर्शन देते हैं, सभी ब्रज वासियों ने हर्षोल्लास के साथ नंद उत्सव मनाया है.

यह भी पढ़े-धर्म नगरी वृंदावन में श्रद्धालुओं के लिए शुरू हो रही है वी राइड बाइक सेवा

मथुरा: उत्तर भारत के प्रसिद्ध श्रीरंगनाथ मंदिर में लट्ठा के मेला का आयोजन किया गया. सोमवार शाम को नंदोत्सव के रूप में आयोजित लट्ठा मेला का आनंद लेने के लिए स्वयं भगवान गोदारंगमन्नार कल्पवृक्ष पर सवार होकर आयोजन स्थल पहुंचे. वहीं, हजारों की संख्या में श्रद्धालु भक्तों की भीड़ भी उमड़ पड़ी. अंतर्यामी अखाड़े के पहलवान कालीदह तिराहा स्थित ठाकुर अंतर्यामी मंदिर से शोभायात्रा के रूप में नगर भ्रमण करते हुए रंगनाथ मंदिर पहुंचे.

राधाकिशन के नेतृत्व में लट्ठे पर चढ़ने के लिए आए पहलवानों ने ठाकुरजी का आशीर्वाद लेकर करीब 40 फुट ऊंचे चंदन की लकड़ी के लट्ठे पर बंधे नारियल और कलश को प्राप्त करने के लिए जोर आजमाइश शुरू कर दी. पहलवान खंभे पर चढ़ने के लिए एक के ऊपर एक सवार होकर मानव सीढ़ी बनाने की कोशिश कर रहे थे.

रंगनाथ मंदिर पुरोहित विजयकिशोर मिश्र ने दी जानकारी

ऊपर मचान पर बैठे मंदिर के सेवायत और कर्मचारी तेल और हल्दी मिश्रित जल पहलवानों पर डालते हुए उन्हें असफल करने में लगे हुए थे. मेला स्थल पर उपस्थित हजारों दर्शक पहलवानों के चढ़ने और गिरने का आनंद लेने के साथ ही उनका उत्साह बड़ा रहे थे. आखिरकार पहलवानों ने एक बार फिर ठाकुरजी से आशीर्वाद लेकर काफी जोर आजमाइश के बाद गुर्ज हासिल कर विजय पताका पकड़ी. संपूर्ण परिसर रंगनाथ भगवान के जयकारों से गुंजायमान हो उठा.

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रंगनाथ मंदिर के पुरोहित विजय किशोर ने बताया कि नंद उत्सव के बाद उत्तर भारत का सबसे प्रसिद्ध उत्सव लट्ठा मेला है. यह श्री रंग मंदिर मथुरा के सेठ राधा कृष्ण गोविंद राम जी ने बनया था. उन्होंने अपने गुरु जी को इसे दान में दे दिया था. दान में देने के बाद ही इसके नियम बनाए गए. उसमें उन्होंने एक ग्रंथ लिखा, उसी के अनुसार उसी विधि से यहां पूजन होता है. जहां नृत्य उत्सव हो उसे दिव्य देश कहा जाता है. अब जन्माष्टमी योग संग है.

रात्रि में भगवान त्रीमंजन हुआ पंचगव्य पंचामृत आदि से उसका अभिषेक हुआ. इसके बाद भगवान का प्रसाद हुआ. प्रसाद के बाद में आरती पुष्पांजलि हुई. आज के दिन कदम वाहन पर मुरली गायन करते हुए भगवान पधारते हैं ,अपने भक्तों को दर्शन देते हैं, सभी ब्रज वासियों ने हर्षोल्लास के साथ नंद उत्सव मनाया है.

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