ETV Bharat / city

कोरोना के बाद बढ़े अवसाद के मरीज, चुनौतियों के आगे घुटने टेक रही जिंदगी, ऐसे बचायें जान - awareness on suicide

हर किसी की जिंदगी में अलग-अलग चुनौतियां आती हैं, कई मामलों में यही चुनौतियां एक इंसान को आगे बढ़ने में सहायता करती हैं तो कई मामलों में लोग घुटने टेक देते हैं. बलरामपुर अस्पताल (Balrampur Hospital) के मनोरोग विशेषज्ञ डॉ. सौरभ ने बताया कि पढ़े लिखे युवा वर्ग के लोग ज्यादा सुसाइड करते हैं.

वर्ल्ड सुसाइड प्रिवेंशन डे
वर्ल्ड सुसाइड प्रिवेंशन डे
author img

By

Published : Sep 10, 2022, 3:57 PM IST

Updated : Sep 10, 2022, 4:19 PM IST

लखनऊ : हर किसी की जिंदगी में अलग-अलग चुनौतियां आती हैं, कई मामलों में यही चुनौतियां एक इंसान को आगे बढ़ने में सहायता करती हैं तो कई मामलों में लोग घुटने टेक देते हैं. बलरामपुर अस्पताल (Balrampur Hospital) के मनोरोग विशेषज्ञ डॉ. सौरभ ने बताया कि पढ़े लिखे युवा वर्ग के लोग ज्यादा सुसाइड करते हैं. अस्पताल की ओपीडी में कोरोना के बाद से अवसाद से ग्रसित मरीजों की संख्या में बढ़ोत्तरी हुई है. जाहिर तौर पर अस्पतालों में जब इतने मरीजों की संख्या बढ़ी है तो बहुत सारे ऐसे लोग भी हैं जो अस्पताल आना नहीं चाहते, अंदर ही अंदर घुटते हैं और फिर आत्महत्या जैसा कदम उठा लेते हैं.

डॉ. सौरभ ने बताया कि अस्पताल में इस समय रोजाना 200 से अधिक मरीज इलाज के लिए आ रहे हैं. ऐसे में इसमें सबसे अधिक ऐसे मरीज हैं जो अवसाद से ग्रसित हैं. उन्होंने कहा कि अवसाद किसी को भी हो सकता है. कोविड के बाद से मरीजों की संख्या में बढ़ोत्तरी हुई है. 30 से 40 फीसदी मरीजों की संख्या बढ़ी है. लोग कहीं न कहीं अकेलेपन के शिकार हुए हैं और जब व्यक्ति अकेलेपन का शिकार हो जाता है तो उसे अच्छी बातें भी बुरी लगने लगती हैं. आज के दौर में ज्यादातर लोग खुद में ही व्यस्त रहते हैं. मोबाइल के बाहर की दुनिया वह देखना ही नहीं चाहते हैं. 18 उम्र से अधिक लोग अवसाद से पीड़ित हैं. इसमें युवाओं की संख्या अधिक है.

बातचीत करतीं संवाददाता अपर्णा शुक्ला

उन्होंने बताया कि आत्महत्या पर जागरूकता (awareness on suicide) लाने के उद्देश्य से हर साल 10 सितंबर को विश्व आत्महत्या सुरक्षा दिवस (वर्ल्ड सुसाइड प्रिवेंशन डे) मनाया जाता है. इस साल इसकी थीम कार्रवाई के माध्यम से आशा पैदा करना, (क्रियेटिंग होप थ्रू एक्शन) है.

निवारण

- इस तरह की स्थिति से निपटने के लिए परिवार में सभी सदस्यों को आपस में संवाद स्थापित करना चाहिए, समस्याएं एक दूसरे के साथ साझा करनी चाहिए.

-परिवार का कोई सदस्य मनोचिकित्सीय सलाह ले रहा है तो उसे समय पर दवा की उपलब्धता एवं सेवन सुनिश्चित करें.

- परिवार का सदस्य अपने जीवन को समाप्त करने की बात करता है तो उसे गंभीरता से लेते हुए मनोचिकित्सक की सलाह लें.

- नशे का अत्यधिक उपयोग करने वाले अवसाद के रोगियों पर विशेष ध्यान देने की जरूरत होती है.

यह भी पढ़ें : देश में मॉडल बनी यूपी की सड़क बनाने की FDR तकनीक, कई राज्यों के इंजीनियर ले रहे ट्रेनिंग

- ऐसे मरीजों का मनोबल बढ़ाएं एवं नशा छोड़ने के लिए प्रेरित करें.

- घर में ऐसी कोई भी चीज जिसे आत्महत्या के लिए मरीज उपयोग कर सकता है रोगी से दूर रखें.

यह भी पढ़ें : लखनऊ से गोरखपुर जाने पर ट्रेन में टीवी का मज़ा लें, इन रेलगाड़ियों में भी मिलेगी सुविधा

लखनऊ : हर किसी की जिंदगी में अलग-अलग चुनौतियां आती हैं, कई मामलों में यही चुनौतियां एक इंसान को आगे बढ़ने में सहायता करती हैं तो कई मामलों में लोग घुटने टेक देते हैं. बलरामपुर अस्पताल (Balrampur Hospital) के मनोरोग विशेषज्ञ डॉ. सौरभ ने बताया कि पढ़े लिखे युवा वर्ग के लोग ज्यादा सुसाइड करते हैं. अस्पताल की ओपीडी में कोरोना के बाद से अवसाद से ग्रसित मरीजों की संख्या में बढ़ोत्तरी हुई है. जाहिर तौर पर अस्पतालों में जब इतने मरीजों की संख्या बढ़ी है तो बहुत सारे ऐसे लोग भी हैं जो अस्पताल आना नहीं चाहते, अंदर ही अंदर घुटते हैं और फिर आत्महत्या जैसा कदम उठा लेते हैं.

डॉ. सौरभ ने बताया कि अस्पताल में इस समय रोजाना 200 से अधिक मरीज इलाज के लिए आ रहे हैं. ऐसे में इसमें सबसे अधिक ऐसे मरीज हैं जो अवसाद से ग्रसित हैं. उन्होंने कहा कि अवसाद किसी को भी हो सकता है. कोविड के बाद से मरीजों की संख्या में बढ़ोत्तरी हुई है. 30 से 40 फीसदी मरीजों की संख्या बढ़ी है. लोग कहीं न कहीं अकेलेपन के शिकार हुए हैं और जब व्यक्ति अकेलेपन का शिकार हो जाता है तो उसे अच्छी बातें भी बुरी लगने लगती हैं. आज के दौर में ज्यादातर लोग खुद में ही व्यस्त रहते हैं. मोबाइल के बाहर की दुनिया वह देखना ही नहीं चाहते हैं. 18 उम्र से अधिक लोग अवसाद से पीड़ित हैं. इसमें युवाओं की संख्या अधिक है.

बातचीत करतीं संवाददाता अपर्णा शुक्ला

उन्होंने बताया कि आत्महत्या पर जागरूकता (awareness on suicide) लाने के उद्देश्य से हर साल 10 सितंबर को विश्व आत्महत्या सुरक्षा दिवस (वर्ल्ड सुसाइड प्रिवेंशन डे) मनाया जाता है. इस साल इसकी थीम कार्रवाई के माध्यम से आशा पैदा करना, (क्रियेटिंग होप थ्रू एक्शन) है.

निवारण

- इस तरह की स्थिति से निपटने के लिए परिवार में सभी सदस्यों को आपस में संवाद स्थापित करना चाहिए, समस्याएं एक दूसरे के साथ साझा करनी चाहिए.

-परिवार का कोई सदस्य मनोचिकित्सीय सलाह ले रहा है तो उसे समय पर दवा की उपलब्धता एवं सेवन सुनिश्चित करें.

- परिवार का सदस्य अपने जीवन को समाप्त करने की बात करता है तो उसे गंभीरता से लेते हुए मनोचिकित्सक की सलाह लें.

- नशे का अत्यधिक उपयोग करने वाले अवसाद के रोगियों पर विशेष ध्यान देने की जरूरत होती है.

यह भी पढ़ें : देश में मॉडल बनी यूपी की सड़क बनाने की FDR तकनीक, कई राज्यों के इंजीनियर ले रहे ट्रेनिंग

- ऐसे मरीजों का मनोबल बढ़ाएं एवं नशा छोड़ने के लिए प्रेरित करें.

- घर में ऐसी कोई भी चीज जिसे आत्महत्या के लिए मरीज उपयोग कर सकता है रोगी से दूर रखें.

यह भी पढ़ें : लखनऊ से गोरखपुर जाने पर ट्रेन में टीवी का मज़ा लें, इन रेलगाड़ियों में भी मिलेगी सुविधा

Last Updated : Sep 10, 2022, 4:19 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.