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यूपी विधानसभा चुनाव 2022: चौथे चरण में 2017 के मुकाबले कम हुआ मतदान, पढ़ें पूरी खबर

यूपी विधानसभा चुनाव 2022 के चौथे चरण में बुधवार को नौ जिलों की 59 विधानसभा सीट के लिए लोगों ने मतदान किया. शाम 6 बजे तक करीब 60 फीसदी मतदान हुआ.

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यूपी विधानसभा चुनाव 2022
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Published : Feb 23, 2022, 8:26 PM IST

Updated : Feb 24, 2022, 11:15 AM IST

लखनऊ: यूपी विधानसभा चुनाव 2022 के चौथे चरण में बुधवार को नौ जिलों की 59 विधानसभा सीट के लिए मतदान हुआ. जिन जिलों में मतदान हुआ, उनमें लखनऊ भी था. 59 सीटों के 624 उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला ईवीएम में कैद हो गया है. पोलिंग बूथ पर सुरक्षा के भी तगडे़ इंतजाम किए गए थे. प्रदेश में चौथे चरण में शाम 6 बजे तक करीब 60 फीसदी मतदान हुआ. पहले चरण में 62.58 फीसदी, दूसरे चरण में 64.77 फीसदी और तीसरे चरण में 61.61 प्रतिशत मतदान हुआ था. चौथे चरण में मतदान 2017 के विधानसभा चुनाव की तुलना में करीब 2-2.5 प्रतिशत तक कम हो सकता है.

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यूपी विधानसभा चुनाव का तुलनात्मक विवरण

यूपी विधानभा चुनाव 2022 के चौथे चरण में शाम 5 बजे तक पीलीभीत में 61.33 फीसदी, लखीमपुर खीरी में 62.42 फीसदी, सीतापुर में 58.39 फीसदी, हरदोई में 55.29 फीसदी, लखनऊ में 55.08 फीसदी, उन्नाव में 54.05 फीसदी, रायबरेली में 58.40 फीसदी, फतेहपुर में 57.02 फीसदी और बांदा में 57.54 फीसदी मतदान हुआ.

वर्ष 2017 में पीलीभीत में 67.05 फीसदी, लखीमपुर खीरी में 68.47 फीसदी, सीतापुर में 68.59 फीसदी, हरदोई में 59.55 फीसदी, लखनऊ में 58.45 फीसदी, उन्नाव में 60.23 फीसदी, रायबरेली में 60.76 फीसदी, फतेहपुर में 59.58 फीसदी और बांदा में 59.65 फीसदी मतदान हुआ था.

ये भी पढ़ें- परिवारवादियों को बुद्ध प्रतिमा से परहेज पर चांदी का मुकुट देखकर मुंह में पानी आ जाता है- पीएम मोदी

वहीं वर्ष 2012 में पीलीभीत में 68.33 फीसदी, लखीमपुर खीरी में 64.71 फीसदी, सीतापुर में 65.35 फीसदी, हरदोई में 60.84 फीसदी, लखनऊ में 56.49 फीसदी, उन्नाव में 59.43 फीसदी, रायबरेली में 60.08 फीसदी, फतेहपुर में 60.26 फीसदी और बांदा में 56.72 फीसदी मतदान हुआ था.

वहीं अगर आंकड़ों की बात करें तो 2012 विधानसभा चुनाव में चौथे चरण के चुनाव में इन्हीं 59 सीटों पर 57.52 फीसदी मतदान हुआ था, जबकि 2017 के इसी चरण के चुनाव में 62.55 फीसदी मतदान हुआ था. ऐसे में समझ सकते हैं कि 2012 विधानसभा चुनाव के चौथे चरण की तुलना में 2017 के विधानसभा चुनाव के चौथे चरण में करीब पांच फीसदी मतदान अधिक हुआ था. इसकी वजह से चौंकाने वाले उलटफेर देखने को मिले थे. 2012 विधानसभा चुनाव के समय समाजवादी पार्टी की सरकार थी और जब 2017 में चुनाव हुए तो समाजवादी पार्टी की सरकार का सफाया हो गया था और यूपी में भाजपा की सरकार बन गई थी.

2012 में जो समाजवादी पार्टी 39 सीटें जीती थी, वह 2017 में आकर 4 सीटों पर ही सिमट गई. ऐसे में अब 2017 विधानसभा चुनाव के चौथे चरण में मिले मतदान प्रतिशत से 2022 में मिले मतदान में करीब 2 फीसदी की कमी है, जो कई तरह के सियासी समीकरण बदलने वाले भी साबित हो सकते हैं. 2012 विधानसभा चुनाव की बात करें, तो समाजवादी पार्टी ने 59 सीटों में 39 पर जीत हासिल की थी, जबकि भाजपा को 4 सीटें मिली थीं. बसपा को 12 और कांग्रेस के खाते में तीन और एक सीट पर पीस पार्टी ने जीत दर्ज की थी.

वहीं 2017 के विधानसभा चुनाव में इस चरण में भाजपा गठबंधन ने इन 59 सीटों में से 51 (BJP 50-1 अपना दल) पर जीत दर्ज करने में सफलता प्राप्त की थी. वहीं सपा को 4 और कांग्रेस व बसपा को दो-दो सीट ही मिली थीं. जबकि 2012 में इन 59 सीटों में से भाजपा को सिर्फ 4 सीटें ही मिली थीं. यानी भाजपा को 51 सीटों का फायदा हुआ था और पूरी स्थिति बदल गई थी. खासबात यह है कि सपा को 2012 में इन 59 सीटों में 39 सीटें ही मिली थीं तो 2017 में 4 सीटें ही उसके झोली में आईं, जो समाजवादी पार्टी के लिए बड़ा झटका था।

वरिष्ठ पत्रकार राजनीतिक विश्लेषक योगेश मिश्रा कहते हैं कि 5 साल बाद भी मतदान प्रतिशत पिछले चुनाव के स्तर को भी नहीं छू सका. इससे साफ जाहिर है कि लोकतंत्र में और इसके साथ-साथ जो राजनीतिक पार्टी के उम्मीदवार हैं, उन सब के प्रति आस्था कम हो रही है. लोगों को मनपसंद प्रत्याशी नहीं मिल रहे हैं. एक तरफ सांपनाथ होते हैं, तो दूसरी तरफ नागनाथ होते हैं. पॉलिटिकल पार्टियां भी कोई ऐसा एजेंडा या मुद्दा नहीं ला पाती है, जिससे जनता काफी आकर्षित हो. सिर्फ फ्री खाने, फ्री बिजली देने की बात होती है. इस फ्री की मानसिकता को जनता समझ चुकी है. जनता जान चुकी है कि फ्री की मानसिकता का दबाव किसके ऊपर पड़ता है. शहरों में कम मतदान होता है और जो फ्री के लाभार्थी होते हैं, वो ज्यादा मतदान करते हैं. इससे सियासी समीकरण बदल जाते हैं.

जानकारी देते राजनीतिक विश्लेषक योगेश मिश्रा.
2017 विधानसभा चुनाव के चौथे चरण में सीटों की स्थितिभाजपा गठबंधन- 51 सपा- 04कांग्रेस- 02बसपा- 02 2012 विधानसभा चुनाव के तीसरे चरण में सीटों की स्थिति सपा- 39 भाजपा- 04बसपा- 12कांग्रेस- 03पीस पार्टी- 01

केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी लखीमपुर खीरी के एक मतदान केंद्र में मतदान किया. वहीं मशहूर शायर मुनव्वर राना (Munawwar Rana) का नाम मतदाता सूची में नहीं मिला. इस कारण वो काफी नाराज दिखे. भाजपा विधायक और नोएडा से उम्मीदवार पंकज सिंह ने लखनऊ में मतदान किया. भाजपा नेता साक्षी महाराज ने उन्नाव में मतदान केंद्र पर पहुंचकर वोट डाला. केंद्रीय राज्य मंत्री कौशल किशोर ने पत्नी संग लखनऊ में बुधवार को मतदान किया.

कौशल लखनऊ के मोहनलालगंज लोकसभा से सांसद हैं. उत्तर प्रदेश के मंत्री मोहसिन रजा और उनकी पत्नी फौजिया मोहसिन ने लखनऊ में वोट डाला. मायावती ने लखनऊ में वोट डाला. रायबरेली सदर से बीजेपी प्रत्याशी अदिति सिंह ने बुधवार सुबह मतदान किया था.

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लखनऊ: यूपी विधानसभा चुनाव 2022 के चौथे चरण में बुधवार को नौ जिलों की 59 विधानसभा सीट के लिए मतदान हुआ. जिन जिलों में मतदान हुआ, उनमें लखनऊ भी था. 59 सीटों के 624 उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला ईवीएम में कैद हो गया है. पोलिंग बूथ पर सुरक्षा के भी तगडे़ इंतजाम किए गए थे. प्रदेश में चौथे चरण में शाम 6 बजे तक करीब 60 फीसदी मतदान हुआ. पहले चरण में 62.58 फीसदी, दूसरे चरण में 64.77 फीसदी और तीसरे चरण में 61.61 प्रतिशत मतदान हुआ था. चौथे चरण में मतदान 2017 के विधानसभा चुनाव की तुलना में करीब 2-2.5 प्रतिशत तक कम हो सकता है.

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यूपी विधानभा चुनाव 2022 के चौथे चरण में शाम 5 बजे तक पीलीभीत में 61.33 फीसदी, लखीमपुर खीरी में 62.42 फीसदी, सीतापुर में 58.39 फीसदी, हरदोई में 55.29 फीसदी, लखनऊ में 55.08 फीसदी, उन्नाव में 54.05 फीसदी, रायबरेली में 58.40 फीसदी, फतेहपुर में 57.02 फीसदी और बांदा में 57.54 फीसदी मतदान हुआ.

वर्ष 2017 में पीलीभीत में 67.05 फीसदी, लखीमपुर खीरी में 68.47 फीसदी, सीतापुर में 68.59 फीसदी, हरदोई में 59.55 फीसदी, लखनऊ में 58.45 फीसदी, उन्नाव में 60.23 फीसदी, रायबरेली में 60.76 फीसदी, फतेहपुर में 59.58 फीसदी और बांदा में 59.65 फीसदी मतदान हुआ था.

ये भी पढ़ें- परिवारवादियों को बुद्ध प्रतिमा से परहेज पर चांदी का मुकुट देखकर मुंह में पानी आ जाता है- पीएम मोदी

वहीं वर्ष 2012 में पीलीभीत में 68.33 फीसदी, लखीमपुर खीरी में 64.71 फीसदी, सीतापुर में 65.35 फीसदी, हरदोई में 60.84 फीसदी, लखनऊ में 56.49 फीसदी, उन्नाव में 59.43 फीसदी, रायबरेली में 60.08 फीसदी, फतेहपुर में 60.26 फीसदी और बांदा में 56.72 फीसदी मतदान हुआ था.

वहीं अगर आंकड़ों की बात करें तो 2012 विधानसभा चुनाव में चौथे चरण के चुनाव में इन्हीं 59 सीटों पर 57.52 फीसदी मतदान हुआ था, जबकि 2017 के इसी चरण के चुनाव में 62.55 फीसदी मतदान हुआ था. ऐसे में समझ सकते हैं कि 2012 विधानसभा चुनाव के चौथे चरण की तुलना में 2017 के विधानसभा चुनाव के चौथे चरण में करीब पांच फीसदी मतदान अधिक हुआ था. इसकी वजह से चौंकाने वाले उलटफेर देखने को मिले थे. 2012 विधानसभा चुनाव के समय समाजवादी पार्टी की सरकार थी और जब 2017 में चुनाव हुए तो समाजवादी पार्टी की सरकार का सफाया हो गया था और यूपी में भाजपा की सरकार बन गई थी.

2012 में जो समाजवादी पार्टी 39 सीटें जीती थी, वह 2017 में आकर 4 सीटों पर ही सिमट गई. ऐसे में अब 2017 विधानसभा चुनाव के चौथे चरण में मिले मतदान प्रतिशत से 2022 में मिले मतदान में करीब 2 फीसदी की कमी है, जो कई तरह के सियासी समीकरण बदलने वाले भी साबित हो सकते हैं. 2012 विधानसभा चुनाव की बात करें, तो समाजवादी पार्टी ने 59 सीटों में 39 पर जीत हासिल की थी, जबकि भाजपा को 4 सीटें मिली थीं. बसपा को 12 और कांग्रेस के खाते में तीन और एक सीट पर पीस पार्टी ने जीत दर्ज की थी.

वहीं 2017 के विधानसभा चुनाव में इस चरण में भाजपा गठबंधन ने इन 59 सीटों में से 51 (BJP 50-1 अपना दल) पर जीत दर्ज करने में सफलता प्राप्त की थी. वहीं सपा को 4 और कांग्रेस व बसपा को दो-दो सीट ही मिली थीं. जबकि 2012 में इन 59 सीटों में से भाजपा को सिर्फ 4 सीटें ही मिली थीं. यानी भाजपा को 51 सीटों का फायदा हुआ था और पूरी स्थिति बदल गई थी. खासबात यह है कि सपा को 2012 में इन 59 सीटों में 39 सीटें ही मिली थीं तो 2017 में 4 सीटें ही उसके झोली में आईं, जो समाजवादी पार्टी के लिए बड़ा झटका था।

वरिष्ठ पत्रकार राजनीतिक विश्लेषक योगेश मिश्रा कहते हैं कि 5 साल बाद भी मतदान प्रतिशत पिछले चुनाव के स्तर को भी नहीं छू सका. इससे साफ जाहिर है कि लोकतंत्र में और इसके साथ-साथ जो राजनीतिक पार्टी के उम्मीदवार हैं, उन सब के प्रति आस्था कम हो रही है. लोगों को मनपसंद प्रत्याशी नहीं मिल रहे हैं. एक तरफ सांपनाथ होते हैं, तो दूसरी तरफ नागनाथ होते हैं. पॉलिटिकल पार्टियां भी कोई ऐसा एजेंडा या मुद्दा नहीं ला पाती है, जिससे जनता काफी आकर्षित हो. सिर्फ फ्री खाने, फ्री बिजली देने की बात होती है. इस फ्री की मानसिकता को जनता समझ चुकी है. जनता जान चुकी है कि फ्री की मानसिकता का दबाव किसके ऊपर पड़ता है. शहरों में कम मतदान होता है और जो फ्री के लाभार्थी होते हैं, वो ज्यादा मतदान करते हैं. इससे सियासी समीकरण बदल जाते हैं.

जानकारी देते राजनीतिक विश्लेषक योगेश मिश्रा.
2017 विधानसभा चुनाव के चौथे चरण में सीटों की स्थितिभाजपा गठबंधन- 51 सपा- 04कांग्रेस- 02बसपा- 02 2012 विधानसभा चुनाव के तीसरे चरण में सीटों की स्थिति सपा- 39 भाजपा- 04बसपा- 12कांग्रेस- 03पीस पार्टी- 01

केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी लखीमपुर खीरी के एक मतदान केंद्र में मतदान किया. वहीं मशहूर शायर मुनव्वर राना (Munawwar Rana) का नाम मतदाता सूची में नहीं मिला. इस कारण वो काफी नाराज दिखे. भाजपा विधायक और नोएडा से उम्मीदवार पंकज सिंह ने लखनऊ में मतदान किया. भाजपा नेता साक्षी महाराज ने उन्नाव में मतदान केंद्र पर पहुंचकर वोट डाला. केंद्रीय राज्य मंत्री कौशल किशोर ने पत्नी संग लखनऊ में बुधवार को मतदान किया.

कौशल लखनऊ के मोहनलालगंज लोकसभा से सांसद हैं. उत्तर प्रदेश के मंत्री मोहसिन रजा और उनकी पत्नी फौजिया मोहसिन ने लखनऊ में वोट डाला. मायावती ने लखनऊ में वोट डाला. रायबरेली सदर से बीजेपी प्रत्याशी अदिति सिंह ने बुधवार सुबह मतदान किया था.

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Last Updated : Feb 24, 2022, 11:15 AM IST
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