लखनऊ: राजधानी के सभी सरकारी स्कूल-कॉलेजों में उत्तर प्रदेश सरकार ने सेनेटरी नैपकिन की वेंडिंग मशीन लगाने की पहल दो साल पहले की थी. स्वास्थ विभाग ने निजी संस्था को यह जिम्मेदारी देकर स्कूल कॉलेजों में वेंडिंग मशीन लगवा दी, लेकिन मौजूदा समय में स्कूल-कॉलेजों में लगी सभी वेंडिंग मशीन कबाड़ हो चुकी हैं. एक ही कॉलेज की नहीं बल्कि राजधानी के सभी स्कूल कॉलेजों में लगी वेंडिंग मशीन खराब है. जिस संस्था ने वेंडिंग मशीन लगाई वह कभी दोबारा चेक करने के लिए स्कूल-कॉलेज नहीं पहुंची.
यही वजह है कि जितनी जल्दबाजी में ये वेंडिंग मशीन लगाई गई, उतनी ही जल्दी यह मशीन खराब हो गई. ग्राउंड से ईटीवी भारत की टीम ने कॉलेजों में जाकर मशीन को देखा तो वह खराब मिली.
जानकारी देती संवाददाता अपर्णा शुक्ला कॉलेज की प्रिंसिपल डॉ. रचना श्रीवास्तव ने बताया कि उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से दो साल पहले मिशन योजना के तहत यह कहा गया था कि सभी सरकारी स्कूल और कॉलेजों में सेनेटरी नैपकिन की वेंडिंग मशीन लगाई जाये. फिलहाल, हमारे कॉलेज में स्वास्थ्य विभाग की ओर से कोई भी नहीं आया. यहां तक की मिशन योजना के तहत वेंडिंग मशीन लगाने की बात कही गई थी. बावजूद इसके वेंडिंग लगाने के लिए कोई जिम्मेदार व्यक्ति नहीं आया. हालांकि हमारे कॉलेज में आज से कई साल पहले एक यारा नाम की संस्था आई थी, जिसने सेनेटरी नैपकिन की वेंडिंग मशीन को लगाया था, लेकिन वह वेंडिंग मशीन इस समय खराब पड़ी हुई है. उसमें न तो सेनेटरी नैपकिन है और न ही वह मशीन अब काम कर रही है. हमें लगा सरकार के द्वारा मिशन शक्ति के तहत हमारे कॉलेज में सेनेटरी नैपकिन की वेंडिंग मशीन लग जाएगी, लेकिन स्वास्थ्य विभाग की तरफ से कॉलेज में कोई भी नहीं आया. ऑफिस में रखते हैं पैड्स: प्रिंसिपल डॉ. रचना श्रीवास्तव ने बताया कि वेंडिंग मशीन काम नहीं कर रही है. यह हम सभी जानते हैं कि पीरियड कभी भी बताकर नहीं आता है, ऐसे में हमारे ऑफिस में सेनेटरी नैपकिन हमेशा रखे रहते हैं. किसी भी छात्रा को जरूरत होती है तो वह टीचर से कहकर सेनेटरी नैपकिन ले लेती हैं. कभी ऐसी दिक्कत नहीं हुई है कि ऑफिस में सेनेटरी नैपकिन न हो. हमारा गर्ल्स कॉलेज है. ऐसे में हमें इसकी सबसे ज्यादा जरूरत है. अगर सरकार वेंडिंग मशीन हमारे कॉलेज में लगवा देती है तो हमारी छात्राओं को काफी सहूलियत हो जाती. उन्होंने कहा कि वैसे तो कुछ लड़कियां हमारे पास आकर सेनेटरी नैपकिन ले लेती हैं, लेकिन बहुत सारी छात्राएं शर्माती हैं. जिन्हें सेनेटरी नैपकिन मांगने में झिझक होती है. हमारी कॉलेज में छात्राएं बहुत दूर-दूर से आती हैं. क्योंकि हमारा कॉलेज चारबाग रेलवे स्टेशन के पास है, बहुत सारी छात्राएं ट्रेन से आती हैं. ऐसे में उनके लिए सबसे ज्यादा मददगार साबित हो जाता. क्योंकि हर लड़की हमारे पास आकर सेनेटरी नैपकिन नहीं लेती है. उत्तर प्रदेश राज्यपाल की पहल पर लखनऊ विश्वविद्यालय प्रशासन ने छात्राओं और महिलाओं के स्वास्थ्य के लिए नई पहल की थी. इसके तहत राजधानी के 41 इंटर कॉलेजों में महावारी को लेकर जागरूकता अभियान चलाने के साथ सेनेटरी नैपकिन की वेंडिंग मशीन लगाई गई थी. विश्वविद्यालय प्रशासन ने डीआईओएस को इसकी जिम्मेदारी सौंपी थी. बकायदा शहर के सभी स्कूल और कॉलेजों में वेंडिंग मशीन लगाई गई थी, लेकिन मौजूदा समय में इनका रखरखाव ठीक तरीके से नहीं हुआ. जिसके कारण यह मशीनें सिर्फ दीवार पर लगी मिलेंगी. शहर के लगभग सभी स्कूल-कॉलेजों में यह मशीन खराब हो चुकी हैं. इससे छात्राओं को कोई भी लाभ नहीं हो रहा है. ये भी पढ़ें : कांग्रेस नेता राजीव शुक्ला, प्रमोद तिवारी और शायर इमरान प्रतापगढ़ी जाएंगे राज्यसभा
कॉलेज की छात्राओं ने बातचीत के दौरान कहा कि बीते तीन वर्षों से हम इस मशीन को ऐसे ही दीवार पर लगी हुई देख रहे हैं. तीन साल पहले भी यह दीवार पर इसी तरह लगी थी और आज भी लगी हुई है. यह मशीन काम नहीं करती है इसमें पैसा डालने से सेनेटरी नैपकिन भी नहीं मिलेगा. हमारी टीचर्स बहुत अच्छी हैं. वह हमें बहुत सहयोग करती हैं. कभी हम स्टूडेंट को पीरियड आता है तो हम ऑफिस में जाकर सेनेटरी नैपकिन ले लेते हैं. लेकिन अगर यह मशीन बन जाती तो हम सभी छात्राओं के लिए काफी अच्छा होता.
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