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ठगी के मामले में STF ने की स्वामी प्रसाद मौर्य से डेढ़ घंटे पूछताछ

पूर्व मंत्री व सपा एमएलसी स्वामी प्रसाद मौर्य से यूपी एसटीएफ ने सोमवार को पूछताछ की. यह पूछताछ नौकरी के नाम पर हुई एक ठगी करने के मामले में हुई.

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स्वामी प्रसाद मौर्य
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Published : Jul 26, 2022, 11:48 AM IST

लखनऊ: एसटीएफ ने 21 अप्रैल को स्वामी प्रसाद मौर्य के निजी सचिव अरमान को उसके 4 साथियों के साथ बेरोजगारों को नौकरी के नाम पर ठगी करने के आरोप में गिरफ्तार किया था. पूछताछ में सामने आया था कि अरमान मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य के सचिवालय स्थित कमरे में ही युवकों से डील करता था और वहीं इंटरव्यू भी लेता था.

डिप्टी एसपी एसटीएफ दीपक कुमार के मुताबिक बेरोजगारों से नौकरी के नाम पर ठगी करने वाला अरमान स्वामी प्रसाद मौर्य का निजी सचिव तक था. ऐसे में यह संभव नहीं है कि ये बिना पूर्व मंत्री की जानकारी के हो रहा हो. इसी को लेकर स्वामी प्रसाद मौर्य से पूछताछ की गई है. स्वामी प्रसाद मौर्य से करीब डेढ़ घंटे पूछताछ की गई थी. दीपक कुमार ने बताया स्वामी प्रसाद ने संतोष जनक जवाब नहीं दिए है.

उन्होंने एसटीएफ के सवालों के जवाब देते हुए कहा है कि अरमान उनका कार्यकर्ता मात्र था. वह क्या करता था क्या नहीं उन्हें इसकी जानकारी नहीं थी. दीपक कुमार के मुताबिक, स्वामी के जवाब से संतुष्ट नहीं है, क्यों कि स्वामी प्रसाद के कमरे में बेरोजगारों से ठगी हो रही थी और उन्हें मालूम ही नहीं चला यह संदेह पैदा करता है.
ये भी पढ़ें-'नमामि गंगे पर 11 हजार खर्च के बावजूद क्यों हैं प्रदूषण', वरुण गांधी का मोदी सरकार पर निशाना


स्वामी प्रसाद मौर्य के कमरे में ठग लेते थे इंटरव्यू: सरकारी विभागों में नौकरी दिलाने के नाम पर बेरोजगारों से लाखों रुपये लूटने वाला पूर्व मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य का निजी सचिव अरमान ने एसटीएफ की पूछताछ में बताया था कि वो बेरोजगार नौजवानों को सचिवालय में पूर्व मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य के लिए सरकार द्वारा आवंटित कमरे में बुलाकर उनका इंटरव्यू लेता था. इसके लिए पहले अरमान के 3 सहयोगी विशाल, फैजी व सैफी सचिवालयकर्मी बन कर नौजवानों से मिलते थे. फिर उन्हें नौकरी दिलाने का झांसा देकर सचिवालय में अरमान के पास आते थे, जहां वो उनका इंटरव्यू लेता था.

एसटीएफ के डिप्टी एसपी दीपक सिंह ने बताया कि ठगी के शिकार जितेश कुमार सिंह, अंकित यादव, राजप्रकाश और अमृतलाल ने इस मामले में शिकायत की थी कि जलील और असगर खान खुद को अरमान का करीबी और सचिवालय कर्मचारी बताकर सचिवालय में ले गए थे. यहां पूर्व मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य के कार्यालय में निजी सचिव की केबिन में अरमान से मिलवाया गया. यहां अरमान ने उनका इंटरव्यू लिया था. इंटरव्यू के बाद नौकरी दिलाने के नाम पर रुपये की मांग की गई. इसमें कुछ रकम असगर के खाते में जमा कराई गई. बाकी रकम नकद में मांगी गई. पैसे मिलने के बाद पीड़ितों को ब्लैंक चेक और शैक्षिक योग्यता प्रमाण लेकर नियुक्ति पत्र दे दिया गया.

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लखनऊ: एसटीएफ ने 21 अप्रैल को स्वामी प्रसाद मौर्य के निजी सचिव अरमान को उसके 4 साथियों के साथ बेरोजगारों को नौकरी के नाम पर ठगी करने के आरोप में गिरफ्तार किया था. पूछताछ में सामने आया था कि अरमान मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य के सचिवालय स्थित कमरे में ही युवकों से डील करता था और वहीं इंटरव्यू भी लेता था.

डिप्टी एसपी एसटीएफ दीपक कुमार के मुताबिक बेरोजगारों से नौकरी के नाम पर ठगी करने वाला अरमान स्वामी प्रसाद मौर्य का निजी सचिव तक था. ऐसे में यह संभव नहीं है कि ये बिना पूर्व मंत्री की जानकारी के हो रहा हो. इसी को लेकर स्वामी प्रसाद मौर्य से पूछताछ की गई है. स्वामी प्रसाद मौर्य से करीब डेढ़ घंटे पूछताछ की गई थी. दीपक कुमार ने बताया स्वामी प्रसाद ने संतोष जनक जवाब नहीं दिए है.

उन्होंने एसटीएफ के सवालों के जवाब देते हुए कहा है कि अरमान उनका कार्यकर्ता मात्र था. वह क्या करता था क्या नहीं उन्हें इसकी जानकारी नहीं थी. दीपक कुमार के मुताबिक, स्वामी के जवाब से संतुष्ट नहीं है, क्यों कि स्वामी प्रसाद के कमरे में बेरोजगारों से ठगी हो रही थी और उन्हें मालूम ही नहीं चला यह संदेह पैदा करता है.
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स्वामी प्रसाद मौर्य के कमरे में ठग लेते थे इंटरव्यू: सरकारी विभागों में नौकरी दिलाने के नाम पर बेरोजगारों से लाखों रुपये लूटने वाला पूर्व मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य का निजी सचिव अरमान ने एसटीएफ की पूछताछ में बताया था कि वो बेरोजगार नौजवानों को सचिवालय में पूर्व मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य के लिए सरकार द्वारा आवंटित कमरे में बुलाकर उनका इंटरव्यू लेता था. इसके लिए पहले अरमान के 3 सहयोगी विशाल, फैजी व सैफी सचिवालयकर्मी बन कर नौजवानों से मिलते थे. फिर उन्हें नौकरी दिलाने का झांसा देकर सचिवालय में अरमान के पास आते थे, जहां वो उनका इंटरव्यू लेता था.

एसटीएफ के डिप्टी एसपी दीपक सिंह ने बताया कि ठगी के शिकार जितेश कुमार सिंह, अंकित यादव, राजप्रकाश और अमृतलाल ने इस मामले में शिकायत की थी कि जलील और असगर खान खुद को अरमान का करीबी और सचिवालय कर्मचारी बताकर सचिवालय में ले गए थे. यहां पूर्व मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य के कार्यालय में निजी सचिव की केबिन में अरमान से मिलवाया गया. यहां अरमान ने उनका इंटरव्यू लिया था. इंटरव्यू के बाद नौकरी दिलाने के नाम पर रुपये की मांग की गई. इसमें कुछ रकम असगर के खाते में जमा कराई गई. बाकी रकम नकद में मांगी गई. पैसे मिलने के बाद पीड़ितों को ब्लैंक चेक और शैक्षिक योग्यता प्रमाण लेकर नियुक्ति पत्र दे दिया गया.

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