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शिया वक्फ बोर्ड का चुनाव 15 को, चेयरमैन पद के लिए आठ सदस्यों के बीच होगा मुकाबला

उत्तर प्रदेश सरकार ने शिया वक्फ बोर्ड की चुनाव की तारीख का ऐलान कर दिया है. ये चुनाव 15 नवंबर को होगा.

up govt announces date shia wakf board elections on november 15
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Published : Nov 10, 2021, 9:00 PM IST

लखनऊ: वसीम रिजवी के चलते अक्सर विवादों में रहने वाले शिया वक्फ बोर्ड को लेकर सरकार ने बड़ा एलान कर दिया है. उत्तर प्रदेश सरकार ने आगामी 15 नवम्बर को वक्फ बोर्ड के चुनाव की तारीखों की घोषणा कर दी है। शिया वक्फ बोर्ड के चुनाव में आठ सदस्यों के बीच मुकाबला होगा, जिसमें पूर्व अध्यक्ष वसीम रिजवी का भी नाम शामिल है.

यूपी सरकार का आदेश
यूपी सरकार का आदेश

योगी सरकार के कार्यकाल में पहली बार हो रहे इस चुनाव में बीजेपी नेता सय्यद फ़ैज़ी और कांग्रेस की पूर्व सांसद बेगम नूर बानों भी भाग लेंगी. मुसलमानों की पवित्र किताब कुरान और फिर पैगम्बर मोहम्मद साहब की जीवनी पर विवादित किताब के चलते वसीम रिजवी का जमकर विरोध हो रहा है. सूत्रों की मानें तो वसीम रिजवी का कोई भी इस चुनाव में समर्थन नहीं कर रहा है. इसके चलते पिछले चार बार से अध्यक्ष पद पर काबिज रिजवी की कुर्सी छिनती हुई नजर आ रही है.

ये भी पढ़ें-जानिए, भाजपा के कितने विधायकों की छवि जनता के बीच साफ-सुथरी, दोबारा मिल सकता है टिकट...

वसीम रिजवी इसके पहले बसपा और सपा सरकार के कार्यकाल में चेयरमैन चुने गए थे. वहीं योगी सरकार में पहली बार हो रहे शिया वक्फ बोर्ड के चुनाव में उनका जीतना चौतरफा विरोध के चलते नामुमकिन है. सूत्रों की मानें तो आठ सदस्यों के बीच इस चुनाव में इस बार कोई नया चेहरा कुर्सी पर काबिज होगा.

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लखनऊ: वसीम रिजवी के चलते अक्सर विवादों में रहने वाले शिया वक्फ बोर्ड को लेकर सरकार ने बड़ा एलान कर दिया है. उत्तर प्रदेश सरकार ने आगामी 15 नवम्बर को वक्फ बोर्ड के चुनाव की तारीखों की घोषणा कर दी है। शिया वक्फ बोर्ड के चुनाव में आठ सदस्यों के बीच मुकाबला होगा, जिसमें पूर्व अध्यक्ष वसीम रिजवी का भी नाम शामिल है.

यूपी सरकार का आदेश
यूपी सरकार का आदेश

योगी सरकार के कार्यकाल में पहली बार हो रहे इस चुनाव में बीजेपी नेता सय्यद फ़ैज़ी और कांग्रेस की पूर्व सांसद बेगम नूर बानों भी भाग लेंगी. मुसलमानों की पवित्र किताब कुरान और फिर पैगम्बर मोहम्मद साहब की जीवनी पर विवादित किताब के चलते वसीम रिजवी का जमकर विरोध हो रहा है. सूत्रों की मानें तो वसीम रिजवी का कोई भी इस चुनाव में समर्थन नहीं कर रहा है. इसके चलते पिछले चार बार से अध्यक्ष पद पर काबिज रिजवी की कुर्सी छिनती हुई नजर आ रही है.

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वसीम रिजवी इसके पहले बसपा और सपा सरकार के कार्यकाल में चेयरमैन चुने गए थे. वहीं योगी सरकार में पहली बार हो रहे शिया वक्फ बोर्ड के चुनाव में उनका जीतना चौतरफा विरोध के चलते नामुमकिन है. सूत्रों की मानें तो आठ सदस्यों के बीच इस चुनाव में इस बार कोई नया चेहरा कुर्सी पर काबिज होगा.

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