लखनऊ: जेवर एयरपोर्ट के शिलान्यास पर कांग्रेस ने तीखी प्रतिक्रिया दी है. कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार ने बुलेट ट्रेन की तरह इसे भी तमाशा बताया है. उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने कहा कि विकास के हर मोर्चे पर विफल सरकार झूठा प्रोपोगेंडा करती है. अब चुनाव के समय जेवर एयरपोर्ट के शिलान्यास की हकीकत प्रदेश के लोग समझ रहे हैं.
अजय कुमार लल्लू ने कहा कि जिन किसानों से उनकी स्वाभिमान का प्रतीक जमीनें अधिग्रहित की गईं. अधिग्रहण में भूमि अधिग्रहण कानून की धज्जियां उड़ाकर संविधान और किसान के सम्मान को पैरों तले रौंदा गया. जिस जमीन को लेकर सरकार शिलान्यास को भव्य बनाकर जश्न मना रही है. उस जमीन के मालिक अन्नदाता को मुआवजा नहीं मिलना भाजपा सरकार और प्रधानमंत्री की संवेदनहीनता की पराकाष्ठा को दर्शाता है.
लखनऊ में अजय कुमार लल्लू बोले कि भाजपा के ऐसे इवेंट और शिलान्यास के तमाशे कोई नए नहीं हैं. इससे पहले भी एक बड़ा भव्य जश्न का का इवेंट बुलेट ट्रेन का किया गया था. लोग उस तमाशे को भूले नहीं हैं. यह उसी कहावत को चरितार्थ करता है कि रोम जल रहा था और नीरो बांसुरी बजा रहा था. हज़ारों किसान परिवार मुआवजे के लिए आंदोलन कर रहे हैं और भटक रहे हैं. सैकड़ों परिवार उजाड़े गये. किसानों के परिवार खुले आसमान के नीचे अब भी रह रहे हैं, लेकिन संवेदनहीन भाजपा सरकार को कोई फिक्र नहीं है.
अजय कुमार लल्लू ने कहा कि यह जश्न 700 किसानों की शहादत का मजाक है. प्रधानमंत्री ने इससे पहले भी कहा था कि हवाई चप्पल पहनने वाले हवाई जहाज में घूमेंगे. लेकिन हवाई चप्पल वाले ही नहीं गाड़ी पर चलने वाले बर्बाद हो गये. उन्होंने कहा कि आंकड़े बता रहे हैं कि प्रदेश के लोगों की आय घटकर आधी रह गयी है. बेरोजगारी बढ़ गयी है.
अजय कुमार लल्लू बोले कि जेवर एयरपोर्ट का शिलान्यास करने वाली भाजपा सरकार ने कोरोना काल में लोगों को इलाज में अपने जेवर बेचने पर मजबूर कर दिया. यह जश्न ऐसे समय मनाया जा रहा है जब सरकार की गलत नीतियों के चलते देश की अर्थव्यवस्था बर्बाद हो गयी. हवाई अड्डे का तमाशा किसके लिए. प्रधानमंत्री ये भी बता देते कि इस जेवर एयरपोर्ट को नीलाम किसे करेंगे. अडानी को या अंबानी को?
उन्होंने कहा कि यदि सरकार को किसानों की चिंता होती तो नगला शरीफ, किशोर पुर, बनवारी पुर, परोही, रुहेड़ा, दयानक पुर गांव हो या रोही गांव जहां के लोगों को अब तक मुआवजा नहीं मिला. अन्नदाता आंदोलनरत हैं. पहले ग्रामीण क्षेत्र की जमीनों का लैंड यूज बदलकर शहरी किया. उसके बाद भी मुआवजा ग्रामीण क्षेत्र के सर्किल रेट में दिया जा रहा है. भाजपा सरकार जमीन शहरी मान रही और आबादी ग्रामीण सिर्फ इसलिए कि अन्नदाता को उचित मुआवजा न मिलने पाए.
ऐसी ही जरूरी और विश्वसनीय खबरों के लिए डाउनलोड करें ईटीवी भारत ऐप