ETV Bharat / city

गोमती नदी की सफाई में बह गये हजारों करोड़, फिर भी नहीं सुधरे हालात

1984 में गोमती नदी को साफ कराने के लिए विशेष कार्यक्रम की शुरुआत की गई थी. गोमती एक्शन प्लान लाया गया था. तब से अब तक हजारों करोड़ रुपये सफाई के नाम पर खर्च किए जा चुके हैं. बावजूद नतीजा सिफर है. देखिए ये खास रिपोर्ट...

गोमती नदी
गोमती नदी
author img

By

Published : Jun 10, 2022, 7:58 PM IST

लखनऊ : गोमती नदी लखनऊ की लाइफ लाइन है. इस नदी को साफ कराने के नाम पर हजारों करोड़ रुपये बर्बाद हो चुके हैं. बावजूद नदी की सेहत दिन पर दिन बिगड़ती जा रही है. ETV Bharat ने शुक्रवार को जब इस नदी का दौरा किया तो बेहद दर्दनाक तस्वीर उभर कर सामने आई. नदी का पानी गंदा और बदबूदार है. झूलेलाल पार्क घाट के पास खड़ा होना तक मुश्किल है. नदी में कूड़ा बह रहा है. करीब 27 छोटे-बड़े नालों से हर रोज सैकड़ों मीट्रिक टन जहर गोमती में घोला जा रहा है. किसी तरह पानी ट्रीटमेंट करके लखनऊ के एक बड़े इलाके की प्यास बुझाई जा रही है.

जानकारी देते संवाददाता आशीष त्रिपाठी
यह है नदी के हालात : बाबा साहब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय के पर्यावरण विज्ञान विभाग के सदस्य डॉ. वेंकटेश दत्ता का कहना है कि गोमती में अभी 33 में से करीब 17 नाले गिर रहे हैं. इन नालों से 323 एमएलडी सीवर नदी में गिरता है. पिपरा घाट के पास तो स्थिति और भी ज्यादा खराब है. उन्होंने बताया कि पिपराघाट और दो घाट के बीच में नालों से सीवर सीधे-सीधे गोमती में गिर रहा है. 1984 में गोमती नदी को साफ कराने के लिए विशेष कार्यक्रम की शुरुआत की गई थी.

नदी में दम तोड़ रहा है जीवन : लखनऊ में स्वच्छ पर्यावरण आंदोलन सेना की ओर से बीते 4 साल से गोमती नदी की सफाई का अभियान चलाया जा रहा है. स्वच्छ पर्यावरण आंदोलन सेना के संयोजक रणजीत सिंह ने बताया कि इस समय गोमती नदी बहुत बुरी तरह से प्रदूषित है. एनजीटी की रिपोर्ट के मुताबिक गोमती नदी का पानी का इस्तेमाल करना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है. उन्होंने बताया कि स्वच्छ पर्यावरण सेना की तरफ से बीते 4 वर्षों से गोमती नदी को लेकर सफाई अभियान प्रत्येक शनिवार चलाया जा रहा है. करीब 100 लोग नदी की तलहटी तक उतरकर सफाई करते हैं. पिछली सरकारों में नदी के सफाई के नाम पर करोड़ों का घोटाला किया गया. वर्तमान सरकार की तरफ से काम शुरू किया गया है. यह स्वागत योग्य कदम है. रणजीत सिंह ने कहा कि गोमती को साफ करने के लिए नालों को रोकने की जरूरत है, वहीं तलहटी में जमे कचरे को हटाने को लेकर काम किया जाना चाहिए.

ये भी पढ़ें : काशी में निर्जला एकादशी पर निकाली गई कलश शोभयात्रा

करोड़ों रुपए हुए खर्च : समाजवादी पार्टी की सरकार में गोमती के किनारे को खूबसूरत बनाने के लिए गोमती रिवरफ्रंट प्रोजेक्ट शुरू किया गया. 2016 में शुरू हुई इस परियोजना में करीब 1427 करोड़ रुपए खर्च भी हो गए. कोई नतीजा नहीं निकला. वहीं बीएसपी की सरकार में गोमती नदी संरक्षण समिति बनाई गई थी. उसका भी कोई लाभ नहीं मिला.

ऐसी ही जरूरी और विश्वसनीय खबरों के लिए डाउनलोड करें ईटीवी भारत ऐप

लखनऊ : गोमती नदी लखनऊ की लाइफ लाइन है. इस नदी को साफ कराने के नाम पर हजारों करोड़ रुपये बर्बाद हो चुके हैं. बावजूद नदी की सेहत दिन पर दिन बिगड़ती जा रही है. ETV Bharat ने शुक्रवार को जब इस नदी का दौरा किया तो बेहद दर्दनाक तस्वीर उभर कर सामने आई. नदी का पानी गंदा और बदबूदार है. झूलेलाल पार्क घाट के पास खड़ा होना तक मुश्किल है. नदी में कूड़ा बह रहा है. करीब 27 छोटे-बड़े नालों से हर रोज सैकड़ों मीट्रिक टन जहर गोमती में घोला जा रहा है. किसी तरह पानी ट्रीटमेंट करके लखनऊ के एक बड़े इलाके की प्यास बुझाई जा रही है.

जानकारी देते संवाददाता आशीष त्रिपाठी
यह है नदी के हालात : बाबा साहब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय के पर्यावरण विज्ञान विभाग के सदस्य डॉ. वेंकटेश दत्ता का कहना है कि गोमती में अभी 33 में से करीब 17 नाले गिर रहे हैं. इन नालों से 323 एमएलडी सीवर नदी में गिरता है. पिपरा घाट के पास तो स्थिति और भी ज्यादा खराब है. उन्होंने बताया कि पिपराघाट और दो घाट के बीच में नालों से सीवर सीधे-सीधे गोमती में गिर रहा है. 1984 में गोमती नदी को साफ कराने के लिए विशेष कार्यक्रम की शुरुआत की गई थी.

नदी में दम तोड़ रहा है जीवन : लखनऊ में स्वच्छ पर्यावरण आंदोलन सेना की ओर से बीते 4 साल से गोमती नदी की सफाई का अभियान चलाया जा रहा है. स्वच्छ पर्यावरण आंदोलन सेना के संयोजक रणजीत सिंह ने बताया कि इस समय गोमती नदी बहुत बुरी तरह से प्रदूषित है. एनजीटी की रिपोर्ट के मुताबिक गोमती नदी का पानी का इस्तेमाल करना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है. उन्होंने बताया कि स्वच्छ पर्यावरण सेना की तरफ से बीते 4 वर्षों से गोमती नदी को लेकर सफाई अभियान प्रत्येक शनिवार चलाया जा रहा है. करीब 100 लोग नदी की तलहटी तक उतरकर सफाई करते हैं. पिछली सरकारों में नदी के सफाई के नाम पर करोड़ों का घोटाला किया गया. वर्तमान सरकार की तरफ से काम शुरू किया गया है. यह स्वागत योग्य कदम है. रणजीत सिंह ने कहा कि गोमती को साफ करने के लिए नालों को रोकने की जरूरत है, वहीं तलहटी में जमे कचरे को हटाने को लेकर काम किया जाना चाहिए.

ये भी पढ़ें : काशी में निर्जला एकादशी पर निकाली गई कलश शोभयात्रा

करोड़ों रुपए हुए खर्च : समाजवादी पार्टी की सरकार में गोमती के किनारे को खूबसूरत बनाने के लिए गोमती रिवरफ्रंट प्रोजेक्ट शुरू किया गया. 2016 में शुरू हुई इस परियोजना में करीब 1427 करोड़ रुपए खर्च भी हो गए. कोई नतीजा नहीं निकला. वहीं बीएसपी की सरकार में गोमती नदी संरक्षण समिति बनाई गई थी. उसका भी कोई लाभ नहीं मिला.

ऐसी ही जरूरी और विश्वसनीय खबरों के लिए डाउनलोड करें ईटीवी भारत ऐप

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.