लखनऊ : मानसून में लोग बारिश की आस लगाए रहे. चिलचिलाती धूप से हर कोई परेशान था. इस बार गर्मी की शुरुआत मार्च के शुरुआती दिनों से ही हो गई थी. चार महीने गर्मी बिताने के बाद शनिवार को बारिश हुई. मौसम विभाग के द्वारा बारिश के अनुमान कई बार फेल हुए. लखनऊ विश्वविद्यालय के भूविज्ञान विभाग के प्रोफेसर ध्रुव सेन सिंह का कहना है कि प्रकृति के अनुसार कोई भी कार्य नहीं हो रहा है. सभी कार्य विपरीत हो रहे हैं. प्रदूषण का स्तर बढ़ चुका है. यही प्रदूषण बारिश का दुश्मन बन चुका है.
प्रो. ध्रुव सेन सिंह बताते हैं कि हम लोग जलवायु परिवर्तन के संक्रमण काल से गुजर रहे हैं और इसमें असमान व्यवहार देखने को मिलते हैं. कभी ठंडी बढ़ जाएगी, कभी गर्मी बढ़ जाएगी तो कभी मानसून देर से आता है. कभी मानसून समय से पहले ही आ जाता है. कभी-कभी इतनी ठंड पड़ती है कि सर्दी से लोगों की जान जाने लगती है. ऐसा माना जाता है कि मानसून जून के दूसरे सप्ताह तक लखनऊ में आ जाता है. इस बार का अनुमान था कि 20 जून तक मानसून आ जाएगा.
उन्होंने बताया कि जब केरल में समय से पहले मानसून आ गया तो ऐसा अनुमान लगाया गया कि लखनऊ में भी जून के दूसरे सप्ताह तक आ जाएगा. उन्होंने बताया कि जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग के कारण समुंदरों के सतह का तापक्रम थोड़ा सा बढ़ जाता है. मई के आखिरी में जो चक्रवात आया था उसके कारण जो नमी थी वह समाप्त हो गई है. मानसून की दो धारायें एक अरब सागर और दूसरा बंगाल की खाड़ी से आती हैं. उत्तर प्रदेश में बंगाल की खाड़ी की ओर से आने वाले मानसून से बारिश होती है. इतना ज्यादा प्रदूषण हो चुका है, जिसकी वजह से मानसून प्रभावित हुआ है.
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उन्होंने बताया कि दो वर्षों से इस तरह तमाम गतिविधियां लॉकडाउन के दौरान बंद थीं. न कोई फैक्ट्री चालू थी और न ही सड़कों पर वाहन चल रहे थे. जिसकी वजह से हमारा वातावरण पूरी तरह से स्वस्थ हो गया था. हालांकि मानसून अब आ गया है. अनुमान लगाया जा रहा है कि अब कुछ दिन सावन के महीने में अच्छी बारिश होने की संभावना है.
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