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कन्नौज: हिरासत में शिक्षक की मौत का मामला, इंस्पेक्टर समेत 4 पुलिसकर्मी दोषी, SIT ने दर्ज करायी FIR

कन्नौज के तिर्वा कोतवाली में पुलिस हिरासत में जालौन के शिक्षक की मौत के मामले में एसआईटी ने तत्कालीन तिर्वा इंस्पेक्टर समेत 4 पुलिसकर्मियों को अपनी जांच में दोषी पाया है. चारों पुलिसकर्मियों के खिलाफ एसआईटी ने एफआईआर दर्ज की है.

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कन्नौज पुलिस हिरासत में शिक्षक की मौत का मामला
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Published : Jun 23, 2022, 7:18 AM IST

Updated : Jun 23, 2022, 12:42 PM IST

लखनऊ: कन्नौज के तिर्वा कोतवाली में पुलिस हिरासत में जालौन के शिक्षक की मौत के मामले में एसआईटी ने तत्कालीन तिर्वा इंस्पेक्टर समेत 4 पुलिसकर्मियों को अपनी जांच में दोषी पाया है. चारों पुलिसकर्मियों के खिलाफ एसआईटी ने एफआईआर दर्ज की है. सीबीसीआईडी इंस्पेक्टर विमलकांत मिश्रा ने जांच में पाया गया है कि इंस्पेक्टर ने अवैध रूप से शिक्षक को थाने में हिरासत में रखा और उन्ही की लापरवाही के चलते शिक्षक की आत्महत्या करने के दौरान मौत हो गयी थी.

थाने के शौचालय में मिला था शिक्षक का शव: जालौन के गिधौंसा के रहने वाले शिक्षक पर्वत सिंह 20 मार्च 2020 को तिर्वा कोतवाली के सुक्खापुर्वा गांव में ससुराल में रह रही पत्नी नीरज सिंह को बुलाने आए थे. रात को पत्नी और ससुराल वालों से उनका विवाद हो गया. पत्नी नीरज की शिकायत पर तिर्वा पुलिस ने शिक्षक पति को हिरासत में लेकर हवालात में बंद कर दिया था. सुबह करीब तीन बजे कोतवाली के शौचालय में फांसी के फंदे पर शिक्षक पर्वत सिंह का लटकता शव मिला था. मृतक के पिता ने श्रीराम ने बहु नीरज समेत 3 लोगों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई थी.


सीबीसीआईडी ने की थी जांच: पुलिस हिरासत में शिक्षक की मौत के बाद मामला तूल पकड़ा तो इस पूरे मामले की जांच सीबीसीआईडी को दे दी गई थी. इसके बाद सीबीसीआईडी ने तत्कालीन तिर्वा कोतवाली प्रभारी त्रिभुवन कुमार, हेड मोहर्रिर राधेश्याम, पहरेदार आरक्षी अरुण कुमार और मामले की विवेचना कर रहे विवेचक तत्कालीन सदर कोतवाली प्रभारी निरीक्षक विकास राय के खिलाफ बगैर बिसरा रिपोर्ट के फाइनल रिपोर्ट लगाने पर एफआईआर दर्ज कराई थी.
ये भी पढ़ें- वाराणसी एयरपोर्ट पर संस्कृत में अनाउंसमेंट, देश में पहली बार किया गया प्रयोग


HC के निर्देश पर हुई है SIT जांच, पुलिसकर्मी पाए गए दोषी: आरोपी इंस्पेक्टर त्रिभुवन कुमार व आरक्षी अरुण कुमार की याचिका पर हाईकोर्ट की डबल बेंच ने राज्य सरकार को एसआईटी गठित कर पूरे प्रकरण की निष्पक्ष जांच कराने के निर्देश दिए थे. जिसके बाद जांच में एसआईटी ने पाया कि आरोपी इंस्पेक्टर त्रिभुवन सिंह ने अवैध रूप से शिक्षक पर्वत सिंह को थाने में हिरासत में रखा था, यही नही उनका मेडिकल तक नही कराया गया.

जांच में पाया गया कि हेड मोहिर्रर राधेश्याम ने मृतक पर्वत के साले की शिकायत पर बिना विधिक कार्रवाई करते हुए उसने थाने पर मृतक को बिठाए रखा. वहीं पहरेदार अरुण कुमार ने मृतक को शौचालय ले जाकर लापरवाही दिखाई जिसपर पर्वत सिंह ने हत्या कर ली. एसआईटी ने इन सभी पुलिसकर्मी को 306 आईपीसी का दोषी माना है. वहीं केस की विवेचना कर रहे सब इंस्पेक्टर विकास राय ने मृतक की विसरा रिपोर्ट का इंतजार किये बिना ही व गलत तथ्यों के आधार पर फाइनल रिपोर्ट लगाने का दोषी माना है.

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लखनऊ: कन्नौज के तिर्वा कोतवाली में पुलिस हिरासत में जालौन के शिक्षक की मौत के मामले में एसआईटी ने तत्कालीन तिर्वा इंस्पेक्टर समेत 4 पुलिसकर्मियों को अपनी जांच में दोषी पाया है. चारों पुलिसकर्मियों के खिलाफ एसआईटी ने एफआईआर दर्ज की है. सीबीसीआईडी इंस्पेक्टर विमलकांत मिश्रा ने जांच में पाया गया है कि इंस्पेक्टर ने अवैध रूप से शिक्षक को थाने में हिरासत में रखा और उन्ही की लापरवाही के चलते शिक्षक की आत्महत्या करने के दौरान मौत हो गयी थी.

थाने के शौचालय में मिला था शिक्षक का शव: जालौन के गिधौंसा के रहने वाले शिक्षक पर्वत सिंह 20 मार्च 2020 को तिर्वा कोतवाली के सुक्खापुर्वा गांव में ससुराल में रह रही पत्नी नीरज सिंह को बुलाने आए थे. रात को पत्नी और ससुराल वालों से उनका विवाद हो गया. पत्नी नीरज की शिकायत पर तिर्वा पुलिस ने शिक्षक पति को हिरासत में लेकर हवालात में बंद कर दिया था. सुबह करीब तीन बजे कोतवाली के शौचालय में फांसी के फंदे पर शिक्षक पर्वत सिंह का लटकता शव मिला था. मृतक के पिता ने श्रीराम ने बहु नीरज समेत 3 लोगों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई थी.


सीबीसीआईडी ने की थी जांच: पुलिस हिरासत में शिक्षक की मौत के बाद मामला तूल पकड़ा तो इस पूरे मामले की जांच सीबीसीआईडी को दे दी गई थी. इसके बाद सीबीसीआईडी ने तत्कालीन तिर्वा कोतवाली प्रभारी त्रिभुवन कुमार, हेड मोहर्रिर राधेश्याम, पहरेदार आरक्षी अरुण कुमार और मामले की विवेचना कर रहे विवेचक तत्कालीन सदर कोतवाली प्रभारी निरीक्षक विकास राय के खिलाफ बगैर बिसरा रिपोर्ट के फाइनल रिपोर्ट लगाने पर एफआईआर दर्ज कराई थी.
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HC के निर्देश पर हुई है SIT जांच, पुलिसकर्मी पाए गए दोषी: आरोपी इंस्पेक्टर त्रिभुवन कुमार व आरक्षी अरुण कुमार की याचिका पर हाईकोर्ट की डबल बेंच ने राज्य सरकार को एसआईटी गठित कर पूरे प्रकरण की निष्पक्ष जांच कराने के निर्देश दिए थे. जिसके बाद जांच में एसआईटी ने पाया कि आरोपी इंस्पेक्टर त्रिभुवन सिंह ने अवैध रूप से शिक्षक पर्वत सिंह को थाने में हिरासत में रखा था, यही नही उनका मेडिकल तक नही कराया गया.

जांच में पाया गया कि हेड मोहिर्रर राधेश्याम ने मृतक पर्वत के साले की शिकायत पर बिना विधिक कार्रवाई करते हुए उसने थाने पर मृतक को बिठाए रखा. वहीं पहरेदार अरुण कुमार ने मृतक को शौचालय ले जाकर लापरवाही दिखाई जिसपर पर्वत सिंह ने हत्या कर ली. एसआईटी ने इन सभी पुलिसकर्मी को 306 आईपीसी का दोषी माना है. वहीं केस की विवेचना कर रहे सब इंस्पेक्टर विकास राय ने मृतक की विसरा रिपोर्ट का इंतजार किये बिना ही व गलत तथ्यों के आधार पर फाइनल रिपोर्ट लगाने का दोषी माना है.

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Last Updated : Jun 23, 2022, 12:42 PM IST
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