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डीजे पर प्रतिबंध के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई आज - डीजे पर रोक

सुप्रीम कोर्ट आज इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करेगा. इस आदेश में डीजे पर पूरी तरह से रोक लगा दी गई थी. आदेश में कहा गया था कि डीजे बजाने से ध्वनि प्रदूषण होता है.

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Published : Jul 15, 2021, 7:16 AM IST

प्रयागराज: सुप्रीम कोर्ट आज इलाहाबाद हाई कोर्ट के उस फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करेगा, जिसमें डीजे पर पूरी तरह से रोक लगा दी गई थी. आदेश में कहा गया था कि डीजे बजाने से ध्वनि प्रदूषण होता है. इस मामले की सुनवाई आज जस्टिस विनीत सरन और जस्टिस दिनेश माहेश्वरी की पीठ करेगी. शीर्ष अदालत में जस्टिस विनीत सरन और जस्टिस दिनेश माहेश्वरी की पीठ के सामने याचिकाकर्ता की तरफ से 7 जुलाई को यह मामला पेश किया गया था.

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अगस्त, 2019 में शादी समारोहों में डीजे बजने से होने वाले शोर को अप्रिय बताया था और इन पर पूरी तरह रोक लगाने का आदेश जारी किया था. सुप्रीम कोर्ट ने अक्टूबर 2019 में हाई कोर्ट के आदेश का क्रियान्वयन स्थगित कर दिया था. साथ ही कहा था कि डीजे संचालकों की अर्जियों पर विचार किया जाएगा और अगर वे कानून के अनुसार काम करते मिले तो उन्हें कार्य जारी रखने की अनुमति दी जाएगी.


इस मामले से जुड़ी कई याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश हुए अधिवक्ता दुष्यंत पाराशर ने शीर्ष अदालत को बताया कि प्रदेश में डीजे संचालक जन्मदिन पार्टी, विवाह समारोह और अन्य मौकों पर अपनी सेवाएं देकर आजीविका कमाते हैं. हाईकोर्ट ने उनकी सेवा पर पूरी तरह रोक लगा दी. इसकी वजह से इन संचालकों और इनके परिवारों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है.


इसे भी पढ़ें- पीएम मोदी आज करेंगे 'रुद्राक्ष' का उद्घाटन: काशी को देंगे 1500 करोड़ की योजनाओं की सौगात, सुनिए क्या कहते हैं जापानी

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने डीजे पर रोक लगाने का आदेश 20 अगस्त, 2019 को दिया किया था. इसमें ध्वनि प्रदूषण रोकथाम नियम 2000 का उल्लेख करते हुए डीजे पर प्रतिबंध लगाया गया था. इसमें सुप्रीम कोर्ट के 2005 के उस आदेश का भी उल्लेख किया गया था, जिसमें ध्वनि प्रदूषण से लोगों की जिंदगी पर नकारात्मक प्रभाव पड़ने की बात कही गई थी.

प्रयागराज: सुप्रीम कोर्ट आज इलाहाबाद हाई कोर्ट के उस फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करेगा, जिसमें डीजे पर पूरी तरह से रोक लगा दी गई थी. आदेश में कहा गया था कि डीजे बजाने से ध्वनि प्रदूषण होता है. इस मामले की सुनवाई आज जस्टिस विनीत सरन और जस्टिस दिनेश माहेश्वरी की पीठ करेगी. शीर्ष अदालत में जस्टिस विनीत सरन और जस्टिस दिनेश माहेश्वरी की पीठ के सामने याचिकाकर्ता की तरफ से 7 जुलाई को यह मामला पेश किया गया था.

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अगस्त, 2019 में शादी समारोहों में डीजे बजने से होने वाले शोर को अप्रिय बताया था और इन पर पूरी तरह रोक लगाने का आदेश जारी किया था. सुप्रीम कोर्ट ने अक्टूबर 2019 में हाई कोर्ट के आदेश का क्रियान्वयन स्थगित कर दिया था. साथ ही कहा था कि डीजे संचालकों की अर्जियों पर विचार किया जाएगा और अगर वे कानून के अनुसार काम करते मिले तो उन्हें कार्य जारी रखने की अनुमति दी जाएगी.


इस मामले से जुड़ी कई याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश हुए अधिवक्ता दुष्यंत पाराशर ने शीर्ष अदालत को बताया कि प्रदेश में डीजे संचालक जन्मदिन पार्टी, विवाह समारोह और अन्य मौकों पर अपनी सेवाएं देकर आजीविका कमाते हैं. हाईकोर्ट ने उनकी सेवा पर पूरी तरह रोक लगा दी. इसकी वजह से इन संचालकों और इनके परिवारों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है.


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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने डीजे पर रोक लगाने का आदेश 20 अगस्त, 2019 को दिया किया था. इसमें ध्वनि प्रदूषण रोकथाम नियम 2000 का उल्लेख करते हुए डीजे पर प्रतिबंध लगाया गया था. इसमें सुप्रीम कोर्ट के 2005 के उस आदेश का भी उल्लेख किया गया था, जिसमें ध्वनि प्रदूषण से लोगों की जिंदगी पर नकारात्मक प्रभाव पड़ने की बात कही गई थी.

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