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यूक्रेन से आने वाले यूपी के लोगों को जिलों तक पहुंचाएगी राज्य सरकार, हेल्पलाइन नंबर जारी - प्रदेश में कन्ट्रोल रूम

यूक्रेन से भारत पहुंचने वाले उत्तर प्रदेश के निवासियों को राज्य में पहुंचाने की व्यवस्था प्रदेश सरकार की ओर से की जाएगी. लखनऊ से लेकर यूक्रेन तक इस संबंध में भारत सरकार के साथ उत्तर प्रदेश सरकार समन्वय स्थापित कर रही है और हेल्पलाइन नंबर भी जारी कर दिया गया है.

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यूक्रेन से आने वाले उत्तर प्रदेश के लोगों को जिलों तक पहुंचाएगी राज्य सरकार
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Published : Feb 26, 2022, 9:20 PM IST

Updated : Feb 26, 2022, 10:45 PM IST

लखनऊ: यूक्रेन से भारत पहुंचने वाले उत्तर प्रदेश के निवासियों को राज्य में पहुंचाने की व्यवस्था प्रदेश सरकार की ओर से की जाएगी. यूक्रेन से दिल्ली पहुंचने वाले उत्तर प्रदेश के लोगों को जिलों तक यूपी रोडवेज के जरिए उत्तर प्रदेश सरकार मुफ्त पहुंचाएगी. इसकी जिम्मेदारी उत्तर प्रदेश राहत आयुक्त को दी गई है. लखनऊ से लेकर यूक्रेन तक इस संबंध में भारत सरकार के साथ उत्तर प्रदेश सरकार समन्वय स्थापित कर रही है और हेल्पलाइन नंबर भी जारी कर दिया गया है.

राज्य सरकार के प्रवक्ता ने शनिवार को बताया कि प्रदेश के स्थानिक आयुक्त को निर्देशित किया गया है कि वे यूक्रेन से आने वाले प्रदेश के नागरिकों की सुविधा के लिए एयरपोर्ट पर काउंटर स्थापित करें. केंद्र सरकार और अन्य समस्त संबंधित से समन्वय स्थापित करते हुए आवश्यक व्यवस्थाएं सुनिश्चित कराएं. उल्लेखनीय है कि, उत्तर प्रदेश सरकार ने यूक्रेन में उत्पन्न आपातकालीन परिस्थितियों के दृष्टिगत प्रदेश के विद्यार्थी/व्यक्ति, जो अभी यूक्रेन में हैं. उन तक सहायता पहुंचाने के लिए विदेश मंत्रालय, भारत सरकार और भारतीय दूतावास, कीव से समन्वय के लिए राहत आयुक्त और सचिव, राजस्व विभाग रणवीर प्रसाद को नोडल अधिकारी नामित किया है. साथ ही, प्रदेश में कन्ट्रोल रूम (24x7) स्थापित किया गया है, जिसका टोल फ्री हेल्पलाइन नं.-(0522) 1070, मोबाइल नं.-9454441081 तथा ई-मेल आईडी. rahat@nic.in है.

यूक्रेन से आने वाले उत्तर प्रदेश के लोगों को जिलों तक पहुंचाएगी राज्य सरकार

कानपुर दर्शन पुरवा निवासी एमबीबीएस चौथे वर्ष का छात्रा जेन्सी सिंह ने अपने परिवार को वीडियो मेसेज भेज कर आप बीती सुनाई .साथ ही साथ उसने पोलैंड बॉर्डर पे लगी लंबी कतार का भी वीडियो भेज कर यूक्रेन की परिस्तिथियों से भी अवगत कराया. जेन्सी ने बताया कि हालात दिन पे दिन बिगड़ते जा रहे हैं. खाने -पीने की व्यवस्था ना होने की वजह से वो खतरा उठाकर अपने फ्लैट पे खाना खाने की लिए आई है.

हाथरस में रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध होने की वजह से हिंदुस्तान की तमाम छात्र छात्राएं वहां फंसे हुए हैं, जिनके परिवार के लोग बेहद परेशान हैं. बहुत कम खुशनसीब हैं जिनके परिवार के बच्चे वतन वापस आ गए हैं आ चुके हैं. हाथरस जिले की सादाबाद के रहने राजेंद्र चौधरी का बेटा आलोक चौधरी यूक्रेन के टार्नीपिल शहर की नेशनल मेडिकल यूनिवर्सिटी से एमबीबीएस कर रहा है. वहां उसका यह तीसरा साल है. आलोक ने वायरल वीडियो में कहा है यहां एंबेसी में कोई नहीं है और कोई भी उत्तर नहीं देने वाला है. बच्चे दो दिनों से यहां खुले में पड़े हैं. 35 किलोमीटर पैदल चल कर आई यह कैसी भी कोई भी सुनवाई नहीं है. उसने अनुरोध किया है कि हमारा यह वीडियो इंडिया गवर्नमेंट तक पहुंचे और हमारे वतन वापसी लिए कुछ किया जाए. हाथरस के सादाबाद से कई मेडिकल स्टूडेंट फंसे हुए हैं, जिनके माता-पिता बहुत चिंतित हैं.

दहशत में बीत रहा है समय:-हृति सिंह

उन्नाव के औरास थाना क्षेत्र के दिपवल गांव की रहने वाली बेटी युक्रेन पढ़ने गयी थी. रूस से युद्ध के चलते वहाँ पर हृति सिंह फंस गई है. पिछले 4 सालों से वहां पर रह कर पढ़ाई कर रही है. हृति सिंह ने बताया कि रात-रात मेट्रो स्टेशन पर बिताना पड़ रहा है. यहां के हालात खराब हो गए हैं. बम दगने के आवाज रात से लेकर सुबह तक सुनाई पड़ रही है. अभी दो घण्टे से आवाज नहीं आई है. 4 ब्रेड 300 रुपए के मिलते हैं. पहले का जो स्टॉक था उसी से गुजारा कर रहे हैं.

इसे भी पढ़ें: यूक्रेन में फंसे यूपी के 341 लोग, कानपुर और लखनऊ समेत कई जिलों के युवा वापसी के इंतजार में

यूक्रेन से वापस लौटा एमबीबीएस का छात्र-हाथरस के खातीखाना मोहल्ले में रहने वाले शैलेंद्र वर्मा का बेटा दीपेश यूक्रेन के शहर इंडियन न्यू में एमबीबीएस की पढ़ाई करने के लिए नवंबर 2021 में गया था. रूस और यूक्रेन के बीच छिड़े युद्ध की वजह से उसे वापस आना पड़ा. अब वह दोबारा वापस जाएगा या नहीं यह अभी तय नहीं है, लेकिन दीपेश और उसका परिवार अपने बेहद खुशनसीब मानता है कि दीपेश समय रहते घर वापस आ गया. दीपेश ने बताया कि यूक्रेन में रहते हुए भी वहां की इतनी खराब स्थिति की जानकारी नहीं थी, जितनी कि हिंदुस्तान से उनके परिवार से मिल रही थी. उसने बताया कि जब वह वहां से चला था तब इतनी खराब स्थिति नहीं थी. उसके वहां से निकलते ही बमबारी शुरू हो गई थी.

यूक्रेन में फंसी बेटी, मां बोली- मोदी जरूर निकालेंगे

सुमेरपुर कस्बे के रहने वाले मुकेश कुमार ने बताया कि उसकी पुत्री प्रतीक्षा गुप्ता बीएससी करने के बाद एमबीबीएस करने के लिए डेढ़ वर्ष पूर्व यूक्रेन की राजधानी कीव शहर गई थी. तब से वह वहीं पर रहकर पढ़ाई कर रही है. रूस के हमला करने के बाद यूक्रेन में इंटरनेट की समस्या खड़ी हो गई है. इससे वीडियो कॉलिंग और सोशल मीडिया के माध्यम से हाल-चाल नहीं मिल पा रहा है. दिन में तीन से चार बार लैंडलाइन फोन से बातचीत हो रही है. बेटी और उसके परिजनों ने केंद्र सरकार से मदद की गुहार लगाई है.

इंडो-यूक्रेन मेडिकल स्टूडेंट्स गार्जियन एसोसिएशन के कन्वीनर पंकज धीरज ने बताया कि इन विषम परिस्थितियों में यूक्रेन के पश्चिमी क्षेत्र में बच्चे स्वयं द्वारा प्रबंध की गई. बसों से सड़क मार्ग से रोमानिया देश के रास्ते मे हैं. स्थानीय स्तर पर भी एजुकेशनल को कॉर्डिनेटर विद्यार्थियों से समन्वय कर उनकी वापसी का इंजाम कर रहे हैं. मगर अभिभावक उससे संतुष्ट नजर नहीं आ रहे. वहां बॉर्डर पर जाम लगा हुआ है. मालूम हुआ है कि रोमानिया देश में भारतीयों को प्राथमिकता दी जा रही है. जो सुखद खबर है, लेकिन फ्लाइट्स की स्थिति अभी स्पस्ट नहीं है. भारतीय छात्र किस फ्लाइट में और कब आएंगे. ये वहीं जाने पर पता चल पाएगा.

मोबाइल को चार्ज करने, नेटवर्क और खाने -पीने की समस्या से विद्यार्थी जूझ रहे हैं. बच्चों पर रुपये भी खत्म होने को हैं. यूक्रेन की उन पर रखी करेंसी अन्य देश मे व्यर्थ बताई जा रही है. सभी छात्रों व अभिभावकों की पीएम मोदी से मांग है कि वो यूक्रेन से सटे देशों रोमानिया, पोलैंड ,हंगरी आदि के लिए भारतीय बच्चों को एयर लिफ्ट कराने के लिए वहां हवाईयानों का ज्यादा से ज्यादा मूवमेंट करवाएं.वर्तमान में रोमानिया में करीब 250 बच्चों का पहुंचना बताया जा रहा है, जिनमे अलीगढ़ से करीब 6 बच्चे हैं. वहीं, चन्दौली के दो लाल भी यूक्रेन में फंसे हुए हैं.

नोट: ईटीवी भारत इस वायरल वीडियो की पुष्टि नहीं करता है.

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लखनऊ: यूक्रेन से भारत पहुंचने वाले उत्तर प्रदेश के निवासियों को राज्य में पहुंचाने की व्यवस्था प्रदेश सरकार की ओर से की जाएगी. यूक्रेन से दिल्ली पहुंचने वाले उत्तर प्रदेश के लोगों को जिलों तक यूपी रोडवेज के जरिए उत्तर प्रदेश सरकार मुफ्त पहुंचाएगी. इसकी जिम्मेदारी उत्तर प्रदेश राहत आयुक्त को दी गई है. लखनऊ से लेकर यूक्रेन तक इस संबंध में भारत सरकार के साथ उत्तर प्रदेश सरकार समन्वय स्थापित कर रही है और हेल्पलाइन नंबर भी जारी कर दिया गया है.

राज्य सरकार के प्रवक्ता ने शनिवार को बताया कि प्रदेश के स्थानिक आयुक्त को निर्देशित किया गया है कि वे यूक्रेन से आने वाले प्रदेश के नागरिकों की सुविधा के लिए एयरपोर्ट पर काउंटर स्थापित करें. केंद्र सरकार और अन्य समस्त संबंधित से समन्वय स्थापित करते हुए आवश्यक व्यवस्थाएं सुनिश्चित कराएं. उल्लेखनीय है कि, उत्तर प्रदेश सरकार ने यूक्रेन में उत्पन्न आपातकालीन परिस्थितियों के दृष्टिगत प्रदेश के विद्यार्थी/व्यक्ति, जो अभी यूक्रेन में हैं. उन तक सहायता पहुंचाने के लिए विदेश मंत्रालय, भारत सरकार और भारतीय दूतावास, कीव से समन्वय के लिए राहत आयुक्त और सचिव, राजस्व विभाग रणवीर प्रसाद को नोडल अधिकारी नामित किया है. साथ ही, प्रदेश में कन्ट्रोल रूम (24x7) स्थापित किया गया है, जिसका टोल फ्री हेल्पलाइन नं.-(0522) 1070, मोबाइल नं.-9454441081 तथा ई-मेल आईडी. rahat@nic.in है.

यूक्रेन से आने वाले उत्तर प्रदेश के लोगों को जिलों तक पहुंचाएगी राज्य सरकार

कानपुर दर्शन पुरवा निवासी एमबीबीएस चौथे वर्ष का छात्रा जेन्सी सिंह ने अपने परिवार को वीडियो मेसेज भेज कर आप बीती सुनाई .साथ ही साथ उसने पोलैंड बॉर्डर पे लगी लंबी कतार का भी वीडियो भेज कर यूक्रेन की परिस्तिथियों से भी अवगत कराया. जेन्सी ने बताया कि हालात दिन पे दिन बिगड़ते जा रहे हैं. खाने -पीने की व्यवस्था ना होने की वजह से वो खतरा उठाकर अपने फ्लैट पे खाना खाने की लिए आई है.

हाथरस में रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध होने की वजह से हिंदुस्तान की तमाम छात्र छात्राएं वहां फंसे हुए हैं, जिनके परिवार के लोग बेहद परेशान हैं. बहुत कम खुशनसीब हैं जिनके परिवार के बच्चे वतन वापस आ गए हैं आ चुके हैं. हाथरस जिले की सादाबाद के रहने राजेंद्र चौधरी का बेटा आलोक चौधरी यूक्रेन के टार्नीपिल शहर की नेशनल मेडिकल यूनिवर्सिटी से एमबीबीएस कर रहा है. वहां उसका यह तीसरा साल है. आलोक ने वायरल वीडियो में कहा है यहां एंबेसी में कोई नहीं है और कोई भी उत्तर नहीं देने वाला है. बच्चे दो दिनों से यहां खुले में पड़े हैं. 35 किलोमीटर पैदल चल कर आई यह कैसी भी कोई भी सुनवाई नहीं है. उसने अनुरोध किया है कि हमारा यह वीडियो इंडिया गवर्नमेंट तक पहुंचे और हमारे वतन वापसी लिए कुछ किया जाए. हाथरस के सादाबाद से कई मेडिकल स्टूडेंट फंसे हुए हैं, जिनके माता-पिता बहुत चिंतित हैं.

दहशत में बीत रहा है समय:-हृति सिंह

उन्नाव के औरास थाना क्षेत्र के दिपवल गांव की रहने वाली बेटी युक्रेन पढ़ने गयी थी. रूस से युद्ध के चलते वहाँ पर हृति सिंह फंस गई है. पिछले 4 सालों से वहां पर रह कर पढ़ाई कर रही है. हृति सिंह ने बताया कि रात-रात मेट्रो स्टेशन पर बिताना पड़ रहा है. यहां के हालात खराब हो गए हैं. बम दगने के आवाज रात से लेकर सुबह तक सुनाई पड़ रही है. अभी दो घण्टे से आवाज नहीं आई है. 4 ब्रेड 300 रुपए के मिलते हैं. पहले का जो स्टॉक था उसी से गुजारा कर रहे हैं.

इसे भी पढ़ें: यूक्रेन में फंसे यूपी के 341 लोग, कानपुर और लखनऊ समेत कई जिलों के युवा वापसी के इंतजार में

यूक्रेन से वापस लौटा एमबीबीएस का छात्र-हाथरस के खातीखाना मोहल्ले में रहने वाले शैलेंद्र वर्मा का बेटा दीपेश यूक्रेन के शहर इंडियन न्यू में एमबीबीएस की पढ़ाई करने के लिए नवंबर 2021 में गया था. रूस और यूक्रेन के बीच छिड़े युद्ध की वजह से उसे वापस आना पड़ा. अब वह दोबारा वापस जाएगा या नहीं यह अभी तय नहीं है, लेकिन दीपेश और उसका परिवार अपने बेहद खुशनसीब मानता है कि दीपेश समय रहते घर वापस आ गया. दीपेश ने बताया कि यूक्रेन में रहते हुए भी वहां की इतनी खराब स्थिति की जानकारी नहीं थी, जितनी कि हिंदुस्तान से उनके परिवार से मिल रही थी. उसने बताया कि जब वह वहां से चला था तब इतनी खराब स्थिति नहीं थी. उसके वहां से निकलते ही बमबारी शुरू हो गई थी.

यूक्रेन में फंसी बेटी, मां बोली- मोदी जरूर निकालेंगे

सुमेरपुर कस्बे के रहने वाले मुकेश कुमार ने बताया कि उसकी पुत्री प्रतीक्षा गुप्ता बीएससी करने के बाद एमबीबीएस करने के लिए डेढ़ वर्ष पूर्व यूक्रेन की राजधानी कीव शहर गई थी. तब से वह वहीं पर रहकर पढ़ाई कर रही है. रूस के हमला करने के बाद यूक्रेन में इंटरनेट की समस्या खड़ी हो गई है. इससे वीडियो कॉलिंग और सोशल मीडिया के माध्यम से हाल-चाल नहीं मिल पा रहा है. दिन में तीन से चार बार लैंडलाइन फोन से बातचीत हो रही है. बेटी और उसके परिजनों ने केंद्र सरकार से मदद की गुहार लगाई है.

इंडो-यूक्रेन मेडिकल स्टूडेंट्स गार्जियन एसोसिएशन के कन्वीनर पंकज धीरज ने बताया कि इन विषम परिस्थितियों में यूक्रेन के पश्चिमी क्षेत्र में बच्चे स्वयं द्वारा प्रबंध की गई. बसों से सड़क मार्ग से रोमानिया देश के रास्ते मे हैं. स्थानीय स्तर पर भी एजुकेशनल को कॉर्डिनेटर विद्यार्थियों से समन्वय कर उनकी वापसी का इंजाम कर रहे हैं. मगर अभिभावक उससे संतुष्ट नजर नहीं आ रहे. वहां बॉर्डर पर जाम लगा हुआ है. मालूम हुआ है कि रोमानिया देश में भारतीयों को प्राथमिकता दी जा रही है. जो सुखद खबर है, लेकिन फ्लाइट्स की स्थिति अभी स्पस्ट नहीं है. भारतीय छात्र किस फ्लाइट में और कब आएंगे. ये वहीं जाने पर पता चल पाएगा.

मोबाइल को चार्ज करने, नेटवर्क और खाने -पीने की समस्या से विद्यार्थी जूझ रहे हैं. बच्चों पर रुपये भी खत्म होने को हैं. यूक्रेन की उन पर रखी करेंसी अन्य देश मे व्यर्थ बताई जा रही है. सभी छात्रों व अभिभावकों की पीएम मोदी से मांग है कि वो यूक्रेन से सटे देशों रोमानिया, पोलैंड ,हंगरी आदि के लिए भारतीय बच्चों को एयर लिफ्ट कराने के लिए वहां हवाईयानों का ज्यादा से ज्यादा मूवमेंट करवाएं.वर्तमान में रोमानिया में करीब 250 बच्चों का पहुंचना बताया जा रहा है, जिनमे अलीगढ़ से करीब 6 बच्चे हैं. वहीं, चन्दौली के दो लाल भी यूक्रेन में फंसे हुए हैं.

नोट: ईटीवी भारत इस वायरल वीडियो की पुष्टि नहीं करता है.

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Last Updated : Feb 26, 2022, 10:45 PM IST
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