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सदन में अखिलेश बोले लखनऊ के संस्कृति स्कूल को बर्बाद कर दिया, जानिए क्या है इस दावे की हकीकत - समाजवादी सरकार

विधानसभा नेता विपक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि लखनऊ के संस्कृति स्कूल को बर्बाद कर दिया गया है. इस मुद्दे को सदन में भी उठाया. उन्होंने कहा कि बड़े-बड़े लोग दिल्ली में संस्कृति स्कूल में जाते हैं. लेकिन अपने बच्चे के दाखिले नहीं करा पाते हैं.

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Published : May 31, 2022, 7:53 PM IST

लखनऊः नई दिल्ली के संस्कृति स्कूल में आईएएस से लेकर बड़े-बड़े अधिकारी अपने बच्चों के दाखिले के लिए लाइन लगाते हैं. हालात यह हैं कि तमाम जुगाड़ के बाद भी दाखिले नहीं हो पाए. इसी स्कूल की तर्ज पर अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) की समाजवादी सरकार (Samajwadi Party) में लखनऊ में एक संस्कृति स्कूल (Sanskriti School) शुरू किया गया. यह स्कूल लखनऊ के चक गंजरिया (CG City) इलाके में है. करीब 40,470 वर्ग मीटर में बने इस स्कूल के स्थापित करने के लिए करोड़ों रुपये खर्च किए गए. लेकिन, अब इसकी स्थिति दयनीय हो चली है.

पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने इस मुद्दे को सदन में भी उठाया. उन्होंने कहा कि बड़े-बड़े लोग दिल्ली में संस्कृति स्कूल में जाते हैं. लेकिन अपने बच्चे के दाखिले नहीं करा पाते हैं. बैठक में अधिकारियों ने लखनऊ में संस्कृति स्कूल बनाने का प्रस्ताव रखा. समाजवादी सरकार ने इसे बनाया. लेकिन आज जाकर कोई इसकी दुर्दशा देखे. इसे बर्बाद कर दिया है. ETV Bharat ने इस दावे की पड़ताल की तो स्थिति काफी दयनीय पाई गई. हालत यह है कि इतने समय के बाद भी यह स्कूल अपने पैरों पर खड़ा नहीं हो पाया है.

अखिलेश यादव
अलग सोसाइटी बनाकर हो रहा संचालन: यह संस्कृति स्कूल बना जरूर जनता के पैसे से है, लेकिन इसका संचालन अलग सोसाइटी करती है. इसमें, कई आईएएस, पीसीएस समेत समाज के प्रतिष्ठित लोग शामिल हैं. सीएसआई एजुकेशन सोसाइटी का पंजीकरण राजभवन काॅलोनी के पते पर है. इसकी चेयरमैन आईएफएडी इंडिया की मीरा मिश्रा हैं. इनके अलावा कमिश्नर रंजन कुमार, एलडीए वीसी, जिलाधिकारी समेत अन्य शामिल हैं. ये भी पढ़ें : मंकी पॉक्स : यूपी में गाइड लाइन जारी, एक भी आरटीपीसीआर लैब में नहीं है जांच की तैयारीपढ़ने के लिए बच्चे ही नहीं हैं: स्कूल पर करोड़ों रुपये का बजट खर्च किया गया, लेकिन आज इस स्कूल में पढ़ने के लिए बच्चे ही नहीं हैं. कई क्लासेज तो ऐसी हैं जिनमें पढ़ाने के लिए टीचर ज्यादा हैं बच्चे नहीं हैं. आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2020 में इस स्कूल से सिर्फ दो बच्चे ही 10वीं की परीक्षा में शामिल हुए. 2021 में यह संख्या 14 पहुंची. इस बार पहली बार 12वीं की परीक्षा में बच्चे शामिल होंगे. इस पूरे मामले पर स्कूल का पक्ष जानने के लिए प्रिंसिपल डॉ. पदमा हरिहरन से सम्पर्क करने की कोशिश की गई, लेकिन उनकी तरफ से कोई जवाब नहीं मिला.

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लखनऊः नई दिल्ली के संस्कृति स्कूल में आईएएस से लेकर बड़े-बड़े अधिकारी अपने बच्चों के दाखिले के लिए लाइन लगाते हैं. हालात यह हैं कि तमाम जुगाड़ के बाद भी दाखिले नहीं हो पाए. इसी स्कूल की तर्ज पर अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) की समाजवादी सरकार (Samajwadi Party) में लखनऊ में एक संस्कृति स्कूल (Sanskriti School) शुरू किया गया. यह स्कूल लखनऊ के चक गंजरिया (CG City) इलाके में है. करीब 40,470 वर्ग मीटर में बने इस स्कूल के स्थापित करने के लिए करोड़ों रुपये खर्च किए गए. लेकिन, अब इसकी स्थिति दयनीय हो चली है.

पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने इस मुद्दे को सदन में भी उठाया. उन्होंने कहा कि बड़े-बड़े लोग दिल्ली में संस्कृति स्कूल में जाते हैं. लेकिन अपने बच्चे के दाखिले नहीं करा पाते हैं. बैठक में अधिकारियों ने लखनऊ में संस्कृति स्कूल बनाने का प्रस्ताव रखा. समाजवादी सरकार ने इसे बनाया. लेकिन आज जाकर कोई इसकी दुर्दशा देखे. इसे बर्बाद कर दिया है. ETV Bharat ने इस दावे की पड़ताल की तो स्थिति काफी दयनीय पाई गई. हालत यह है कि इतने समय के बाद भी यह स्कूल अपने पैरों पर खड़ा नहीं हो पाया है.

अखिलेश यादव
अलग सोसाइटी बनाकर हो रहा संचालन: यह संस्कृति स्कूल बना जरूर जनता के पैसे से है, लेकिन इसका संचालन अलग सोसाइटी करती है. इसमें, कई आईएएस, पीसीएस समेत समाज के प्रतिष्ठित लोग शामिल हैं. सीएसआई एजुकेशन सोसाइटी का पंजीकरण राजभवन काॅलोनी के पते पर है. इसकी चेयरमैन आईएफएडी इंडिया की मीरा मिश्रा हैं. इनके अलावा कमिश्नर रंजन कुमार, एलडीए वीसी, जिलाधिकारी समेत अन्य शामिल हैं. ये भी पढ़ें : मंकी पॉक्स : यूपी में गाइड लाइन जारी, एक भी आरटीपीसीआर लैब में नहीं है जांच की तैयारीपढ़ने के लिए बच्चे ही नहीं हैं: स्कूल पर करोड़ों रुपये का बजट खर्च किया गया, लेकिन आज इस स्कूल में पढ़ने के लिए बच्चे ही नहीं हैं. कई क्लासेज तो ऐसी हैं जिनमें पढ़ाने के लिए टीचर ज्यादा हैं बच्चे नहीं हैं. आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2020 में इस स्कूल से सिर्फ दो बच्चे ही 10वीं की परीक्षा में शामिल हुए. 2021 में यह संख्या 14 पहुंची. इस बार पहली बार 12वीं की परीक्षा में बच्चे शामिल होंगे. इस पूरे मामले पर स्कूल का पक्ष जानने के लिए प्रिंसिपल डॉ. पदमा हरिहरन से सम्पर्क करने की कोशिश की गई, लेकिन उनकी तरफ से कोई जवाब नहीं मिला.

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