लखनऊ: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए इन दिनों विभिन्न राजनीतिक दलों के नेता एक दूसरे से गठबंधन कर रहे हैं. पार्टियों का विलय हो रहा है, लेकिन पिछले कई साल से चाचा और भतीजे के मिलन की अटकलों पर विराम नहीं लग पा रहा है. चाचा शिवपाल यादव तो भतीजे अखिलेश यादव पर शुरुआत से ही नरम रहे हैं लेकिन भतीजे के गरम मिजाज पर चाचा की नरमी का असर नहीं हो रहा है. पहले जहां शिवपाल यह कह रहे थे कि समाजवादी पार्टी में प्रगतिशील समाजवादी पार्टी का विलय नहीं करेंगे. ससम्मान गठबंधन कर सकते हैं, लेकिन अखिलेश ने कोई ध्यान नहीं दिया और सिर्फ एक सीट देने को तैयार हुए. अब शिवपाल यादव तो यहां तक तैयार हैं कि अगर सम्मान मिलेगा तो पार्टी में विलय की भी संभावनाओं से इंकार नहीं है, लेकिन अखिलेश हैं कि सुन ही नहीं रहे हैं.
जानकारी देते प्रगतिशील समाजवादी पार्टी प्रवक्ता अरविंद यादव साल 2016 में समाजवादी परिवार में ऐसी दरार पड़ी, जिसकी भरपाई चार साल बाद भी नहीं हो पाई है. बात हो रही है शिवपाल सिंह यादव और अखिलेश यादव के बीच रिश्तों में आई कड़वाहट की. चाचा और भतीजे की आपसी लड़ाई दोनों को एक-दूसरे से इतना दूर ले गई कि शिवपाल यादव ने अपनी अलग पार्टी ही बना डाली. समाजवादी पार्टी से अलग प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) का गठन कर लिया. इसका नतीजा ये हुआ कि सत्ता में वापसी का ख्वाब देख रहे अखिलेश यादव को 2017 के विधानसभा चुनाव में मुंह की खानी पड़ी. चाचा शिवपाल को तो फायदा नहीं हुआ लेकिन उन्होंने भतीजे अखिलेश यादव को नुकसान जरूर पहुंचाया. अखिलेश को सत्ता से हाथ धोना पड़ा. चाचा शिवपाल सिंह यादव समाजवादी पार्टी से अलग होने के बाद और अपनी पार्टी का गठन करने के बाद भी समाजवादी पार्टी में वापसी चाहते हैं. पिछले चार साल से हर मंच से यही कहते नजर आ रहे हैं कि समाजवादी पार्टी उनकी प्राथमिकता है. अगर समाजवादी पार्टी सम्मान सहित उन्हें वापस लेती है तो गठबंधन के लिए तैयार हैं. इसके बावजूद अखिलेश यादव ने चाचा की एक नहीं सुनी. अब जब 2022 के यूपी विधानसभा चुनाव करीब आ रहे हैं तो भतीजे अखिलेश को मनाने की कोशिशों में चाचा शिवपाल जी जान से जुटे हुए हैं. अब उनका रुख इतना नरम हो गया है कि समाजवादी पार्टी से गठबंधन के बजाय विलय करने से भी उन्हें परहेज नहीं है.
प्रगतिशील समाजवादी पार्टी प्रवक्ता अरविंद यादव हालांकि शिवपाल का कहना है कि पिछले चार साल में अखिलेश ने उन्हें मिलने तक का समय नहीं दिया. इतना ही नहीं इतने सालों में फोन पर तक बात नहीं हुई है. कुछ दिन पहले एक मिनट के लिए बात हुई थी, लेकिन चार सालों में आज तक हमने बैठ कर चाय नहीं पी. नाश्ता तक नहीं किया तो ऐसे परिवार एक कैसे हो जाए? इसके लिए उन्हें भी पहल करनी होगी. 'ईटीवी भारत' ने समाजवादी पार्टी के कई नेताओं से इस बारे में पूछा तो इस मामले पर वे कुछ भी कहने से कतरा रहे हैं.
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प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव लगातार नरमी दिखा रहे हैं. वह खुद मुख्यमंत्री बनने के लिए नरमी न दिखाकर मुख्यमंत्री बनाने के लिए नरमी दिखा रहे हैं. वह हमेशा कहते रहे हैं कि समान विचारधारा वाले एक साथ आएं तभी हम लड़ाई लड़ सकेंगे. आज प्रदेश की जनता आक्रोशित है. भारतीय जनता पार्टी को हटाना चाहती है इसीलिए शिवपाल सिंह यादव चाहते हैं कि परिवार एक हो, लेकिन उनकी नरमी को जिन्हें गर्मी है वह समझ ही नहीं रहे.