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सीएम योगी के इस आदेश से मंत्री-अफसर परेशान, न दिया ब्यौरा तो होगी बड़ी मुसीबत

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM Yogi Adityanath) ने मंत्रियों से लेकर अफसरों तक को उनकी संपत्ति सार्वजनिक करने का आदेश दिया है. इस आदेश के कारण कई मंत्रियों और अफसरों की जान आफत में है. उनको मालूम है कि अगर ब्यौरा नहीं दिया, तो बड़ी मुश्किल खड़ी हो सकती है.

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संपत्ति सार्वजनिक करने का आदेश सीएम योगीt
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Published : Apr 28, 2022, 3:29 PM IST

लखनऊ: उत्तर प्रदेश की सत्ता पर दोबारा काबिज होने के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM Yogi Adityanath) एक्शन मोड में हैं. इस दौरान मुख्यमंत्री के फैसलों में सबसे ज्यादा चर्चा जिस फैसले की हो रही है, वो है मंत्रियों से लेकर अफसरों तक को अपनी-अपनी संपत्ति सार्वजनिक करने के आदेश की. इसमें कहा गया है कि मंत्रियों-अफसरों की पत्नियों को भी अपनी संपत्ति सार्वजनिक करनी होगी.

जानकारी देते राजनीतिक विश्वलेषक उमाशंकर दुबे

ऐसे में मंत्री से लेकर अधिकारी तक परेशान हैं. लोगों का मानना है कि सीएम के तेवरों से ऐसा लगता है कि इस बार नेताओं और अफसरों के लिए बच पाना मुश्किल है. ऐसे में जिन लोगों ने भ्रष्टाचार करके अपनी जेबें भरी हैं, उन्हें भी अपनी पूरी संपत्ति सार्वजनिक करनी होगी. शपथ ग्रहण के एक माह के भीतर ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सभी मंत्रियों और अफसरों (आईएएस-पीसीएस) को परिवार के सदस्यों सहित संपत्ति सार्वजनिक करने का आदेश दिया है.

वैसे तो इस तरह के आदेश ज्यादा मायने नहीं रखते, लेकिन इस बार मुख्यमंत्री के तेवर से लगता है कि वह इसे लागू करके ही दम लेंगे. मुख्यमंत्री कई बार कह चुके हैं कि वो भ्रष्टाचार मुक्त शासन देने के लिए वचनबद्ध हैं. हालांकि अकेले उनके ईमानदार होने या दिखने से ही काम नहीं चलेगा. मंत्रियों और नौकरशाहों का ईमानदार होना भी जरूरी है.

हालिया विधानसभा चुनावों में निचले स्तर पर भ्रष्टाचार का मुद्दा हावी रहा. माना जाता है कि सरकारी दफ्तरों, कलेक्ट्रेट और तहसील कार्यालयों में भ्रष्टाचार कम होने की बजाय बढ़ा है. ऐसे में यदि मंत्री-अफसर अपनी संपत्ति की घोषणा करते हैं, तो उनकी निगरानी आसान हो जाएगी. यह भी देखा जा सकेगा कि इन लोगों की आय के अनुपात में संपत्तियां किस अनुपात में बढ़ रही हैं.

शासन में हमारे सूत्र बताते हैं कि मुख्यमंत्री इस बार भ्रष्टाचार के मामलों को बहुत ही गंभीरता से ले रहे हैं. यही कारण है कि शपथ लेने के बाद उन्होंने कई अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई भी की. यह मुमकिन है कि कुछ समय बाद नेताओं और अफसरों की बेनामी संपत्तियों के खिलाफ सरकारी स्तर पर कोई मुहिम चले.

माना जा रहा है कि सरकार की ईमानदारी की इस छवि का फायदा आगामी लोकसभा चुनावों में मिलेगा और योगी का पार्टी में कद बढ़ेगा. यही कारण है कि योगी के इस फैसले से कई मंत्री और अफसरों में चिंता और बेचैनी है. मुख्यमंत्री ने यह भी आदेश दिया है कि नेता और अफसर काम के दौरान सरकारी कामों से अपने परिवार के लोगों को दूर रखें. इससे साफ है कि कॉकस बनाकर भ्रष्टाचार करना अब आसान नहीं होगा.

ये भी पढ़ें- सीएम से सतीश मिश्रा की मुलाकात पर मायावती ने दी सफाई, अखिलेश पर भी किया हमला


इस मामले में राजनीतिक विश्लेषक उमाशंकर दुबे कहते हैं कि पहले भी केंद्र और राज्य सरकारों के मंत्रियों को महंगे उपहार आदि न लेने के आदेश दिए गए हैं. हालांकि इसे ठीक प्रकार से लागू नहीं किया जा सका था. कुछ लोगों ने ही संपत्ति का ब्यौरा दिया था, लेकिन यह मुहिम बंद हो गई थी. वह कहते हैं कि योगी के दूसरे कार्यकाल की बात और है. यह सरकार ताकत के साथ वापस आई है. ऐसा लग रहा है कि मंत्री और अधिकारी इस आदेश का उल्लंघन नहीं कर पाएंगे.

उन्होंने कहा कि पिछली सरकार में कई ताकतवर मंत्री इस बार मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किए हैं. कहीं न कहीं यह मैसेज देने की कोशिश हुई है कि मंत्रियों को आउटपुट देना होगा और सरकार के आदेशों का पालन करना होगा. भ्रष्टाचार हो या अनधिकृत रूप से संपत्ति अर्जित करने के मामले, अब मंत्रियों और अधिकारियों को सतर्क रहकर ही काम करना होगा. इस कदम से भ्रष्टाचार पर अंकुश जरूर लगेगा.

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लखनऊ: उत्तर प्रदेश की सत्ता पर दोबारा काबिज होने के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM Yogi Adityanath) एक्शन मोड में हैं. इस दौरान मुख्यमंत्री के फैसलों में सबसे ज्यादा चर्चा जिस फैसले की हो रही है, वो है मंत्रियों से लेकर अफसरों तक को अपनी-अपनी संपत्ति सार्वजनिक करने के आदेश की. इसमें कहा गया है कि मंत्रियों-अफसरों की पत्नियों को भी अपनी संपत्ति सार्वजनिक करनी होगी.

जानकारी देते राजनीतिक विश्वलेषक उमाशंकर दुबे

ऐसे में मंत्री से लेकर अधिकारी तक परेशान हैं. लोगों का मानना है कि सीएम के तेवरों से ऐसा लगता है कि इस बार नेताओं और अफसरों के लिए बच पाना मुश्किल है. ऐसे में जिन लोगों ने भ्रष्टाचार करके अपनी जेबें भरी हैं, उन्हें भी अपनी पूरी संपत्ति सार्वजनिक करनी होगी. शपथ ग्रहण के एक माह के भीतर ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सभी मंत्रियों और अफसरों (आईएएस-पीसीएस) को परिवार के सदस्यों सहित संपत्ति सार्वजनिक करने का आदेश दिया है.

वैसे तो इस तरह के आदेश ज्यादा मायने नहीं रखते, लेकिन इस बार मुख्यमंत्री के तेवर से लगता है कि वह इसे लागू करके ही दम लेंगे. मुख्यमंत्री कई बार कह चुके हैं कि वो भ्रष्टाचार मुक्त शासन देने के लिए वचनबद्ध हैं. हालांकि अकेले उनके ईमानदार होने या दिखने से ही काम नहीं चलेगा. मंत्रियों और नौकरशाहों का ईमानदार होना भी जरूरी है.

हालिया विधानसभा चुनावों में निचले स्तर पर भ्रष्टाचार का मुद्दा हावी रहा. माना जाता है कि सरकारी दफ्तरों, कलेक्ट्रेट और तहसील कार्यालयों में भ्रष्टाचार कम होने की बजाय बढ़ा है. ऐसे में यदि मंत्री-अफसर अपनी संपत्ति की घोषणा करते हैं, तो उनकी निगरानी आसान हो जाएगी. यह भी देखा जा सकेगा कि इन लोगों की आय के अनुपात में संपत्तियां किस अनुपात में बढ़ रही हैं.

शासन में हमारे सूत्र बताते हैं कि मुख्यमंत्री इस बार भ्रष्टाचार के मामलों को बहुत ही गंभीरता से ले रहे हैं. यही कारण है कि शपथ लेने के बाद उन्होंने कई अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई भी की. यह मुमकिन है कि कुछ समय बाद नेताओं और अफसरों की बेनामी संपत्तियों के खिलाफ सरकारी स्तर पर कोई मुहिम चले.

माना जा रहा है कि सरकार की ईमानदारी की इस छवि का फायदा आगामी लोकसभा चुनावों में मिलेगा और योगी का पार्टी में कद बढ़ेगा. यही कारण है कि योगी के इस फैसले से कई मंत्री और अफसरों में चिंता और बेचैनी है. मुख्यमंत्री ने यह भी आदेश दिया है कि नेता और अफसर काम के दौरान सरकारी कामों से अपने परिवार के लोगों को दूर रखें. इससे साफ है कि कॉकस बनाकर भ्रष्टाचार करना अब आसान नहीं होगा.

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इस मामले में राजनीतिक विश्लेषक उमाशंकर दुबे कहते हैं कि पहले भी केंद्र और राज्य सरकारों के मंत्रियों को महंगे उपहार आदि न लेने के आदेश दिए गए हैं. हालांकि इसे ठीक प्रकार से लागू नहीं किया जा सका था. कुछ लोगों ने ही संपत्ति का ब्यौरा दिया था, लेकिन यह मुहिम बंद हो गई थी. वह कहते हैं कि योगी के दूसरे कार्यकाल की बात और है. यह सरकार ताकत के साथ वापस आई है. ऐसा लग रहा है कि मंत्री और अधिकारी इस आदेश का उल्लंघन नहीं कर पाएंगे.

उन्होंने कहा कि पिछली सरकार में कई ताकतवर मंत्री इस बार मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किए हैं. कहीं न कहीं यह मैसेज देने की कोशिश हुई है कि मंत्रियों को आउटपुट देना होगा और सरकार के आदेशों का पालन करना होगा. भ्रष्टाचार हो या अनधिकृत रूप से संपत्ति अर्जित करने के मामले, अब मंत्रियों और अधिकारियों को सतर्क रहकर ही काम करना होगा. इस कदम से भ्रष्टाचार पर अंकुश जरूर लगेगा.

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