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BBAU : पीएचडी प्रवेश में धांधली का आरोप, हाईकोर्ट तक पहुंचा विवाद

बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय (BBAU) में पीएचडी प्रवेश को लेकर विवाद खड़ा हो गया है. गड़बड़ी का आरोप लगाते हुए एक अभ्यर्थी ने हाईकोर्ट लखनऊ बेंच में याचिका दायर की है.

बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय
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Published : Jun 25, 2022, 7:18 PM IST

लखनऊ : बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय (BBAU) में पीएचडी प्रवेश को लेकर विवाद खड़ा हो गया है. विश्वविद्यालय में हाल ही में हुए पीएचडी प्रवेश में गड़बड़ी का आरोप लगाते हुए एक अभ्यर्थी ने प्रक्रिया पर सवाल खड़े किए हैं. आरोप है कि अभ्यर्थी को उसकी योग्यता से कम अंक दिए गए हैं. इसको लेकर अभ्यर्थी की तरफ से हाईकोर्ट लखनऊ बेंच में याचिका भी दायर की गई है.


मामला विश्वविद्यालय के ह्यूमन राइट्स पाठ्यक्रम में Phd प्रवेश से लेकर जुड़ा हुआ है. पीएचडी में प्रवेश के लिए अप्रैल के अंतिम सप्ताह में परीक्षा का आयोजन किया गया था. इसमें करीब 38 अभ्यर्थी शामिल हुए थे. मई के अंतिम सप्ताह में इस परीक्षा के नतीजे जारी किए गए. प्रवेश प्रक्रिया में शामिल हुए अभ्यर्थी मनीष कुमार का कहना है कि उसे 100 में से 74 अंक मिले थे. उसने इस परीक्षा में टॉप किया था, लेकिन साक्षात्कार के बाद जो नतीजे जारी किए गए वह चौंकाने वाले थे.

मनीष ने बताया कि पीएचडी की कुल 3 सीटें थीं. जिसमें एक सामान्य सीट थी. दूसरी ईडब्ल्यूएस और तीसरी एसटी वर्ग के लिए आरक्षित थी. मनीष की मानें तो 16 जून को साक्षात्कार का आयोजन किया गया. यह 30 अंक का था. 15 अंक एकेडमिक्स के और 15 इंटरव्यू पर आधारित थे. मनीष के मुताबिक उसे 10.24 अंक दिए गए.

ये भी पढ़ें : सेवानिवृत्त IPS अमिताभ ठाकुर ने राजनीतिक दल 'अधिकार सेना' बनाने की घोषणा की

छात्र का आरोप है कि वो नेट परीक्षा भी पास कर चुका है. प्रवेश परीक्षा में भी टॉप किया है. उसका आरोप है कि कुछ लोगों ने अपने करीबी को लेने के लिए प्रेजेंटेशन, वाई-वा, सिनॉप्सिस में सबसे कम अंक दिए हैं. अभ्यर्थी ने बताया कि उसकी याचिका स्वीकार कर ली गई है. सभी को 8 जुलाई को कोर्ट में उपस्थित होकर अपना पक्ष रखने के निर्देश दिए गए हैं.
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लखनऊ : बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय (BBAU) में पीएचडी प्रवेश को लेकर विवाद खड़ा हो गया है. विश्वविद्यालय में हाल ही में हुए पीएचडी प्रवेश में गड़बड़ी का आरोप लगाते हुए एक अभ्यर्थी ने प्रक्रिया पर सवाल खड़े किए हैं. आरोप है कि अभ्यर्थी को उसकी योग्यता से कम अंक दिए गए हैं. इसको लेकर अभ्यर्थी की तरफ से हाईकोर्ट लखनऊ बेंच में याचिका भी दायर की गई है.


मामला विश्वविद्यालय के ह्यूमन राइट्स पाठ्यक्रम में Phd प्रवेश से लेकर जुड़ा हुआ है. पीएचडी में प्रवेश के लिए अप्रैल के अंतिम सप्ताह में परीक्षा का आयोजन किया गया था. इसमें करीब 38 अभ्यर्थी शामिल हुए थे. मई के अंतिम सप्ताह में इस परीक्षा के नतीजे जारी किए गए. प्रवेश प्रक्रिया में शामिल हुए अभ्यर्थी मनीष कुमार का कहना है कि उसे 100 में से 74 अंक मिले थे. उसने इस परीक्षा में टॉप किया था, लेकिन साक्षात्कार के बाद जो नतीजे जारी किए गए वह चौंकाने वाले थे.

मनीष ने बताया कि पीएचडी की कुल 3 सीटें थीं. जिसमें एक सामान्य सीट थी. दूसरी ईडब्ल्यूएस और तीसरी एसटी वर्ग के लिए आरक्षित थी. मनीष की मानें तो 16 जून को साक्षात्कार का आयोजन किया गया. यह 30 अंक का था. 15 अंक एकेडमिक्स के और 15 इंटरव्यू पर आधारित थे. मनीष के मुताबिक उसे 10.24 अंक दिए गए.

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छात्र का आरोप है कि वो नेट परीक्षा भी पास कर चुका है. प्रवेश परीक्षा में भी टॉप किया है. उसका आरोप है कि कुछ लोगों ने अपने करीबी को लेने के लिए प्रेजेंटेशन, वाई-वा, सिनॉप्सिस में सबसे कम अंक दिए हैं. अभ्यर्थी ने बताया कि उसकी याचिका स्वीकार कर ली गई है. सभी को 8 जुलाई को कोर्ट में उपस्थित होकर अपना पक्ष रखने के निर्देश दिए गए हैं.
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