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जापान की इस खास तकनीकी से हरे-भरे किए जाएंगे रोडवेज के बस अड्डे

अब मियावाकी पद्धति से ही रोडवेज के बस स्टेशनों और कार्यशाला में पौधे रोपित किए जाएंगे. गोमतीनगर में इसी पद्धति पर पौधे लगाये गए हैं. आगे भी मियावाकी पद्धति से ही पौधारोपण कराने की बात कही जा रही है.

उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम
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Published : Jun 6, 2022, 8:16 PM IST

लखनऊः उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम के बस स्टेशन और वर्कशॉप जल्द ही हरे भरे नजर आयेंगे. इसके लिए अब जापान की मियावाकी तकनीकी का इस्तेमाल किया जाएगा. मियावाकी पद्धति एक जापानी वनीकरण विधि है. इसमें पौधों को कम दूरी पर लगाया जाता है. पौधे सूर्य का प्रकाश प्राप्त कर ऊपर की ओर वृद्धि करते हैं. पद्धति के अनुसार पौधों की तीन प्रजातियों की सूची तैयार की जाती है जिनकी ऊंचाई पेड़ बनने पर अलग-अलग होती है.

उदाहरण के तौर पर एक पेड़ खजूर का लगाया जाएगा तो दूसरा पेड़ नीम, शीशम का होगा. तीसरा पौधा किसी भी तरह की फुलवारी का हो सकता है. उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम के लखनऊ क्षेत्र के गोमती नगर स्थित क्षेत्रीय कार्यशाला प्रांगण में ‘‘मियावाकी पद्धति’’ पर पौधारोपण कराया गया. पौधारोपण भारतीय तेल निगम के सौजन्य से वन विभाग के सहयोग से कराया गया. अधिकारियों ने बताया कि ‘मियावाकी कान्सेप्ट’ वृक्षारोपण की एक जापानी पद्धति है. उत्तर प्रदेश सरकार के तत्वाधान में इसी प्रकार का एक प्रोजेक्ट कुकरैल में भी बनाया गया है. निगम के प्रबंध निदेशक राजेंद्र प्रताप सिंह ने कहा कि वृक्षारोपण करना शुरू से ही उनकी प्राथमिकता रही है.

उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम
इलेक्ट्रिक बसें पर्यावरण को नहीं पहुंचा रहीं नुकसान : बता दें कि उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम लगातार पर्यावरण संरक्षण की दिशा में बेहतर काम कर रहा है. बसों के अंदर प्लास्टिक की बोतल में पानी की बिक्री पर मनाही है. इसके अलावा परिवहन निगम मुख्यालय से लेकर बस स्टेशनों और वर्कशॉप तक हरे-भरे पौधे लगाकर पर्यावरण की दिशा में काम किया जा रहा है. लखनऊ सिटी ट्रांसपोर्ट सर्विसेज लिमिटेड की बात करें तो पर्यावरण को ही ध्यान में रखते हुए इलेक्ट्रिक बसों का संचालन किया जा रहा है. जिससे पर्यावरण को नुकसान ना पहुंचे.

ये भी पढ़ें : महिला सिपाही ने थाने के ही पुलिसकर्मियों पर लगाया छेड़छाड़ और प्रताड़ना का आरोप

क्या कहते हैं अधिकारी: उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम के चारबाग डिपो के सहायक क्षेत्रीय प्रबंधक अमरनाथ सहाय मियावाकी पद्धति के बारे में बताते हैं कि पर्यावरण की दिशा से यह बेहतरीन तकनीक है. काफी कम स्थान में ही एक साथ कई पौधे लगाए जा सकते हैं और यह पौधे एक दूसरे को प्रभावित भी नहीं करते हैं. रोडवेज की गोमतीनगर कार्यशाला में इसी पद्धति पर पौधे रोपित किए गए हैं. आगे भी मियावाकी पद्धति से ही पौधारोपण कराया जाएगा.

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लखनऊः उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम के बस स्टेशन और वर्कशॉप जल्द ही हरे भरे नजर आयेंगे. इसके लिए अब जापान की मियावाकी तकनीकी का इस्तेमाल किया जाएगा. मियावाकी पद्धति एक जापानी वनीकरण विधि है. इसमें पौधों को कम दूरी पर लगाया जाता है. पौधे सूर्य का प्रकाश प्राप्त कर ऊपर की ओर वृद्धि करते हैं. पद्धति के अनुसार पौधों की तीन प्रजातियों की सूची तैयार की जाती है जिनकी ऊंचाई पेड़ बनने पर अलग-अलग होती है.

उदाहरण के तौर पर एक पेड़ खजूर का लगाया जाएगा तो दूसरा पेड़ नीम, शीशम का होगा. तीसरा पौधा किसी भी तरह की फुलवारी का हो सकता है. उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम के लखनऊ क्षेत्र के गोमती नगर स्थित क्षेत्रीय कार्यशाला प्रांगण में ‘‘मियावाकी पद्धति’’ पर पौधारोपण कराया गया. पौधारोपण भारतीय तेल निगम के सौजन्य से वन विभाग के सहयोग से कराया गया. अधिकारियों ने बताया कि ‘मियावाकी कान्सेप्ट’ वृक्षारोपण की एक जापानी पद्धति है. उत्तर प्रदेश सरकार के तत्वाधान में इसी प्रकार का एक प्रोजेक्ट कुकरैल में भी बनाया गया है. निगम के प्रबंध निदेशक राजेंद्र प्रताप सिंह ने कहा कि वृक्षारोपण करना शुरू से ही उनकी प्राथमिकता रही है.

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इलेक्ट्रिक बसें पर्यावरण को नहीं पहुंचा रहीं नुकसान : बता दें कि उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम लगातार पर्यावरण संरक्षण की दिशा में बेहतर काम कर रहा है. बसों के अंदर प्लास्टिक की बोतल में पानी की बिक्री पर मनाही है. इसके अलावा परिवहन निगम मुख्यालय से लेकर बस स्टेशनों और वर्कशॉप तक हरे-भरे पौधे लगाकर पर्यावरण की दिशा में काम किया जा रहा है. लखनऊ सिटी ट्रांसपोर्ट सर्विसेज लिमिटेड की बात करें तो पर्यावरण को ही ध्यान में रखते हुए इलेक्ट्रिक बसों का संचालन किया जा रहा है. जिससे पर्यावरण को नुकसान ना पहुंचे.

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क्या कहते हैं अधिकारी: उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम के चारबाग डिपो के सहायक क्षेत्रीय प्रबंधक अमरनाथ सहाय मियावाकी पद्धति के बारे में बताते हैं कि पर्यावरण की दिशा से यह बेहतरीन तकनीक है. काफी कम स्थान में ही एक साथ कई पौधे लगाए जा सकते हैं और यह पौधे एक दूसरे को प्रभावित भी नहीं करते हैं. रोडवेज की गोमतीनगर कार्यशाला में इसी पद्धति पर पौधे रोपित किए गए हैं. आगे भी मियावाकी पद्धति से ही पौधारोपण कराया जाएगा.

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