लखनऊ: नए कृषि कानून समाप्त होने के बाद मंडी शुल्क एक बार फिर उत्तर प्रदेश में लागू हो गया है. इसके साथ ही दो हजार करोड़ रुपए का राजस्व वसूलने की चुनौती का सामना मंडियों को करना पड़ रहा है. मंडी शुल्क की वसूली समाप्त होने के कारण मंडियों के आय तेजी से घटने लगी थी. विकास कार्य लगभग ठप हो गए थे. अब एक बार फिर आय बढ़ाने की उम्मीद है. पर्याप्त राजस्व मिलने पर मंडियों में सुविधाएं बढ़ेंगी और विकास कार्यों में तेजी आएगी.
राज्य कृषि उत्पादन मंडी परिषद ने इस वित्तीय वर्ष में 17 मंडियों में कोल्ड स्टोरेज खोलने का काम पूरा करने का लक्ष्य तय किया था. आय घटने के कारण इस काम पर ब्रेक लग गया था. अब ये काम फिर से शुरू होने की उम्मीद की जा रही है. निर्माणाधीन कोल्ड स्टोरेज की भंडारण क्षमता 7000 टन से अधिक होगी. इसके अलावा कई मंडियों में कोल्ड पैकर और कैंपेनिंग चैंबर भी बनाए जाने का प्रस्ताव है.
मलिहाबाद में आम के लिए अलग से मंडी बनाने का कार्य भी अभी तक पूरा नहीं हो पाया है, जबकि यह काम पिछले वर्ष ही पूरा कर लिया जाना था. इस पर 8.30 करोड़ रुपए खर्च किए जाने हैं. इस मंडी के निर्माण से मलिहाबाद की आम मंडी को अंतरराष्ट्रीय स्तर का बाजार मुहैया कराने का प्रस्ताव रखा गया था. व्यापारी नेताओं का कहना है कि कृषि कानून रद्द होने के बाद सुविधाएं बहाल की जानी चाहिए.
व्यापारियों न कहा कि अब मंडियों के बाहर व्यापार कर रहे व्यापारियों को 1.30 प्रतिशत शुल्क देना पड़ेगा. इससे गल्ला, दलहन, तिलहन, गोराई, मसाले सहित कई चीजों के दाम बढ़ेंगे. वहीं कर्मचारियों का दावा है कि वसूली बंद होने से राज्य कृषि उत्पादन मंडी परिषद को लगभग 5 करोड़ रुपए प्रतिदिन का घाटा हो रहा था. इस घाटे की प्रतिपूर्ति होने के बाद मंडी की आय बढ़ेगी और रुके हुए काम तेजी से हो सकेंगे.
राज्य कृषि उत्पादन मंडी परिषद (Rajya Krishi Utpadan Mandi Parishad) के निदेशक एके सिंह ने बताया कि राज्य कृषि उत्पादन मंडी परिषद के निदेशक अंजनी कुमार सिंह ने कृषि कानूनों के लागू होने के बाद मंडियों के बाहर वसूली रोक दी थी. अब एक बार मंडी शुल्क वसूली जा रहा है. इससे हो रहे घाटे की प्रतिपूर्ति हो सकेगी.
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