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गवाह पर जानलेवा हमले के 25 साल पुराने मामले में अभियुक्तों को सजा

मुकदमे में गवाही देने पर गवाह पर जानलेवा हमला करने के आरोपी हरिशंकर, लवकुश और राधेलाल को गिरोह बंद अधिनियम की विशेष न्यायाधीश रेखा शर्मा ने सात वर्ष के कठोर कारावास और पंद्रह हजार रुपए के जुर्माने की सजा सुनाई है.

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गवाह पर जानलेवा हमले के 25 साल पुराने मामले में अभियुक्तों को सजा
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Published : Apr 29, 2022, 8:20 AM IST

लखनऊ: मुकदमे में गवाही देने पर गवाह पर जानलेवा हमला करने के आरोपी हरिशंकर, लवकुश और राधेलाल को गिरोह बंद अधिनियम की विशेष न्यायाधीश रेखा शर्मा ने गुरुवार को सात वर्ष के कठोर कारावास और पंद्रह हजार रुपए के जुर्माने की सजा सुनाई. सजा पाए अभियुक्तों का काफी लम्बा आपराधिक इतिहास है. इन पर हत्या डकैती व अन्य जघन्य अपराध के मामले दर्ज हैं.

अदालत के समक्ष विशेष लोक अभियोजक प्रशांत कुमार बाजपेई का तर्क था कि इस मामले की रिपोर्ट वादी अरुण कुमार यादव ने 11 अप्रैल 1996 को थाना बंथरा में दर्ज कराई थी. पुलिस रिपोर्ट में कहा गया है कि 26 नवंबर 1988 को उसके भाई सिकंदर को ग्राम लीला खेड़ा के रामलाल उनके भाई लवकुश व राधेलाल ने अपने तीन साथियों के साथ मिलकर गोली मारा था. इसमें 11 अप्रैल 1996 को गवाही थी.

अभियुक्त गवाही न देने का दबाव बना रहे थे. इसी रंजिश के चलते जब वादी अपने भाई व पिता के साथ बंथरा से घर वापस आ रहा था, तभी पुराने भट्ठे के पास शाम करीब साढे पांच बजे आरोपियों ने सरिया और लाठी से मारा. आरोप है कि इसके पहले इन तीनों आरोपियों ने वादी की बहन के ससुर की हत्या भी की थी. इसमें तीनों लोगों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी.

ये भी पढ़ें- योगी सरकार जनता के द्वार आज से, केशव प्रसाद मौर्य आगरा और बृजेश पाठक वाराणसी जाएंगे

कहा गया है कि आरोपियों का अपराधिक इतिहास है. यह लोग मिलकर कत्ल, डकैती व मारपीट करते है. इसके अलावा गांव के छेदा यादव के घर लूटपाट भी की थी, जिसका मुकदमा चल रहा है. अदालत ने आरोपियों को हत्या के प्रयास और गिरोह बंद अधिनियम के आरोपों में दोषी पाते हुए कारावास और जुर्माने की सजा से दंडित किया है.

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लखनऊ: मुकदमे में गवाही देने पर गवाह पर जानलेवा हमला करने के आरोपी हरिशंकर, लवकुश और राधेलाल को गिरोह बंद अधिनियम की विशेष न्यायाधीश रेखा शर्मा ने गुरुवार को सात वर्ष के कठोर कारावास और पंद्रह हजार रुपए के जुर्माने की सजा सुनाई. सजा पाए अभियुक्तों का काफी लम्बा आपराधिक इतिहास है. इन पर हत्या डकैती व अन्य जघन्य अपराध के मामले दर्ज हैं.

अदालत के समक्ष विशेष लोक अभियोजक प्रशांत कुमार बाजपेई का तर्क था कि इस मामले की रिपोर्ट वादी अरुण कुमार यादव ने 11 अप्रैल 1996 को थाना बंथरा में दर्ज कराई थी. पुलिस रिपोर्ट में कहा गया है कि 26 नवंबर 1988 को उसके भाई सिकंदर को ग्राम लीला खेड़ा के रामलाल उनके भाई लवकुश व राधेलाल ने अपने तीन साथियों के साथ मिलकर गोली मारा था. इसमें 11 अप्रैल 1996 को गवाही थी.

अभियुक्त गवाही न देने का दबाव बना रहे थे. इसी रंजिश के चलते जब वादी अपने भाई व पिता के साथ बंथरा से घर वापस आ रहा था, तभी पुराने भट्ठे के पास शाम करीब साढे पांच बजे आरोपियों ने सरिया और लाठी से मारा. आरोप है कि इसके पहले इन तीनों आरोपियों ने वादी की बहन के ससुर की हत्या भी की थी. इसमें तीनों लोगों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी.

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कहा गया है कि आरोपियों का अपराधिक इतिहास है. यह लोग मिलकर कत्ल, डकैती व मारपीट करते है. इसके अलावा गांव के छेदा यादव के घर लूटपाट भी की थी, जिसका मुकदमा चल रहा है. अदालत ने आरोपियों को हत्या के प्रयास और गिरोह बंद अधिनियम के आरोपों में दोषी पाते हुए कारावास और जुर्माने की सजा से दंडित किया है.

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