लखनऊः कोरोना के दौरान दूसरे राज्यों से आने वाले कामगारों को प्रदेश में रोजगार दिलाने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने एक अनूठी पहल की. प्रवासी राहत मित्र एप की शुरुआत की थी. कोशिश थी कि बाहर से आने वाले कामगारों को उनके घर पर ही रोजगार दिलाया जाए. ताकि, उन्हें भविष्य में दोबारा रोजगार के लिए भटकना न पड़े. शुरुआत में इस एप पर पंजीकरण भी हुए. लेकिन, वर्तमान में इस एप का कोई अता पता नहीं है. मजदूर संगठनों का कहना है कि इसकी कोई उपयोगिता ही नहीं बची है. जो कामगार इसकी मदद से काम पाने की कोशिश कर रहे हैं उन्हें भी मायूसी ही हाथ लग रही है.
बुंदेलखण्ड के जालौन निवासी सुरेश कुमार (52 वर्ष) सूरत की एक फैक्ट्री में काम करते थे. कोरोना में घर आ गए. वह बीते लम्बे समय से यूपी में ही नौकरी तलाश रहे हैं. किसी ने उन्हें यूपी सरकार के प्रवासी राहत मित्र एप की जानकारी दी. सुरेश कहते हैं कि वह गांव के एक युवक की मदद से लगातार इस एप को तलाश रहे हैं लेकिन, इंटरनेट पर कोई जानकारी नहीं मिल पा रही है. सिर्फ सुरेश ही नहीं बल्कि, लखनऊ के राम खिलावन (48) और जयंति प्रसाद का भी यही हाल है.
यह है एप
उत्तर प्रदेश सरकार ने मई 2020 में 'प्रवासी राहत मित्र' एप की शुरुआत की थी. योगी सरकार के मुताबिक इस एप को लॉन्च करने का मकसद इन मजदूरों को विभिन्न योजनाओं का लाभ दिलाना था. यूपी सरकार के मुताबिक, 'प्रवासी राहत मित्र' एप की मदद से मजदूरों का डेटा कलेक्ट कर भविष्य में उन्हें उनके कौशल के हिसाब से नौकरी और आजीविका प्रदान करने की व्यवस्था की जाने थी. एप में डेटा डुप्लीकेशन न हो, इसके लिए यूनीक मोबाइल नंबर को आधार बनाया गया. सभी जिलों के डीएम की अगुवाई में डेटा कलेक्शन की जिम्मेदारी नगर विकास विभाग और ग्रामीण क्षेत्र में पंचायती राज विभाग को सौंपी गई. इस एप से कलेक्ट किए गए डेटा को इंटीग्रेटेड इंफॉर्मेशन मैनेजमेंट सिस्टम पर स्टोर किया गया.
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फायदा कम प्रचार ज्यादा
भारतीय जनता मजदूर संघ के अध्यक्ष शांत प्रकाश जाटव कहते हैं कि कोरोना के दौरान प्रवासी कामगारों के लिए इस एप की जरूरत थी. उस दौरान बड़ी संख्या में पंजीकरण भी कराए गए. मौजूदा दौर में प्रवासी राहत मित्र एप की जरूरत ही नहीं है. अब ई-श्रमिक के माध्यम से कामगारों को मदद पहुंचाने की कोशिशें की जा रही हैं. वहीं, भारतीय मजदूर संघ के महामंत्री अनिल उपाध्याय का कहना है कि इस तरह के एप से कामगारों को फायदा कम है, बल्कि प्रचार ज्यादा होता है. कुछ गिनती के लोगों के पास ही इनका लाभ पहुंच पाता है. उन्होंने कहा कि यही तस्वीर इस एप की भी है.
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