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प्रचंड गर्मी में हांफने लगीं तापीय इकाइयां, कई से उत्पादन ठप

बुधवार को कई इकाइयों से उत्पादन ठप हो गया. जिसके चलते संबंधित इलाकों के लोगों को बिजली संकट झेलना पड़ा. लखनऊ में भी तापीय इलाकों से उत्पादन न होने का असर नजर आया. रात में शहर के कई इलाके बिजली संकट से जूझते रहे.

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Published : May 19, 2022, 4:58 PM IST

शक्ति भवन
शक्ति भवन

लखनऊः राजधानी समेत उत्तर प्रदेश में प्रचंड गर्मी और लू का प्रकोप है. जिसके चलते बिजली की मांग में हर रोज बढ़ोत्तरी हो रही है. जहां एक तरफ बिजली की मांग 25,500 मेगावाट के पार पहुंच रही है, वहीं दूसरी तरफ तापीय इकाइयां हांफने लगी हैं. इन उत्पादन इकाइयों में विद्युत उत्पादन ठप पड़ रहा है.

बुधवार को कई इकाइयों से उत्पादन ठप हो गया. जिसके चलते संबंधित इलाकों के लोगों को बिजली संकट झेलना पड़ा. लखनऊ में भी तापीय इलाकों से उत्पादन न होने का असर नजर आया. रात में शहर के कई इलाके बिजली संकट से जूझते रहे. अहिबरनपुर उपकेंद्र से पोषित त्रिवेणीनगर में रात 12:30 बजे बिजली गुल हुई, जो सुबह 8:30 बजे बहाल हो पाई. इसी तरह शहर के तमाम अन्य क्षेत्रों के लोगों ने बिजली संकट झेला.

बिजली विभाग के सूत्रों के मुताबिक अगले दो दिनों तक इन इकाइयों से उत्पादन होना मुश्किल हो पाएगा. इससे जनता को बिजली संकट झेलना पड़ेगा. बुधवार को तकनीकी कारणों से केंद्रीय सेक्टर से ऊंचाहार की एक इकाई बंद होने के कारण लगभग 116 मेगावाट का उत्पादन प्रभावित रहा और सिंगरौली से 279 मेगावाट का उत्पादन प्रभावित है.

उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन के जनसंपर्क अधिकारी केके सिंह 'अखिलेश' ने बताया कि राज्य में स्थापित निजी उत्पादन गृहों में प्रयागराज स्थित पावर प्लांट की एक 660 मेगावाट की इकाई और रोजा तापीय परियोजना की एक 300 मेगावाट की इकाई का तकनीकी कारणों से उत्पादन कम हो रहा है. पीक आवर में पावर एक्सचेंज से भी उत्तर प्रदेश को बिजली प्राप्त नहीं हो पा रही है, क्योंकि विद्युत दरों की कीमतें बहुत ज्यादा हो गई हैं. इसके चलते रात में शेडयूल्ड आपूर्ति से कुछ कम आपूर्ति दी जा रही है. इन बंद उत्पादन गृहों को ठीक कराने का कार्य युद्धस्तर पर चल रहा है. संभव है कि 20 मई तक इन इकाइयों से फिर से बिजली का उत्पादन प्राप्त होने लगेगा.

ये भी पढ़ें : बिजली की बढ़ी डिमांड पर ऊर्जा मंत्री की जनता से अपील, जितनी जरूरत हो उतनी खर्च करें

प्रमुख सचिव ऊर्जा व उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन के अध्यक्ष एम. देवराज ने अधिकारियों को निर्देशित किया है कि स्थानीय स्तर पर सजगता बरतें. पूरा प्रयास है कि बिजली की अधिकतम आपूर्ति सुनिश्चित हो और उपभोक्ताओं को कम से कम असुविधा हो.

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लखनऊः राजधानी समेत उत्तर प्रदेश में प्रचंड गर्मी और लू का प्रकोप है. जिसके चलते बिजली की मांग में हर रोज बढ़ोत्तरी हो रही है. जहां एक तरफ बिजली की मांग 25,500 मेगावाट के पार पहुंच रही है, वहीं दूसरी तरफ तापीय इकाइयां हांफने लगी हैं. इन उत्पादन इकाइयों में विद्युत उत्पादन ठप पड़ रहा है.

बुधवार को कई इकाइयों से उत्पादन ठप हो गया. जिसके चलते संबंधित इलाकों के लोगों को बिजली संकट झेलना पड़ा. लखनऊ में भी तापीय इलाकों से उत्पादन न होने का असर नजर आया. रात में शहर के कई इलाके बिजली संकट से जूझते रहे. अहिबरनपुर उपकेंद्र से पोषित त्रिवेणीनगर में रात 12:30 बजे बिजली गुल हुई, जो सुबह 8:30 बजे बहाल हो पाई. इसी तरह शहर के तमाम अन्य क्षेत्रों के लोगों ने बिजली संकट झेला.

बिजली विभाग के सूत्रों के मुताबिक अगले दो दिनों तक इन इकाइयों से उत्पादन होना मुश्किल हो पाएगा. इससे जनता को बिजली संकट झेलना पड़ेगा. बुधवार को तकनीकी कारणों से केंद्रीय सेक्टर से ऊंचाहार की एक इकाई बंद होने के कारण लगभग 116 मेगावाट का उत्पादन प्रभावित रहा और सिंगरौली से 279 मेगावाट का उत्पादन प्रभावित है.

उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन के जनसंपर्क अधिकारी केके सिंह 'अखिलेश' ने बताया कि राज्य में स्थापित निजी उत्पादन गृहों में प्रयागराज स्थित पावर प्लांट की एक 660 मेगावाट की इकाई और रोजा तापीय परियोजना की एक 300 मेगावाट की इकाई का तकनीकी कारणों से उत्पादन कम हो रहा है. पीक आवर में पावर एक्सचेंज से भी उत्तर प्रदेश को बिजली प्राप्त नहीं हो पा रही है, क्योंकि विद्युत दरों की कीमतें बहुत ज्यादा हो गई हैं. इसके चलते रात में शेडयूल्ड आपूर्ति से कुछ कम आपूर्ति दी जा रही है. इन बंद उत्पादन गृहों को ठीक कराने का कार्य युद्धस्तर पर चल रहा है. संभव है कि 20 मई तक इन इकाइयों से फिर से बिजली का उत्पादन प्राप्त होने लगेगा.

ये भी पढ़ें : बिजली की बढ़ी डिमांड पर ऊर्जा मंत्री की जनता से अपील, जितनी जरूरत हो उतनी खर्च करें

प्रमुख सचिव ऊर्जा व उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन के अध्यक्ष एम. देवराज ने अधिकारियों को निर्देशित किया है कि स्थानीय स्तर पर सजगता बरतें. पूरा प्रयास है कि बिजली की अधिकतम आपूर्ति सुनिश्चित हो और उपभोक्ताओं को कम से कम असुविधा हो.

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