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अल्ट्रासाउंड के लिए मिल रही करीब एक महीने की तारीख, मरीज परेशान - सरकारी अस्पतालों में अव्यवस्था

राजधानी के सरकारी अस्पतालों में इन दिनों अल्ट्रासाउंड की जांच को लेकर मरीजों को दिक्कतें झेलनी पड़ रही हैं. अस्पतालों के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं. जांच के लिये करीब एक महीने की तारीख दी जा रही है.

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Published : Aug 11, 2022, 4:49 PM IST

लखनऊ : राजधानी के सरकारी अस्पतालों में इन दिनों अल्ट्रासाउंड की जांच को लेकर मरीजों को दिक्कतें झेलनी पड़ रही हैं. अस्पतालों के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं. जांच के लिये करीब एक महीने की तारीख दी जा रही है. जबकि इन दिनों अस्पतालों में पेट दर्द के मरीजों की संख्या में इजाफा हुआ है.

मड़ियांव निवासी मोहित गौड़ ने बताया कि बीते 4 दिनों से वह हजरतगंज स्थित सिविल अस्पताल के चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन बेहतर इलाज अभी तक नहीं मिल पाया है. दरअसल, उनके पेट में सूजन है. जिसकी वजह से पेट में भयानक दर्द होता है. अस्पताल के फिजिशियन डॉक्टर ने अल्ट्रासाउंड के लिए कहा, लेकिन तारीख 28 दिन बाद की मिली है. पेट में दर्द हो तो मरीज 28 दिन तक कैसे झेल सकता है.


बालू अड्डा निवासी मरीज शिवानी खरे ने बताया कि बीते एक हफ्ते से उनके पेट में भयानक दर्द है. सिविल अस्पताल घर के नजदीक पड़ता है, इसलिए सबसे पहले सिविल अस्पताल में इलाज के लिए पहुंची, लेकिन एक हफ्ते से परेशान हैं. अभी तक अल्ट्रासाउंड नहीं हो पाया है. अल्ट्रासाउंड के लिए डॉक्टर ने एक महीने बाद की तारीख दी है. मरीज ने कहा कि राजधानी लखनऊ के सरकारी अस्पताल का यही हाल है तो सोचिए अन्य जिलों के सरकारी अस्पताल का क्या हाल होगा. जबकि स्वास्थ्य मंत्री बृजेश पाठक आए दिन अस्पताल का निरीक्षण करते हैं और मरीजों से बातचीत करते हैं. बावजूद इसके अस्पताल के डॉक्टर मनमानी करते हैं. वहीं अगर कोई किसी कर्मचारी और डॉक्टर के संपर्क का है तो उसका अल्ट्रासाउंड तुरंत हो जाता है. वहीं आम पब्लिक के लिए एक महीने बाद की तारीख दी जाती है.

सिविल अस्पताल के वरिष्ठ फिजीशियन आनंद कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि अस्पताल की ओपीडी में रोजाना 200 से अधिक मरीज इलाज के लिए आते हैं. जिसमें से 20 से 30 मरीज पेट दर्द की समस्या से परेशान होकर अस्पताल में आते हैं. अल्ट्रासाउंड के लिए एक निर्धारित तिथि बताई जाती है. उसके हिसाब से मरीजों का अल्ट्रासाउंड होता है. मरीज को एक तिथि निर्धारित की जाती है क्योंकि एक दिन में 40 से 45 अल्ट्रासाउंड ही हो सकते हैं.

सिविल अस्पताल के सीएमएस डॉ. आरपी सिंह ने बताया कि इस मौसम में मरीजों की संख्या बढ़ने लगती है. आमतौर पर इस मौसम में ज्यादातर मरीज पेट दर्द की समस्या के कारण अस्पताल में आते हैं. ऐसे में हर मरीज का तुरंत अल्ट्रासाउंड हो जाए. इस समय अस्पताल में अल्ट्रासाउंड के लिये एक ही डॉक्टर है. एक डॉक्टर पर 400 से अधिक मरीजों की जिम्मेदारी है. रोजाना 40 से 45 अल्ट्रासाउंड की जांच डॉक्टर करते हैं. अगर संख्या में बढ़ोतरी होगी तो गुणवत्ता में खराबी हो जाएगी. इसलिए मरीजों को लंबे समय की अवधि दी जा रही है. ताकि सभी मरीजों का बारी-बारी से अल्ट्रासाउंड हो सके.

यह भी पढ़ें : 2024 में JDU-RJD का खत्म हो जाएगा वजूद: मंत्री कौशल किशोर

उन्होंने कहा कि ऐसा बिल्कुल भी नहीं है कि अगर मरीज की हालत गंभीर है तो उसका अल्ट्रासाउंड न किया जाए. हालांकि यह समस्या इस वजह से भी आ रही है कि इस मौसम में पेट दर्द की समस्या के बहुत सारे मरीज आ रहे हैं.

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लखनऊ : राजधानी के सरकारी अस्पतालों में इन दिनों अल्ट्रासाउंड की जांच को लेकर मरीजों को दिक्कतें झेलनी पड़ रही हैं. अस्पतालों के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं. जांच के लिये करीब एक महीने की तारीख दी जा रही है. जबकि इन दिनों अस्पतालों में पेट दर्द के मरीजों की संख्या में इजाफा हुआ है.

मड़ियांव निवासी मोहित गौड़ ने बताया कि बीते 4 दिनों से वह हजरतगंज स्थित सिविल अस्पताल के चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन बेहतर इलाज अभी तक नहीं मिल पाया है. दरअसल, उनके पेट में सूजन है. जिसकी वजह से पेट में भयानक दर्द होता है. अस्पताल के फिजिशियन डॉक्टर ने अल्ट्रासाउंड के लिए कहा, लेकिन तारीख 28 दिन बाद की मिली है. पेट में दर्द हो तो मरीज 28 दिन तक कैसे झेल सकता है.


बालू अड्डा निवासी मरीज शिवानी खरे ने बताया कि बीते एक हफ्ते से उनके पेट में भयानक दर्द है. सिविल अस्पताल घर के नजदीक पड़ता है, इसलिए सबसे पहले सिविल अस्पताल में इलाज के लिए पहुंची, लेकिन एक हफ्ते से परेशान हैं. अभी तक अल्ट्रासाउंड नहीं हो पाया है. अल्ट्रासाउंड के लिए डॉक्टर ने एक महीने बाद की तारीख दी है. मरीज ने कहा कि राजधानी लखनऊ के सरकारी अस्पताल का यही हाल है तो सोचिए अन्य जिलों के सरकारी अस्पताल का क्या हाल होगा. जबकि स्वास्थ्य मंत्री बृजेश पाठक आए दिन अस्पताल का निरीक्षण करते हैं और मरीजों से बातचीत करते हैं. बावजूद इसके अस्पताल के डॉक्टर मनमानी करते हैं. वहीं अगर कोई किसी कर्मचारी और डॉक्टर के संपर्क का है तो उसका अल्ट्रासाउंड तुरंत हो जाता है. वहीं आम पब्लिक के लिए एक महीने बाद की तारीख दी जाती है.

सिविल अस्पताल के वरिष्ठ फिजीशियन आनंद कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि अस्पताल की ओपीडी में रोजाना 200 से अधिक मरीज इलाज के लिए आते हैं. जिसमें से 20 से 30 मरीज पेट दर्द की समस्या से परेशान होकर अस्पताल में आते हैं. अल्ट्रासाउंड के लिए एक निर्धारित तिथि बताई जाती है. उसके हिसाब से मरीजों का अल्ट्रासाउंड होता है. मरीज को एक तिथि निर्धारित की जाती है क्योंकि एक दिन में 40 से 45 अल्ट्रासाउंड ही हो सकते हैं.

सिविल अस्पताल के सीएमएस डॉ. आरपी सिंह ने बताया कि इस मौसम में मरीजों की संख्या बढ़ने लगती है. आमतौर पर इस मौसम में ज्यादातर मरीज पेट दर्द की समस्या के कारण अस्पताल में आते हैं. ऐसे में हर मरीज का तुरंत अल्ट्रासाउंड हो जाए. इस समय अस्पताल में अल्ट्रासाउंड के लिये एक ही डॉक्टर है. एक डॉक्टर पर 400 से अधिक मरीजों की जिम्मेदारी है. रोजाना 40 से 45 अल्ट्रासाउंड की जांच डॉक्टर करते हैं. अगर संख्या में बढ़ोतरी होगी तो गुणवत्ता में खराबी हो जाएगी. इसलिए मरीजों को लंबे समय की अवधि दी जा रही है. ताकि सभी मरीजों का बारी-बारी से अल्ट्रासाउंड हो सके.

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उन्होंने कहा कि ऐसा बिल्कुल भी नहीं है कि अगर मरीज की हालत गंभीर है तो उसका अल्ट्रासाउंड न किया जाए. हालांकि यह समस्या इस वजह से भी आ रही है कि इस मौसम में पेट दर्द की समस्या के बहुत सारे मरीज आ रहे हैं.

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