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अफसरों की चाकरी छोड़ अब चालकों को थामनी होगी रोडवेज बसों की स्टीयरिंग

उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम में तमाम चालक ऐसे हैं जो रोडवेज बस की स्टीयरिंग छोड़कर किसी अधिकारी की ड्यूटी बजा रहे हैं, किसी की प्राइवेट गाड़ी चला रहे हैं या फिर ड्राइवर से इतर दफ्तर में नौकरी कर रहे हैं. ऐसे ड्राइवरों को अफसरों की चाकरी छोड़ अब वापस रोडवेज की स्टीयरिंग थामनी पड़ेगी.

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Published : Aug 31, 2022, 6:52 PM IST

लखनऊ : उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम में तमाम चालक ऐसे हैं जो रोडवेज बस की स्टीयरिंग छोड़कर किसी अधिकारी की ड्यूटी बजा रहे हैं, किसी की प्राइवेट गाड़ी चला रहे हैं या फिर ड्राइवर से इतर दफ्तर में नौकरी कर रहे हैं. ऐसे ड्राइवरों को अफसरों की चाकरी छोड़ अब वापस रोडवेज की स्टीयरिंग थामनी पड़ेगी. यूपीएसआरटीसी के एमडी संजय कुमार ने इस संबंध में प्रदेश भर के सभी अधिकारियों से ऐसे ड्राइवरों की सूची तलब की है जो बस का संचालन न कर अन्य कामों में लगे हुए हैं. रोडवेज के सूत्र बताते हैं कि प्रदेश भर में ये संख्या एक हजार से भी ज्यादा है. अब सभी रीजनों से तरफ से डाटा मांगा गया है. हरहाल में सभी ड्राइवरों को बसों की स्टीयरिंग थामनी ही पड़ेगी. सिर्फ ड्राइवर ही नहीं ऐसे कंडक्टर जो अपना मूल काम छोड़कर अन्य कामों में लगे हैं अब वह भी इलेक्ट्रॉनिक टिकटिंग मशीन (ईटीएम) थामकर बसों में यात्रियों के टिकट बनाते हुए नजर आएंगे.

परिवहन निगम में कई बार ऐसे मामले चर्चा में आए कि रोडवेज के चालक-परिचालक मक्खनबाजी कर अधिकारियों की प्राइवेट ड्यूटी में लग गए, सीनियर अधिकारियों के घर पर नौकरी करने लगे. उनके घर खाना बनाने लगे, उनकी प्राइवेट गाड़ी चलाने लगे. इतना ही नहीं जिन ड्राइवरों की रोडवेज में भर्ती बस चलाने के लिए हुई थी वही ड्राइवर दफ्तर में सेटिंग करके जम गए. परिचालको को बस संचालन के दौरान यात्रियों का टिकट बनाना था यह काम छोड़कर दफ्तरों में अन्य कामों में लग गए. इसका हश्र ये हुआ कि ड्राइवर कंडक्टर के अभाव में बसें डिपो के अंदर ही खड़ी होने लगीं, जिससे रोडवेज को भारी नुकसान होने लगा. अब जब परिवहन निगम के प्रबंध निदेशक संजय कुमार ने कमान संभाली तो उन्होंने इस ओर गंभीरता से ध्यान दिया. प्रदेश भर के रीजनाें को आदेश जारी किया कि जो भी ड्राइवर कंडक्टर अपना मूल काम छोड़कर अन्य कामों में लगे हुए हैं तत्काल उन्हें अपने मूल काम पर वापस भेजा जाए. अगर कहीं भी कोई ड्राइवर कंडक्टर अपने काम से इतर कोई काम करता हुआ पाया जाता है तो कड़ी कार्रवाई की जाएगी. एमडी के इस आदेश के बाद अब सभी रीजन और डिपो ने अलग कामों में लगाए गए ड्राइवर कंडक्टरों को वापस अपने मूल काम पर भेजना शुरू कर दिया है.

जानकारी देते संवाददाता अखिल पांडेय

बात अगर लखनऊ रीजन की करें तो कुल सात डिपो कैसरबाग, आलमबाग, चारबाग, अवध, उपनगरीय, रायबरेली और बाराबंकी इस रीजन के अंतर्गत आते हैं. इन डिपो में बड़ी संख्या में नियमित चालक अपने पद से इतर अन्य कार्य में लगे हुए हैं. सभी डिपो की सूची तैयार हुई है जिसमें लखनऊ रीजन में कुल 85 ड्राइवर अपना काम छोड़कर दफ्तरों में लगे हैं या बस के बजाय स्टाफ कार चला रहे हैं. कार्यशाला का गेट संभाल रहे हैं. डीजल ड्यूटी कर रहे हैं या परिवहन आयुक्त कार्यालय में लगे हुए हैं. कैसरबाग डिपो में 16 चालक बस का संचालन न कर परिवहन आयुक्त कार्यालय, निगम मुख्यालय, प्रमुख सचिव परिवहन की ड्यूटी बजा रहे हैं. चारबाग डिपो के 13 चालक स्टाफ कार ड्यूटी, स्टेशन अधीक्षक कार्यालय और डीजल फिलर के रूप में काम कर रहे हैं. उपनगरीय डिपो में आधा दर्जन बाराबंकी डिपो में 5 ड्राइवर अवध डिपो में टेस्ट ड्राइवर और रायबरेली डिपो में सात ड्राइवर तैनात हैं. इसके अलावा 11 ड्राइवर क्षेत्रीय प्रबंधक कार्यालय में और दो ड्राइवर क्षेत्रीय कार्यशाला में तैनात हैं.

क्षेत्रीय प्रबंधक लखनऊ कार्यालय के अंतर्गत सात डिपो में कुल 81 कंडक्टर बसों में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन से टिकट बनाने के बजाय अधिकारियों की मिलीभगत से दफ्तरों में जमे हुए हैं. बड़ी संख्या में महिला कंडक्टर दफ्तरों में तैनात हैं. चारबाग डिपो में सात परिचालक और चारबाग प्रबंधन में तीन कंडक्टर तैनात हैं. इसी तरह पांच परिचालक आलमबाग डिपो में, नौ परिचालक अवध डिपो में, कैसरबाग डिपो में 13 कंडक्टर और कैसरबाग प्रबंधन में तीन कंडक्टर तैनात किए गए हैं. इसी तरह बाराबंकी में आधा दर्जन कंडक्टर और रायबरेली डिपो में नौ परिचालक तैनात हैं. इसके अलावा क्षेत्रीय प्रबंधक कार्यालय में चार परिचालक, आलमबाग टर्मिनल पर 10 परिचालक अपनी मूल ड्यूटी छोड़कर दफ्तर में लगे हुए हैं. इनमें से ज्यादातर क्लर्क का काम कर रहे हैं.


परिवहन निगम के विश्वस्त सूत्र बताते हैं कि प्रदेश भर के सभी 20 परिक्षेत्रों में ऐसे ड्राइवर-कंडक्टरों की संख्या 1000 से भी कहीं ज्यादा है जो अपनी नौकरी छोड़ अफसरों की चाकरी में लगे हुए हैं. बस नहीं चला रहे हैं, बस के अंदर टिकट नहीं बना रहे हैं, एसी दफ्तर में बैठकर बाबूगिरी कर रहे हैं. अब इन सभी को अपने मूल पद पर वापस नौकरी करनी होगी, नहीं तो सेवा से बाहर का ही रास्ता दिखा दिया जाएगा.

यह भी पढ़ें : शीघ्र रिलीज होगी पीएम किसान सम्मान निधि की 12वीं किश्त, 2.60 करोड़ लोगों को मिल रहा लाभ

उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम के प्रबंध निदेशक संजय कुमार का कहना है कि प्रदेश भर में ऐसे ड्राइवर कंडक्टर की सूची तलब की गई है जो अपने मूल पद पर काम न करके अन्य कार्य में लगे हुए हैं. ऐसे सभी ड्राइवर कंडक्टर को अपना काम करना होगा. अगर ऐसा नहीं करते हैं तो फिर कड़ी कार्रवाई की जाएगी. प्रदेश के कई डिपो में बड़े स्तर पर अपने कार्य से इतर चालक-परिचालक काम कर रहे हैं. वे सभी अब अपने मूल काम पर वापस लौटेंगे.

यह भी पढ़ें : स्वतंत्र देव सिंह का हाल, 'मतलबी हैं लोग यहां के मतलबी जमाना, सोचा साया साथ देगा निकला वो बेगाना'

लखनऊ : उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम में तमाम चालक ऐसे हैं जो रोडवेज बस की स्टीयरिंग छोड़कर किसी अधिकारी की ड्यूटी बजा रहे हैं, किसी की प्राइवेट गाड़ी चला रहे हैं या फिर ड्राइवर से इतर दफ्तर में नौकरी कर रहे हैं. ऐसे ड्राइवरों को अफसरों की चाकरी छोड़ अब वापस रोडवेज की स्टीयरिंग थामनी पड़ेगी. यूपीएसआरटीसी के एमडी संजय कुमार ने इस संबंध में प्रदेश भर के सभी अधिकारियों से ऐसे ड्राइवरों की सूची तलब की है जो बस का संचालन न कर अन्य कामों में लगे हुए हैं. रोडवेज के सूत्र बताते हैं कि प्रदेश भर में ये संख्या एक हजार से भी ज्यादा है. अब सभी रीजनों से तरफ से डाटा मांगा गया है. हरहाल में सभी ड्राइवरों को बसों की स्टीयरिंग थामनी ही पड़ेगी. सिर्फ ड्राइवर ही नहीं ऐसे कंडक्टर जो अपना मूल काम छोड़कर अन्य कामों में लगे हैं अब वह भी इलेक्ट्रॉनिक टिकटिंग मशीन (ईटीएम) थामकर बसों में यात्रियों के टिकट बनाते हुए नजर आएंगे.

परिवहन निगम में कई बार ऐसे मामले चर्चा में आए कि रोडवेज के चालक-परिचालक मक्खनबाजी कर अधिकारियों की प्राइवेट ड्यूटी में लग गए, सीनियर अधिकारियों के घर पर नौकरी करने लगे. उनके घर खाना बनाने लगे, उनकी प्राइवेट गाड़ी चलाने लगे. इतना ही नहीं जिन ड्राइवरों की रोडवेज में भर्ती बस चलाने के लिए हुई थी वही ड्राइवर दफ्तर में सेटिंग करके जम गए. परिचालको को बस संचालन के दौरान यात्रियों का टिकट बनाना था यह काम छोड़कर दफ्तरों में अन्य कामों में लग गए. इसका हश्र ये हुआ कि ड्राइवर कंडक्टर के अभाव में बसें डिपो के अंदर ही खड़ी होने लगीं, जिससे रोडवेज को भारी नुकसान होने लगा. अब जब परिवहन निगम के प्रबंध निदेशक संजय कुमार ने कमान संभाली तो उन्होंने इस ओर गंभीरता से ध्यान दिया. प्रदेश भर के रीजनाें को आदेश जारी किया कि जो भी ड्राइवर कंडक्टर अपना मूल काम छोड़कर अन्य कामों में लगे हुए हैं तत्काल उन्हें अपने मूल काम पर वापस भेजा जाए. अगर कहीं भी कोई ड्राइवर कंडक्टर अपने काम से इतर कोई काम करता हुआ पाया जाता है तो कड़ी कार्रवाई की जाएगी. एमडी के इस आदेश के बाद अब सभी रीजन और डिपो ने अलग कामों में लगाए गए ड्राइवर कंडक्टरों को वापस अपने मूल काम पर भेजना शुरू कर दिया है.

जानकारी देते संवाददाता अखिल पांडेय

बात अगर लखनऊ रीजन की करें तो कुल सात डिपो कैसरबाग, आलमबाग, चारबाग, अवध, उपनगरीय, रायबरेली और बाराबंकी इस रीजन के अंतर्गत आते हैं. इन डिपो में बड़ी संख्या में नियमित चालक अपने पद से इतर अन्य कार्य में लगे हुए हैं. सभी डिपो की सूची तैयार हुई है जिसमें लखनऊ रीजन में कुल 85 ड्राइवर अपना काम छोड़कर दफ्तरों में लगे हैं या बस के बजाय स्टाफ कार चला रहे हैं. कार्यशाला का गेट संभाल रहे हैं. डीजल ड्यूटी कर रहे हैं या परिवहन आयुक्त कार्यालय में लगे हुए हैं. कैसरबाग डिपो में 16 चालक बस का संचालन न कर परिवहन आयुक्त कार्यालय, निगम मुख्यालय, प्रमुख सचिव परिवहन की ड्यूटी बजा रहे हैं. चारबाग डिपो के 13 चालक स्टाफ कार ड्यूटी, स्टेशन अधीक्षक कार्यालय और डीजल फिलर के रूप में काम कर रहे हैं. उपनगरीय डिपो में आधा दर्जन बाराबंकी डिपो में 5 ड्राइवर अवध डिपो में टेस्ट ड्राइवर और रायबरेली डिपो में सात ड्राइवर तैनात हैं. इसके अलावा 11 ड्राइवर क्षेत्रीय प्रबंधक कार्यालय में और दो ड्राइवर क्षेत्रीय कार्यशाला में तैनात हैं.

क्षेत्रीय प्रबंधक लखनऊ कार्यालय के अंतर्गत सात डिपो में कुल 81 कंडक्टर बसों में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन से टिकट बनाने के बजाय अधिकारियों की मिलीभगत से दफ्तरों में जमे हुए हैं. बड़ी संख्या में महिला कंडक्टर दफ्तरों में तैनात हैं. चारबाग डिपो में सात परिचालक और चारबाग प्रबंधन में तीन कंडक्टर तैनात हैं. इसी तरह पांच परिचालक आलमबाग डिपो में, नौ परिचालक अवध डिपो में, कैसरबाग डिपो में 13 कंडक्टर और कैसरबाग प्रबंधन में तीन कंडक्टर तैनात किए गए हैं. इसी तरह बाराबंकी में आधा दर्जन कंडक्टर और रायबरेली डिपो में नौ परिचालक तैनात हैं. इसके अलावा क्षेत्रीय प्रबंधक कार्यालय में चार परिचालक, आलमबाग टर्मिनल पर 10 परिचालक अपनी मूल ड्यूटी छोड़कर दफ्तर में लगे हुए हैं. इनमें से ज्यादातर क्लर्क का काम कर रहे हैं.


परिवहन निगम के विश्वस्त सूत्र बताते हैं कि प्रदेश भर के सभी 20 परिक्षेत्रों में ऐसे ड्राइवर-कंडक्टरों की संख्या 1000 से भी कहीं ज्यादा है जो अपनी नौकरी छोड़ अफसरों की चाकरी में लगे हुए हैं. बस नहीं चला रहे हैं, बस के अंदर टिकट नहीं बना रहे हैं, एसी दफ्तर में बैठकर बाबूगिरी कर रहे हैं. अब इन सभी को अपने मूल पद पर वापस नौकरी करनी होगी, नहीं तो सेवा से बाहर का ही रास्ता दिखा दिया जाएगा.

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उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम के प्रबंध निदेशक संजय कुमार का कहना है कि प्रदेश भर में ऐसे ड्राइवर कंडक्टर की सूची तलब की गई है जो अपने मूल पद पर काम न करके अन्य कार्य में लगे हुए हैं. ऐसे सभी ड्राइवर कंडक्टर को अपना काम करना होगा. अगर ऐसा नहीं करते हैं तो फिर कड़ी कार्रवाई की जाएगी. प्रदेश के कई डिपो में बड़े स्तर पर अपने कार्य से इतर चालक-परिचालक काम कर रहे हैं. वे सभी अब अपने मूल काम पर वापस लौटेंगे.

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