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लखनऊ में शाही जरी से होगा मोहर्रम का आगाज, तैयारियां पूरी

रविवार से माहे मोहर्रम का आगाज हो रहा है. लखनऊ में भी पहली मोहर्रम के जुलूस को लेकर तैयारियां पूरी कर ली गई हैं. लखनऊ में 184 साल पुराना शाही ज़री का जुलूस ऐतिहासिक बड़े इमामबाड़े से लेकर छोटे इमामबाड़े तक निकाला जाएगा.

मोहर्रम के जुलूस की तैयारी शुरू
मोहर्रम के जुलूस की तैयारी शुरू
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Published : Jul 30, 2022, 7:59 PM IST

लखनऊ : रविवार से माहे मोहर्रम का आगाज हो रहा है. लखनऊ में भी पहली मोहर्रम के जुलूस को लेकर तैयारियां पूरी कर ली गई हैं. लखनऊ में 184 साल पुराना शाही ज़री का जुलूस ऐतिहासिक बड़े इमामबाड़े से लेकर छोटे इमामबाड़े तक निकाला जाएगा. इस जुलूस के लिए नवाबों के वक्त से हुसैनाबाद ट्रस्ट की ओर से शाही ज़री खास कारीगरों द्वारा बनाई जाती है, जिससे लखनऊ में मोहर्रम की शुरुआत होगी.


उत्तर प्रदेश के बहराइच के रहने वाले नसीम अली का परिवार अपने बाप दादाओं के वक्त से इस शाही ज़री को तैयार करते आए हैं. नसीम अली का कहना है कि इस शाही ज़री को तैयार करने में 3 महीने से ज्यादा का समय लगता है. उन्होंने बताया कि उनका पूरा परिवार इस खास जरी को तैयार करने में मोहर्रम आने से पहले लगातार जुटा रहता है. उन्होंने कहा कि इस जरी में अबरक, मोम और तरह-तरह के खास मटेरियल का इस्तेमाल किया जाता है और इसकी लंबाई तकरीबन 20 फीट रहती है.

जानकारी देते संवाददाता अर्सलान समदी


इसे भी पढ़ें : मोहर्रम महीने के चांद का नहीं हुआ दीदार, 9 अगस्त को मनेगा यौमे आशूरा
हुसैनाबाद ट्रस्ट की ओर से लखनऊ में मोहर्रम के जुलूस बड़े पैमाने पर नवाबों के वक्त से शाही तौर-तरीकों के साथ निकाले जाते हैं. पहली मोहर्रम का जुलूस बड़े इमामबाड़े से उठकर छोटे इमामबाड़े तक आता है. जिसमें इस शाही ज़री के साथ हाथी, घोड़े, मातमी धुनों पर बैंड बाजे इत्यादि रहते हैं. पहली मोहर्रम के जुलूस में इमाम हुसैन से अकीदत रखने वाले बड़ी संख्या में लोग पहुंचकर इमाम हुसैन और कर्बला में शहीद उनके साथियों को श्रद्धांजलि पेश करते हैं.
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लखनऊ : रविवार से माहे मोहर्रम का आगाज हो रहा है. लखनऊ में भी पहली मोहर्रम के जुलूस को लेकर तैयारियां पूरी कर ली गई हैं. लखनऊ में 184 साल पुराना शाही ज़री का जुलूस ऐतिहासिक बड़े इमामबाड़े से लेकर छोटे इमामबाड़े तक निकाला जाएगा. इस जुलूस के लिए नवाबों के वक्त से हुसैनाबाद ट्रस्ट की ओर से शाही ज़री खास कारीगरों द्वारा बनाई जाती है, जिससे लखनऊ में मोहर्रम की शुरुआत होगी.


उत्तर प्रदेश के बहराइच के रहने वाले नसीम अली का परिवार अपने बाप दादाओं के वक्त से इस शाही ज़री को तैयार करते आए हैं. नसीम अली का कहना है कि इस शाही ज़री को तैयार करने में 3 महीने से ज्यादा का समय लगता है. उन्होंने बताया कि उनका पूरा परिवार इस खास जरी को तैयार करने में मोहर्रम आने से पहले लगातार जुटा रहता है. उन्होंने कहा कि इस जरी में अबरक, मोम और तरह-तरह के खास मटेरियल का इस्तेमाल किया जाता है और इसकी लंबाई तकरीबन 20 फीट रहती है.

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हुसैनाबाद ट्रस्ट की ओर से लखनऊ में मोहर्रम के जुलूस बड़े पैमाने पर नवाबों के वक्त से शाही तौर-तरीकों के साथ निकाले जाते हैं. पहली मोहर्रम का जुलूस बड़े इमामबाड़े से उठकर छोटे इमामबाड़े तक आता है. जिसमें इस शाही ज़री के साथ हाथी, घोड़े, मातमी धुनों पर बैंड बाजे इत्यादि रहते हैं. पहली मोहर्रम के जुलूस में इमाम हुसैन से अकीदत रखने वाले बड़ी संख्या में लोग पहुंचकर इमाम हुसैन और कर्बला में शहीद उनके साथियों को श्रद्धांजलि पेश करते हैं.
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