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विश्व निमोनिया दिवस: उत्तर प्रदेश में पिछले दो महीने में मिले दस हजार से अधिक मरीज - up news in hindi

हर साल के नवंबर के दूसरे सप्ताह में विश्व निमोनिया दिवस मनाया (World Pneumonia Day) जाता है. सर्दी, जुखाम और बुखार जब लंबे समय तक बना रहता है, तो ये निमोनिया में बदल जाता है.

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Published : Nov 12, 2021, 10:50 PM IST

लखनऊ: निमोनिया संचारी बीमारी में आता है. इस बार विश्व निमोनिया दिवस का थीम स्टॉप निमोनिया, एवरी ब्रीथ काउंट्स (Stop Pneumoniae, every Breath count) है. विश्व निमोनिया दिवस को मनाने का मकसद इतना है कि लोग इस बीमारी के प्रति जागरूक हो सकें और सर्दी जुकाम और बुखार को हल्के में न लें. बीते दो-तीन महीने से लोग संचारी बीमारियों से पीड़ित हो रहे हैं. प्रदेश में पिछले 2 महीने में तकरीबन 10 हजार से अधिक लोगों को निमोनिया संक्रमण हुआ.

जानकारी देते वरिष्ठ फिजीशियन डॉ. एपी श्रीवास्तव
एसीएमओ डॉ. एमके सिंह ने बताया कि अगर हम बीते 2 महीने की बात करते हैं, तो इसमें निमोनिया से सबसे अधिक पीड़ित बच्चे हैं. बच्चों में बुखार खांसी, श्वांस तेज चलना, पसलियों का दर्द होना आदि लक्षण होते हैं. मौसम में बदलाव होने के कारण, इन दिनों आमतौर पर बच्चे जल्दी वायरल बीमारी से जकड़ जाते हैं. खास तौर पर सर्दी जुकाम आम बात है और जब यही सर्दी जुकाम लंबे समय तक ठीक नहीं होता है. इसकी वजह से सर्दी जुकाम निमोनिया में तब्दील हो जाता है. प्रदेश में सितंबर में 461, अक्टूबर में 701 और पहली नंवबर से अब तक 511 बच्चे निमोनिया के शिकार हुए थे.

ये भी पढ़ें- बनारस में अमित शाह की मौजूदगी में शुरू हुआ 403 विधानसभा सीटों पर गहन मंथन, जानें बैठक की खास बातें..


सिविल अस्पताल की वरिष्ठ फिजीशियन डॉ. एपी श्रीवास्तव ने बताया कि निमोनिया फेफड़ों की सूजन या इंफेक्शन है. यदि इंफेक्शन फेफड़े के एक हिस्से को प्रभावित करता है, तो इसे लोबार निमोनिया के रूप में पहचाना जाता है और अगर यह दोनों फेफड़ों को प्रभावित करता है तो यह मल्टीबॉबर निमोनिया कहलाता है.



निमोनिया के शुरुआती लक्षण

  • बलगम या खून के साथ खांसी आना
  • शरीर के तापमान का 101 डिग्री या इससे अधिक होना
  • अत्यधिक पसीना आना और अत्यधिक ठंड लगना
  • सांस लेने में कठिनाई होना
  • बार-बार उल्टी होना या लगना
  • सीने में दर्द होना
  • घबराहट बेचैनी होना
  • खाना खाने का मन न करना, पानी का अजीब सा स्वाद लगना
  • कमजोरी आना

इन्हें होता हैं निमोनिया का अधिक खतरा: डॉ. एपी श्रीवास्तव ने बताया कि निमोनिया का खतरा उन व्यक्तियों को ज्यादा होता है जिन्हें अस्थमा, हृदय रोग व ब्रोन्काइटिसस होता हैं. अगर कोई व्यक्ति एचआईवी से पीड़ित है तो उनमें अधिक जोखिम होता है. धूम्रपान नशा का सेवन, जानवरों के संपर्क में आना, रासायनिक व पर्यावरण विषय पदार्थों और कुपोषण अन्य और कारण है.


निमोनिया से बचने के उपाय

  • समय पर डॉक्टर से परामर्श लें
  • खाने में अच्छी डाइट लें
  • तेल मसाला बिल्कुल छोड़ दें
  • गर्म पानी पिएं
  • दिन भर में 4 से 6 लीटर पानी पिएं
  • मास्क का इस्तेमाल करें
  • बच्चों के लिए निमोनिया का टीका पीसीवी 13 (PCV13) अवश्य लगवाएं
  • वयस्क लोगों के लिए पीपीएसवी 23 (PPSV23) लगवाएं

एसीएमओ डॉ. एमके सिंह ने बताया कि निमोनिया का इलाज संभव होता हैं. अगर मानें तो बहुत बड़ी बीमारी नही हैं. समय पर समुचित इलाज मिलने से निमोनिया के मरीज को ठीक किया जा सकता है. कमजोर इम्यून सिस्टम के कारण यह बीमारी जल्दी नहीं जाती है और लंबे समय तक बनी रहती है. इसका सही समय पर इलाज न होने पर संक्रमण मस्तिक में फैल जाता है.

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लखनऊ: निमोनिया संचारी बीमारी में आता है. इस बार विश्व निमोनिया दिवस का थीम स्टॉप निमोनिया, एवरी ब्रीथ काउंट्स (Stop Pneumoniae, every Breath count) है. विश्व निमोनिया दिवस को मनाने का मकसद इतना है कि लोग इस बीमारी के प्रति जागरूक हो सकें और सर्दी जुकाम और बुखार को हल्के में न लें. बीते दो-तीन महीने से लोग संचारी बीमारियों से पीड़ित हो रहे हैं. प्रदेश में पिछले 2 महीने में तकरीबन 10 हजार से अधिक लोगों को निमोनिया संक्रमण हुआ.

जानकारी देते वरिष्ठ फिजीशियन डॉ. एपी श्रीवास्तव
एसीएमओ डॉ. एमके सिंह ने बताया कि अगर हम बीते 2 महीने की बात करते हैं, तो इसमें निमोनिया से सबसे अधिक पीड़ित बच्चे हैं. बच्चों में बुखार खांसी, श्वांस तेज चलना, पसलियों का दर्द होना आदि लक्षण होते हैं. मौसम में बदलाव होने के कारण, इन दिनों आमतौर पर बच्चे जल्दी वायरल बीमारी से जकड़ जाते हैं. खास तौर पर सर्दी जुकाम आम बात है और जब यही सर्दी जुकाम लंबे समय तक ठीक नहीं होता है. इसकी वजह से सर्दी जुकाम निमोनिया में तब्दील हो जाता है. प्रदेश में सितंबर में 461, अक्टूबर में 701 और पहली नंवबर से अब तक 511 बच्चे निमोनिया के शिकार हुए थे.

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सिविल अस्पताल की वरिष्ठ फिजीशियन डॉ. एपी श्रीवास्तव ने बताया कि निमोनिया फेफड़ों की सूजन या इंफेक्शन है. यदि इंफेक्शन फेफड़े के एक हिस्से को प्रभावित करता है, तो इसे लोबार निमोनिया के रूप में पहचाना जाता है और अगर यह दोनों फेफड़ों को प्रभावित करता है तो यह मल्टीबॉबर निमोनिया कहलाता है.



निमोनिया के शुरुआती लक्षण

  • बलगम या खून के साथ खांसी आना
  • शरीर के तापमान का 101 डिग्री या इससे अधिक होना
  • अत्यधिक पसीना आना और अत्यधिक ठंड लगना
  • सांस लेने में कठिनाई होना
  • बार-बार उल्टी होना या लगना
  • सीने में दर्द होना
  • घबराहट बेचैनी होना
  • खाना खाने का मन न करना, पानी का अजीब सा स्वाद लगना
  • कमजोरी आना

इन्हें होता हैं निमोनिया का अधिक खतरा: डॉ. एपी श्रीवास्तव ने बताया कि निमोनिया का खतरा उन व्यक्तियों को ज्यादा होता है जिन्हें अस्थमा, हृदय रोग व ब्रोन्काइटिसस होता हैं. अगर कोई व्यक्ति एचआईवी से पीड़ित है तो उनमें अधिक जोखिम होता है. धूम्रपान नशा का सेवन, जानवरों के संपर्क में आना, रासायनिक व पर्यावरण विषय पदार्थों और कुपोषण अन्य और कारण है.


निमोनिया से बचने के उपाय

  • समय पर डॉक्टर से परामर्श लें
  • खाने में अच्छी डाइट लें
  • तेल मसाला बिल्कुल छोड़ दें
  • गर्म पानी पिएं
  • दिन भर में 4 से 6 लीटर पानी पिएं
  • मास्क का इस्तेमाल करें
  • बच्चों के लिए निमोनिया का टीका पीसीवी 13 (PCV13) अवश्य लगवाएं
  • वयस्क लोगों के लिए पीपीएसवी 23 (PPSV23) लगवाएं

एसीएमओ डॉ. एमके सिंह ने बताया कि निमोनिया का इलाज संभव होता हैं. अगर मानें तो बहुत बड़ी बीमारी नही हैं. समय पर समुचित इलाज मिलने से निमोनिया के मरीज को ठीक किया जा सकता है. कमजोर इम्यून सिस्टम के कारण यह बीमारी जल्दी नहीं जाती है और लंबे समय तक बनी रहती है. इसका सही समय पर इलाज न होने पर संक्रमण मस्तिक में फैल जाता है.

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