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उत्तर प्रदेश विधान परिषद से कांग्रेस हुई साफ, MLC दीपक सिंह का कार्यकाल आज होगा पूरा - केंद्रीय रेल मंत्रालय

विधान परिषद में पार्टी के एक मात्र एमएलसी दीपक सिंह का कार्यकाल भी आज यानी बुधवार को पूरा हो रहा है. दीपक सिंह को (2012-वर्तमान तक) उत्तर प्रदेश कांग्रेस महासचिव बनाया गया था.

MLC दीपक सिंह
MLC दीपक सिंह
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Published : Jul 6, 2022, 3:14 PM IST

लखनऊ : आखिरकार उत्तर प्रदेश विधान परिषद से भी कांग्रेस का सूपड़ा साफ हो गया. विधान परिषद में पार्टी के एक मात्र एमएलसी दीपक सिंह का कार्यकाल भी आज यानी बुधवार को पूरा हो रहा है.

विधान परिषद में कांग्रेस का इतिहास : उत्तर प्रदेश में विधान परिषद की स्थापना 5 जनवरी 1887 में हुई थी. मोतीलाल नेहरू ने 7 फरवरी 1919 को विधान परिषद की सदस्यता ली. उन्हें विधान परिषद में कांग्रेस का पहला सदस्य माना जाता है. तब उत्तर प्रदेश को संयुक्त प्रांत के नाम से जाना जाता था. आजादी के बाद 1989 तक विधान परिषद में कांग्रेस का दबदबा रहा. 1977 और 1979 को छोड़कर अन्य वर्षों में विधान परिषद में नेता सदन कांग्रेस का ही रहा. उसके बाद से स्थितियां खराब हो गईं. बीते 33 वर्षों में कांग्रेस लगातार सिकुड़ती चली गई. 2022 के विधानसभा चुनाव में पार्टी के सिर्फ दो उम्मीदवार विधानसभा तक पहुंचे हैं. इस बार 2.5 प्रतिशत से भी कम वोट मिला है. वर्तमान में कांग्रेस के एकमात्र सदस्य दीपक सिंह विधान परिषद में हैं. उनका कार्यकाल भी 6 जुलाई को पूरा होने जा रहा है. जानकारों का कहना है कि मौजूदा परिस्थितियों को देखते हुए निकट भविष्य में भी उच्च सदन में कांग्रेस का प्रतिनिधित्व होने की उम्मीद दूर-दूर तक नजर नहीं आ रही है. साथ ही कांग्रेस के नेता रहे मोतीलाल नेहरू से शुरू हुआ सिलसिला उनकी पांचवीं पीढ़ी पर आकर खत्म हो रहा है.


कांग्रेस के कद्दावर नेताओं में हैं दीपक सिंह : दीपक सिंह की गिनती कांग्रेस के कद्दावर नेताओं में की जाती है. उनकी छवि एक साफ-सुथरे नेता की है. वह पूर्व में दो बार ब्लॉक प्रमुख के रूप में चुने गए हैं, उन्हें 1995-2005 में शाहगढ़ ब्लॉक, अमेठी, उत्तर प्रदेश से ब्लॉक प्रमुख के रूप में चुना गया था. कैडर स्तर पर पार्टी को मजबूत करने के लिए उन्हें वर्ष 2002 में पार्टी के सचिव के रूप में नियुक्त किया गया था. दीपक सिंह उत्तर प्रदेश युवा कांग्रेस और एनएसयूआई के प्रभारी थे, ऐसा माना जाता है कि उनके कार्यकाल के दौरान दोनों मोर्चे को मजबूती मिली थी. दीपक सिंह को (2012-वर्तमान तक) उत्तर प्रदेश कांग्रेस महासचिव बनाया गया था.

ये भी पढ़ें : लखनऊ: आजम खान के बेटे अब्दुल्ला आजम ईडी दफ्तर में मौजूद, जौहर यूनिवर्सिटी मामले में पूछताछ जारी

2014 लोकसभा चुनाव से ठीक पहले, दीपक सिंह को केंद्रीय रेल मंत्रालय के पीएससी के अध्यक्ष के रूप में राज्यमंत्री के रूप में नियुक्त किया गया. उन्होंने केंद्र में एनडीए सरकार के गठन के तुरंत बाद रेल किराये में वृद्धि के विरोध में पद से इस्तीफा दे दिया. 2016 में उत्तर प्रदेश एमएलसी चुनाव में दीपक सिंह कांग्रेस पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ रहे थे. पार्टी के पास संख्या बल कम होने के बावजूद भी उन्होंने जीत दर्ज की थी.

लखनऊ : आखिरकार उत्तर प्रदेश विधान परिषद से भी कांग्रेस का सूपड़ा साफ हो गया. विधान परिषद में पार्टी के एक मात्र एमएलसी दीपक सिंह का कार्यकाल भी आज यानी बुधवार को पूरा हो रहा है.

विधान परिषद में कांग्रेस का इतिहास : उत्तर प्रदेश में विधान परिषद की स्थापना 5 जनवरी 1887 में हुई थी. मोतीलाल नेहरू ने 7 फरवरी 1919 को विधान परिषद की सदस्यता ली. उन्हें विधान परिषद में कांग्रेस का पहला सदस्य माना जाता है. तब उत्तर प्रदेश को संयुक्त प्रांत के नाम से जाना जाता था. आजादी के बाद 1989 तक विधान परिषद में कांग्रेस का दबदबा रहा. 1977 और 1979 को छोड़कर अन्य वर्षों में विधान परिषद में नेता सदन कांग्रेस का ही रहा. उसके बाद से स्थितियां खराब हो गईं. बीते 33 वर्षों में कांग्रेस लगातार सिकुड़ती चली गई. 2022 के विधानसभा चुनाव में पार्टी के सिर्फ दो उम्मीदवार विधानसभा तक पहुंचे हैं. इस बार 2.5 प्रतिशत से भी कम वोट मिला है. वर्तमान में कांग्रेस के एकमात्र सदस्य दीपक सिंह विधान परिषद में हैं. उनका कार्यकाल भी 6 जुलाई को पूरा होने जा रहा है. जानकारों का कहना है कि मौजूदा परिस्थितियों को देखते हुए निकट भविष्य में भी उच्च सदन में कांग्रेस का प्रतिनिधित्व होने की उम्मीद दूर-दूर तक नजर नहीं आ रही है. साथ ही कांग्रेस के नेता रहे मोतीलाल नेहरू से शुरू हुआ सिलसिला उनकी पांचवीं पीढ़ी पर आकर खत्म हो रहा है.


कांग्रेस के कद्दावर नेताओं में हैं दीपक सिंह : दीपक सिंह की गिनती कांग्रेस के कद्दावर नेताओं में की जाती है. उनकी छवि एक साफ-सुथरे नेता की है. वह पूर्व में दो बार ब्लॉक प्रमुख के रूप में चुने गए हैं, उन्हें 1995-2005 में शाहगढ़ ब्लॉक, अमेठी, उत्तर प्रदेश से ब्लॉक प्रमुख के रूप में चुना गया था. कैडर स्तर पर पार्टी को मजबूत करने के लिए उन्हें वर्ष 2002 में पार्टी के सचिव के रूप में नियुक्त किया गया था. दीपक सिंह उत्तर प्रदेश युवा कांग्रेस और एनएसयूआई के प्रभारी थे, ऐसा माना जाता है कि उनके कार्यकाल के दौरान दोनों मोर्चे को मजबूती मिली थी. दीपक सिंह को (2012-वर्तमान तक) उत्तर प्रदेश कांग्रेस महासचिव बनाया गया था.

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2014 लोकसभा चुनाव से ठीक पहले, दीपक सिंह को केंद्रीय रेल मंत्रालय के पीएससी के अध्यक्ष के रूप में राज्यमंत्री के रूप में नियुक्त किया गया. उन्होंने केंद्र में एनडीए सरकार के गठन के तुरंत बाद रेल किराये में वृद्धि के विरोध में पद से इस्तीफा दे दिया. 2016 में उत्तर प्रदेश एमएलसी चुनाव में दीपक सिंह कांग्रेस पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ रहे थे. पार्टी के पास संख्या बल कम होने के बावजूद भी उन्होंने जीत दर्ज की थी.

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