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'बी' ग्रेड भी नहीं रहा लखनऊ विश्वविद्यालय, अब तो जागिए सरकार

लखनऊ विश्वविद्यालय 100 साल के इतिहास को अपने में समेटे देश के चुनिंदा विश्वविद्यालयों में से एक है. लेकिन इस ऐतिहासिक विश्वविद्यालय की हुक्मरानों ने ये हालत कर दी है कि 'ए' तो दूर की बात इसकी गिनती अब देश के बी ग्रेड विश्वविद्यालयों की लिस्ट में से भी बाहर हो गई है.

'बी' ग्रेड भी नहीं रहा लखनऊ विश्वविद्यालय
'बी' ग्रेड भी नहीं रहा लखनऊ विश्वविद्यालय
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Published : May 16, 2021, 9:59 AM IST

लखनऊः पूर्व कुलपति प्रोफेसर एसपी सिंह लखनऊ विश्वविद्यालय को राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद (नैक) में ए प्लस प्लस ग्रेड दिलाने का 3 साल तक सपना दिखाते रहे और चले गए. वर्तमान कुलपति प्रोफेसर आलोक कुमार राय का भी आधा कार्यकाल पूरा हो चुका है. लेकिन वो भी लखनऊ विश्वविद्यालय को उसकी खोई हुई ग्रेड न दिला पाये.

आलम ये है कि अभी तक विश्वविद्यालय की ओर से नैक मूल्यांकन के लिए आवेदन तक नहीं किया गया. लखनऊ विश्वविद्यालय शिक्षक संघ के अध्यक्ष डॉक्टर विनीत वर्मा का कहना है कि नैक मूल्यांकन देश में किसी भी उच्च शिक्षण संस्थान की स्थिति के आंकलन का सही पैमाना है. लखनऊ विश्वविद्यालय को भी इसमें शामिल होना चाहिए.

इसलिए जरूरी है नैक मूल्यांकन

राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद (नैक) केंद्र सरकार की एक स्वायत्त संस्था है. ये देशभर के विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों की गुणवत्ता का विभिन्न आधारों पर मूल्यांकन करती है. संबंधित उच्च शिक्षा संस्थान में उपलब्ध संसाधन, पठन-पाठन की गुणवत्ता, शोध कार्यों की स्थिति, छात्रों की प्रतिक्रिया समेत अन्य मापदंडों पर मूल्यांकन किया जाता है. इसके आधार पर इन संस्थानों को नैक के द्वारा ग्रेडिंग उपलब्ध कराई जाती है. इस मूल्यांकन में अच्छा ग्रेड पाने वाले उच्च शिक्षा संस्थानों के लिए राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय स्तर के अनुदान के लिए रास्ते खुल जाते हैं.

यह है लखनऊ विश्वविद्यालय के हालात

- वर्ष 2014 में तत्कालीन कुलपति प्रोफेसर एसबी निम्से ने लखनऊ विश्वविद्यालय का नैक मूल्यांकन कराया था. इसमें विश्वविद्यालय को बी ग्रेड से संतुष्ट होना पड़ा था. इस ग्रेड की वैधता 5 मई 2019 तक की है.

- वर्ष 2016 में प्रोफेसर एस पी सिंह ने लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति के रूप में पदभार संभाला था. तब उन्होंने मीडिया को दिए गए अपने साक्षात्कार में लखनऊ विश्वविद्यालय को ए प्लस प्लस ग्रेड दिलाने का सपना दिखाया.

- वर्ष 2019 में प्रोफेसर एसबी निम्से के समय मिले नैक के बी ग्रेड की समय सीमा भी समाप्त हो गई.

- 3 साल तक ए प्लस प्लस ग्रेड का सपना दिखाने वाले प्रोफेसर एसपी सिंह के कार्यकाल में नैक मूल्यांकन के लिए आवेदन तक नहीं किया जा सका.

- दिसंबर 2019 में प्रोफेसर आलोक कुमार राय ने लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति पद की कमान संभाली. वर्तमान में करीब डेढ़ साल का समय पूरा होने वाला है. लेकिन अभी तक विश्वविद्यालय की ओर से नैक मूल्यांकन के लिए आवेदन नहीं किया गया.

- पिछले डेढ़ साल से विश्वविद्यालय प्रशासन सिर्फ जल्द तैयारी पूरी करके आवेदन करने के दावे कर रहा है.

इसे भी पढ़ें- प्रदेश में 24 मई तक बढ़ाया गया कोरोना कर्फ्यू

लखनऊः पूर्व कुलपति प्रोफेसर एसपी सिंह लखनऊ विश्वविद्यालय को राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद (नैक) में ए प्लस प्लस ग्रेड दिलाने का 3 साल तक सपना दिखाते रहे और चले गए. वर्तमान कुलपति प्रोफेसर आलोक कुमार राय का भी आधा कार्यकाल पूरा हो चुका है. लेकिन वो भी लखनऊ विश्वविद्यालय को उसकी खोई हुई ग्रेड न दिला पाये.

आलम ये है कि अभी तक विश्वविद्यालय की ओर से नैक मूल्यांकन के लिए आवेदन तक नहीं किया गया. लखनऊ विश्वविद्यालय शिक्षक संघ के अध्यक्ष डॉक्टर विनीत वर्मा का कहना है कि नैक मूल्यांकन देश में किसी भी उच्च शिक्षण संस्थान की स्थिति के आंकलन का सही पैमाना है. लखनऊ विश्वविद्यालय को भी इसमें शामिल होना चाहिए.

इसलिए जरूरी है नैक मूल्यांकन

राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद (नैक) केंद्र सरकार की एक स्वायत्त संस्था है. ये देशभर के विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों की गुणवत्ता का विभिन्न आधारों पर मूल्यांकन करती है. संबंधित उच्च शिक्षा संस्थान में उपलब्ध संसाधन, पठन-पाठन की गुणवत्ता, शोध कार्यों की स्थिति, छात्रों की प्रतिक्रिया समेत अन्य मापदंडों पर मूल्यांकन किया जाता है. इसके आधार पर इन संस्थानों को नैक के द्वारा ग्रेडिंग उपलब्ध कराई जाती है. इस मूल्यांकन में अच्छा ग्रेड पाने वाले उच्च शिक्षा संस्थानों के लिए राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय स्तर के अनुदान के लिए रास्ते खुल जाते हैं.

यह है लखनऊ विश्वविद्यालय के हालात

- वर्ष 2014 में तत्कालीन कुलपति प्रोफेसर एसबी निम्से ने लखनऊ विश्वविद्यालय का नैक मूल्यांकन कराया था. इसमें विश्वविद्यालय को बी ग्रेड से संतुष्ट होना पड़ा था. इस ग्रेड की वैधता 5 मई 2019 तक की है.

- वर्ष 2016 में प्रोफेसर एस पी सिंह ने लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति के रूप में पदभार संभाला था. तब उन्होंने मीडिया को दिए गए अपने साक्षात्कार में लखनऊ विश्वविद्यालय को ए प्लस प्लस ग्रेड दिलाने का सपना दिखाया.

- वर्ष 2019 में प्रोफेसर एसबी निम्से के समय मिले नैक के बी ग्रेड की समय सीमा भी समाप्त हो गई.

- 3 साल तक ए प्लस प्लस ग्रेड का सपना दिखाने वाले प्रोफेसर एसपी सिंह के कार्यकाल में नैक मूल्यांकन के लिए आवेदन तक नहीं किया जा सका.

- दिसंबर 2019 में प्रोफेसर आलोक कुमार राय ने लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति पद की कमान संभाली. वर्तमान में करीब डेढ़ साल का समय पूरा होने वाला है. लेकिन अभी तक विश्वविद्यालय की ओर से नैक मूल्यांकन के लिए आवेदन नहीं किया गया.

- पिछले डेढ़ साल से विश्वविद्यालय प्रशासन सिर्फ जल्द तैयारी पूरी करके आवेदन करने के दावे कर रहा है.

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