लखनऊः राजधानी समेत उत्तर प्रदेश में प्रचंड गर्मी का कहर जारी है. दिन-रात शहर से लेकर गांव तक बिजली संकट बना हुआ है. दिन में लोग पसीना बहा रहे हैं तो रात में घंटों बिजली गुल होने से घर के बाहर निकल कर पार्कों के चक्कर लगाने को मजबूर हैं. रोजाना ही तार टूटने, ट्रांसफार्मर फूंकने और लाइन ब्रेक डाउन होने का सिलसिला जारी है.
उत्तर प्रदेश के ऊर्जा मंत्री प्रदेश में जिस दिन रिकॉर्ड बिजली आपूर्ति होती है उस दिन अपनी पीठ थपथपाने का कोई मौका नहीं छोड़ते. पहले मई माह में 24,348 मेगावाट बिजली के रिकॉर्ड आपूर्ति करने पर ऊर्जा मंत्री ने विभाग की पीठ थपथपाई. इसके बाद अभी जून माह में कुछ दिन पहले 26000 मेगावाट के करीब जब सप्लाई की गई तो भी ऊर्जा मंत्री ने कहा कि उत्तर प्रदेश को भरपूर बिजली मिल रही है. कम संसाधनों में भी बिजली विभाग के अधिकारी लगातार बिजली आपूर्ति कर रहे हैं. हालांकि ऊर्जा मंत्री के दावों की पोल भी हर रोज खुल रही है. राजधानी में ही ऐसा कोई इलाका नहीं है जहां पर हर रोज लोगों को बिजली कटौती का सामना ना करना पड़ता हो. प्रचंड गर्मी के चलते बिजली की मांग में इजाफा होता है, जिससे उपकरण दग जाते हैं और लाइन भी दगा दे जाती है. रात में भी बिजली विभाग के अधिकारी बिजली आपूर्ति पटरी पर ला पाने में असमर्थ हैं.
रोस्टर के मुताबिक नहीं हो पा रही सप्लाई : बिजली विभाग ने शहर ग्रामीण जिला और तहसील स्तर पर बिजली सप्लाई का रोस्टर बनाया है, लेकिन जब भीषण गर्मी पड़ना शुरू हुई तो रोस्टर के मुताबिक बिजली सप्लाई कर पाना विभाग के वश से बाहर है. पावर काॅरपोरेशन के आंकड़ों के मुताबिक, ग्रामीण इलाकों में तकरीबन 3:30 घंटे और तहसील मुख्यालय पर लगभग डेढ़ घंटे बिजली सप्लाई कम की जा रही है. हालांकि बिजली कटौती इससे कहीं ज्यादा समय के लिए की जा रही है. बात अगर राजधानी लखनऊ की करें तो गोमतीनगर, तकरोही, राजाजीपुरम, इंदिरा नगर, पारा, सरोजिनी नगर, केसरीखेड़ा, नादरगंज, अमीनाबाद समेत तमाम इलाके बिजली के लिए परेशान हो रहे हैं. कहीं ट्रांसफॉर्मर दग रहे हैं तो कहीं पोल पर ही आग लग रही है. इतना ही नहीं एरियल बंच कंडक्टर भी बीच से टूट कर गिर रहे हैं.
खराब हो रहे हैं ट्रांसफार्मर: भीषण गर्मी का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि उत्तर प्रदेश में प्रतिदिन करीब 500 से साढ़े 500 ट्रांसफार्मर खराब हो रहे हैं. बिजली विभाग के जानकार बताते हैं कि ट्रांसफार्मर पर लोड बढ़ाने और खम्भों के साथ तार बिछाने के काम को सही से अंजाम नहीं दिया गया है. इसी के चलते दिक्कत आ रही है. राजधानी की बात करें तो हर रोज दर्जन भर के करीब ट्रांसफार्मर खराब हो रहे हैं.
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कोयले की कमी भी बढ़ा रही दिक्कत: उत्तर प्रदेश में बिजली आपूर्ति बेपटरी न हो इसे लेकर उत्पादन इकाइयों को कोयले की आवश्यकता होती है, लेकिन कोयले की लगातार कमी बिजली संकट की अहम वजह बन रही है. हर रोज उत्पादन इकाइयों को 17 रैक कोयले की आवश्यकता पड़ती है, लेकिन अधिकतम 13 रैक कोयला ही उपलब्ध हो पा रहा है. जिसके चलते दिक्कतें बढ़ रही हैं. जानकारों की मानें तो इसी तरह गर्मी पड़ती रही और 1000 मेगावाट का लोड और बढ़ता है तो फिर ट्रांसमिशन लाइनों से भी बिजली आपूर्ति करना मुश्किल हो पायेगा. बता दें कि ट्रांसमिशन लाइन की क्षमता करीब 27,000 मेगावाट है. उत्तर प्रदेश में हालिया दिनों में 26,000 मेगावाट तक की डिमांड पहुंच चुकी है.
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