लखनऊ : राजधानी के ऐशबाग क्षेत्र में स्थित ऐतिहासिक मोतीझील पर अवैध कब्जे की एक बार फिर कोशिश हुई. इसके खिलाफ शिकायत हुई तो एलडीए ने मुकदमा दर्ज किया. मंगलवार की दोपहर यहां बुलडोजर का अभियान भी शुरू कर दिया गया. जो भी निर्माण बिल्डर ने करवाए थे, वह सारे ध्वस्त कर दिए गए.
मोतीझील अपना अस्तित्व खो रही है. नवाबों के काल मे गुलज़ार रहने वाली ये झील आज प्रशासन की लापरवाही के चलते जंगली झाड़ियों और जलकुंभी से भर चुकी है. धीरे-धीरे भूमाफिया की गिरफ्त में फंसती जा रही है. हाल ही में मोतीझील के एक हिस्से को मलबे से पाटा जा रहा था. इसकी शिकायत लखनऊ विकास प्राधिकरण से की गई थी. टीम ने मौके पर जाकर काम को बन्द कराने के साथ ही उक्त कार्य को कराने वाले पर एफआईआर भी दर्ज कराई. इसके बाद भी दबंग भूमाफिया ने झील को पाट कर टीन शेड जड़ दिए. लविप्रा के वीसी को इसकी जिम्मेदारी दी गई है. उन्होंने शीघ्र कार्यवाही का आश्वासन दिया है. इसके बाद में यहां सोमवार को चेतावनी दी गई थी और मंगलवार को बुलडोजर चलने लगा.
झील बचाओ समिति के संयोजक अभय वाजपेई ने बताया कि यहां 12 मई को लखनऊ विकास प्राधिकरण के नजूल विभाग के सर्वेयर की तहरीर पर अज्ञात भूमाफिया के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया है. इसके बावजूद भूमाफिया बेखौफ है और झील को पाटने का काम करता जा रहा है. इस वजह से मोतीझील का अस्तित्व संकट में नजर आ रहा है. उनका कहना है कि अगर इसी तरह से भूमाफिया के खिलाफ कड़ी कार्यवाही नहीं की गई तो मोतीझील का अस्तित्व समाप्त हो जाएगा. यहां कंक्रीट का जंगल नजर आने लगेगा. वाजपेई ने बताया कि इसके खिलाफ हमने लखनऊ विकास प्राधिकरण में शिकायत की है. इसके बाद बुलडोजर चला है.
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दूसरी ओर लखनऊ विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष अक्षय त्रिपाठी ने इस संबंध में संबंधित अधिकारियों को कड़ा निर्देश दिया है. उन्होंने साफ कहा है कि किसी भी जलाशय को समाप्त करने की कोई भी साजिश अगर भूमाफिया कर रहा है तो उसके खिलाफ कड़ा एक्शन लिया जाए. सरकारी जमीन या किसी प्राकृतिक संसाधन पर अवैध कब्जा बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. मोती झील पर कब्जा करने की कोशिश कर रहे भू माफिया के खिलाफ भी जल्द ही और बड़ी कार्रवाई होगी.
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